उत्तर:
दृष्टिकोण:
- परिचय: उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना और इसके इच्छित उद्देश्यों को बताइए।
- मुख्य विषयवस्तु:
- घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और अर्थव्यवस्था पर गुणक प्रभाव प्राप्त करने जैसे प्राथमिक लक्ष्यों को परिभाषित कीजिए।
- निर्यात में वृद्धि और आयात में कमी जैसे ठोस परिणामों पर चर्चा कीजिए।
- योजना में प्रमुख कंपनियों की बढ़ती रुचि का परिचय दीजिए।
- निम्न-स्तरीय नौकरियों के मुद्दों पर जोर देते हुए, सृजित नौकरियों के प्रकारों पर चर्चा कीजिए।
- भविष्य में अधिक व्यापक रोजगार सृजन की संभावनाओं का पता लगाइए।
- व्यापार संतुलन और अर्थव्यवस्था पर तत्काल प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
- विनिर्माण में वास्तविक आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के विषय में कुछ प्रमुख चिंताओं पर ध्यान दीजिए।
- गुणक प्रभाव और उसके वास्तविकता को संबोधित कीजिए।
- आयात के मुद्दे और पीएलआई योजना के वास्तविक कवरेज पर सरकार के रुख का सारांश प्रस्तुत कीजिए।
- निष्कर्ष: व्यापक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए योजना के निरंतर मूल्यांकन और संभावित परिशोधन की आवश्यकता पर जोर देते हुए निष्कर्ष निकालिए।
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परिचय:
उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना भारत सरकार द्वारा घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने, आयात निर्भरता को कम करने और भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने की आकांक्षा के साथ शुरू की गई थी।
मुख्य विषयवस्तु:
पीएलआई योजना के उद्देश्य:
- घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना: वित्तीय प्रोत्साहन की पेशकश करके, इसका उद्देश्य घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों कंपनियों को भारत की सीमाओं के भीतर विनिर्माण के लिए आकर्षित करना था।
- गुणक प्रभाव: विनिर्माण को बढ़ावा देने से रोजगार सृजन हो सकता है और इसके प्रभावों के माध्यम से अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों को मजबूती मिल सकती है।
इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र पर प्रभाव:
- निर्यात और आयात:
- निर्यात: मोबाइल फोन निर्यात में वित्त वर्ष 2018 में 300 मिलियन डॉलर से तेज वृद्धि देखी गई और वित्त वर्ष 2023 में 11 बिलियन डॉलर हो गई।
- आयात: मोबाइल फोन आयात वित्त वर्ष 2018 में 3.6 बिलियन डॉलर से घटकर वित्त वर्ष 2023 में 1.6 बिलियन डॉलर हो गया।
- हालाँकि, यह उल्लेखनीय है कि इसी अवधि के दौरान मोबाइल घटकों के आयात में भी वृद्धि देखी गई।
- प्रमुख कंपनियों की भागीदारी: माइक्रोमैक्स, सैमसंग और फॉक्सकॉन जैसी कंपनियों ने गहरी दिलचस्पी दिखाई है, जो उद्योग के खिलाड़ियों के लिए इस योजना के आकर्षण का संकेत देता है।
रोज़गार निर्माण:
- अब जबकि असेंबली कार्यों के कारण रोजगार सृजन के प्रमाण तो मौजूद हैं, किन्तु इन नौकरियों की प्रकृति को लेकर चिंताएं भी उत्पन्न हुई हैं:
- निम्न-स्तरीय असेंबली नौकरियाँ: रघुराम राजन का तर्क है कि ये नौकरियाँ मुख्य रूप से कम भुगतान वाली हैं और इनमें वास्तविक विनिर्माण भूमिकाओं की क्षमता का अभाव है।
- भविष्य की संभावनाएं: भविष्य में अधिक व्यापक विनिर्माण सेटअप और अधिक महत्वपूर्ण रोजगार सृजन को बढ़ावा देने की योजना की क्षमता एक विवादास्पद मुद्दा बनी हुई है।
आर्थिक विकास:
- तत्काल सकारात्मक प्रभाव: निर्यात में वृद्धि और तैयार मोबाइल फोन के आयात में कमी व्यापार संतुलन पर प्रारंभिक सकारात्मक प्रभाव का संकेत देती है।
- आत्मनिर्भरता के बारे में चिंताएँ: मोबाइल घटकों का बढ़ता आयात एक निर्भरता को उजागर करता है, जो स्वदेशी, व्यापक विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
- गुणक प्रभाव: यह बहस जारी है कि क्या इस योजना ने वास्तव में अर्थव्यवस्था पर अपेक्षित गुणक प्रभाव उत्पन्न किया है। गौरतलब है कि असेंबली पूर्ण विनिर्माण के समान व्यापक लाभ प्रदान नहीं कर सकती है।
सरकार का इसके पक्ष में तर्क:
- आयात धारणाएँ: सरकार इस बात पर जोर देती है कि सभी आयातित घटक विशेष रूप से मोबाइल फोन उत्पादन के लिए नहीं हैं, जो इस क्षेत्र के लिए आयात पर संभावित रूप से अतिरंजित निर्भरता का सुझाव देता है।
- पीएलआई योजना का कवरेज: भारत में केवल 22% मोबाइल फोन उत्पादन वर्तमान में पीएलआई के तहत है, जो इसकी अभी भी शुरुआती पहुंच का संकेत देता है।
निष्कर्ष:
पीएलआई योजना ने निस्संदेह इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में रुचि और प्रारंभिक विकास को प्रोत्साहित किया है। हालाँकि, आत्मनिर्भर विनिर्माण को बढ़ावा देने और उच्च मूल्य वाली नौकरियाँ पैदा करने के मामले में इसकी दीर्घकालिक सफलता अभी भी निर्णायक रूप से सुनिश्चित नहीं की गई है। ऐसे में सरकार के लिए इसके विषय में उपजी चिंताओं को दूर करना और योजना को परिष्कृत करना आवश्यक है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि यह व्यापक आर्थिक विकास और मजबूत रोजगार सृजन के अपने व्यापक उद्देश्यों को पूरा करे।
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