उत्तर:
दृष्टिकोण:
- परिचय: लिली थॉमस मामले और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधान के खिलाफ इसकी चुनौती का परिचय दीजिए।
- मुख्य विषयवस्तु:
- न्यायालय द्वारा दिये गए फैसले के प्रभावों पर चर्चा कीजिए।
- निर्वाचित प्रतिनिधियों सहित सभी नागरिकों के लिए कानून के समक्ष समानता को बढ़ावा देने वाले कारकों पर विचार कीजिए।
- राजनीति को अपराधमुक्त करने के प्रयास और परिणामस्वरूप सार्वजनिक कार्यालय में बैठे लोगों के लिए उच्च नैतिक और कानूनी मानकों की अपेक्षा पर ज़ोर दें।
- चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही।
- हितों के संभावित टकराव को कम करके लोकतांत्रिक संस्थानों में जनता के विश्वास को मजबूत करना।
- आप संभावित आलोचना का भी उल्लेख कर सकते हैं। हालाँकि फैसले की बड़े पैमाने पर सराहना की गई, लेकिन कुछ लोग यह तर्क दे सकते हैं कि इसका इस्तेमाल राजनीतिक प्रतिशोध के लिए एक उपकरण के रूप में किया जा सकता है।
- निष्कर्ष: लोकतंत्र के सिद्धांतों को बनाए रखने में न्यायपालिका की आवश्यक भूमिका को दोहराते हुए, यह सुनिश्चित करते हुए निष्कर्ष निकालें कि लोकतांत्रिक ताना-बाना भ्रष्ट न रहे।
|
परिचय:
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951, भारत के संसदीय लोकतंत्र की रूपरेखा को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण है। इसके महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक, धारा 8(4) को सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2013 के ऐतिहासिक लिली थॉमस फैसले में जाँच के दायरे में लाया गया था। गौरतलब है कि 8 (4) में यह प्रावधान था कि यदि एक सांसद या विधायक जो कि किसी अपराध के लिये दोषी पाया जाता है, तो दोषी सदस्य निचली अदालत के आदेश के खिलाफ तीन महीने के भीतर यदि उच्च न्यायालय में अपील दायर कर देता है तो वह अपनी सीट पर बना रह सकता है। किंतु 2013 में सर्वोच्च न्यायालय ने इस धारा को असंवैधानिक घोषित कर दिया था, इस प्रकार भारत में संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के लिए परिवर्तनकारी निहितार्थों की शुरुआत हुई।
मुख्य विषयवस्तु:
संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों पर न्यायालय के निर्णय के निहितार्थ:
- जवाबदेही और सत्यनिष्ठा की बहाली:
- इस फैसले से पहले, धारा 8(4) दोषी सांसदों को अपना पद बनाए रखने की अनुमति देती थी, गौरतलब है कि तीन महीने के भीतर दोषी सांसद या विधायक अपनी सजा के खिलाफ अपील कर सकते थे।
- इसे रद्द करके, न्यायालय ने राजनीति में नैतिक और आपराधिक जवाबदेही के महत्व पर जोर दिया है।
- इस कदम को कानून को लोकतंत्र के सिद्धांतों के साथ अधिक निकटता से जोड़ने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है, जहाँ निर्वाचित प्रतिनिधियों को निंदा से ऊपर होना चाहिए।
- उन्नत पारदर्शिता:
- उम्मीदवारों द्वारा अपने आपराधिक इतिहास का खुलासा करने पर सुप्रीम कोर्ट का जोर पारदर्शी चुनावी प्रथाओं के सिद्धांत को आगे बढ़ाता है।
- मतदाताओं को अपने प्रतिनिधियों की आपराधिक पृष्ठभूमि, यदि कोई हो, जानने का अधिकार है, जिससे अधिक सूचित मतदाता सुनिश्चित हो सके।
- राजनीति के अपराधीकरण से निपटना:
- संसदीय लोकतंत्र में आस्था को प्रभावित करने वाली प्रमुख चिंताओं में से एक राजनीति का बढ़ता अपराधीकरण है।
- इस प्रकार यह निर्णय सुनिश्चित करता है कि दोषी ठहराए गए लोग सार्वजनिक पद पर नहीं रह सकते, ऐसे में देखा जाये तो राजनीतिक सत्ता चाहने वाले आपराधिक तत्वों के लिए एक निवारक के रूप में कार्य करता है, जिससे संसदीय सीटों की पवित्रता की रक्षा होती है।
- कानून के शासन को कायम रखना:
- सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया यह निर्णय इस आधार को रेखांकित करता है कि कानून की नजर में सभी समान हैं, चाहे उनकी स्थिति या शक्ति कुछ भी हो।
- यह सुनिश्चित करके कि राजनीतिक नेता केवल अपील करके अपने आपराधिक कार्यों के परिणामों से नहीं बच सकते, न्यायपालिका ने लोकतंत्र में कानून के शासन के महत्व को सुदृढ़ किया।
- राजनीतिक परिदृश्य की चुनौतियाँ:
- जहाँ राजनीतिक व्यवस्था को साफ करने के लिए फैसले की सराहना की गई है, वहीं इससे चिंताएं भी पैदा हुई हैं।
- कुछ लोगों का तर्क है कि राजनेताओं को अयोग्य ठहराने के लिए झूठे मामलों को हथियार बनाया जा सकता है, जिससे चुनावी प्रतियोगिताओं की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है।
- संवैधानिक नैतिकता की सर्वोच्चता को पुनः स्थापित करना:
- धारा 8(4) को संवैधानिक नैतिकता और सुशासन के सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान अपने लोकाचार और मूल्यों के साथ सर्वोच्च है।
- कोई भी कानून या प्रावधान, भले ही विधायी रूप से वैध हो, संविधान में निहित उच्च सिद्धांतों के अनुरूप होना चाहिए।
निष्कर्ष:
लिली थॉमस का फैसला भारत के संसदीय लोकतंत्र को परिष्कृत करने की खोज में एक बेंचमार्क के रूप में कार्य करता है। यह सुनिश्चित करके कि सत्ता के गलियारे आपराधिकता से दूषित न हों, यह निर्णय लोकतंत्र के अभ्यास को उसके मूलभूत सिद्धांतों के करीब लाने का प्रयास करता है। हालाँकि, किसी भी न्यायिक हस्तक्षेप की तरह, इसकी वास्तविक परीक्षा इसके कार्यान्वयन में होती है और यह राजनीतिक गतिशीलता की चुनौतियों का सामना कैसे करती है। यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी अब विधायिका, कार्यपालिका और जनता पर है कि यह निर्णय स्वच्छ और अधिक जवाबदेह शासन में तब्दील हो।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
https://uploads.disquscdn.com/images/9160385c1b72ff27f4d124df7058ae5adf7b93fff6945af9c7128aace1411793.jpg https://uploads.disquscdn.com/images/992e51e30b5b1b9faaaa3a53a77c89ee2689ec1189340308bf2e33ac3a61b188.jpg https://uploads.disquscdn.com/images/41ecab651204b96433320934b002756e2b704f78c92ef43a7aec2c41d584f7cf.jpg
https://uploads.disquscdn.com/images/9f9c2d6b2c1adcba3127809f691e11d05778f5b845f9309f1b0863a90083d731.jpg https://uploads.disquscdn.com/images/b57f6ce2e6af7678fc466008b40a5454bec84024ac1eba0ba2037751c487faf2.jpg https://uploads.disquscdn.com/images/842c4138e533040f1b04cff48925b942696ee2e62a0d262f524efd705a46f8f6.jpg
https://uploads.disquscdn.com/images/ba5fd554edab9a46661213f24b964d976081a685df1c403247ca42d2ac001172.jpg https://uploads.disquscdn.com/images/4f6558329f783f8054cb0254638f5e38521bdc33406ba06ab210687f4623b982.jpg https://uploads.disquscdn.com/images/5ded7cb8813ffa5365a5550ba3b144980e05e5fc6ef6973872baf1097c1e5cd4.jpg
https://uploads.disquscdn.com/images/0b0b8ac06423a3bfcd7865f2c895443faa02ecd6c7eb340e9025220ae3bea8ab.jpg https://uploads.disquscdn.com/images/e31c6042dae49b74a9d9a21dbdad89075aa8c135415e8effcb86b0083f8b3e2b.jpg https://uploads.disquscdn.com/images/d7c57c2e286381068aa3af94e3ca374dc06e2dad71a3102575a5dd6041759654.jpg
https://uploads.disquscdn.com/images/3771cb6b1f8447fdfc62aee5facd2a65609264080ba827a74b19b379bb7ea73d.jpg https://uploads.disquscdn.com/images/456c43d8ad15925f7e10f97635f8106d62c48c5cff4a514101eb90616546969b.jpg
https://uploads.disquscdn.com/images/d360d5d9c6512ee75f50ba9123528c62a976d6fea7ddb554bf13cc363f8e9092.jpg https://uploads.disquscdn.com/images/a78added29baa70ecfb58773ac002cc3c20b1ab51ab3bad7c96311a8ddeef06f.jpg