Q. अफ्रीका महत्वपूर्ण खनिजों का एक प्रमुख वैश्विक स्रोत है, जो वैश्विक भंडार में लगभग 30% का योगदान देता है। परीक्षण कीजिये कि क्या अफ्रीका महत्वपूर्ण खनिजों की वैश्विक मांग को हल कर सकता है? (250 शब्द, 15 अंक)

उत्तर:

दृष्टिकोण:

  • परिचय: अफ्रीका में प्रचुर खनिज संपदा और सतत ऊर्जा समाधानों की दिशा में महत्वपूर्ण खनिजों के महत्व को रेखांकित करते हुए संदर्भ लिखिए।
  • मुख्य विषयवस्तु
    • अफ्रीका में पाए जाने वाले प्रमुख महत्वपूर्ण खनिजों और आधुनिक प्रौद्योगिकियों में उनके महत्व को संक्षेप में सूचीबद्ध कीजिए।
    • अफ्रीका के संभावित भंडार, अन्वेषण और निष्कर्षण की वर्तमान स्थिति के बीच अंतर पर चर्चा कीजिए।
    • अफ़्रीकी खनिज बाज़ार में वैश्विक शक्तियों, विशेषकर चीन की भूमिका का परिचय दीजिए।
    • वर्तमान वैश्विक भू-राजनीतिक गतिशीलता के मद्देनजर अफ्रीका के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए अमेरिका जैसे अन्य देशों की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
    • अफ़्रीका की ऊर्जा क्षमता का दोहन करने के लिए सुझाव दीजिए।
  • निष्कर्ष: सतत ऊर्जा क्षमता को साकार करने के लिए एक रणनीतिक, सहयोगात्मक और न्यायसंगत दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर देते हुए निष्कर्ष निकालिए।

परिचय:

अफ़्रीका अपनी विशाल खनिज संपदा के साथ, लंबे समय से संसाधनों के भंडार के रूप में पहचाना जाता रहा है। दुनिया के महत्वपूर्ण खनिजों के भंडार का लगभग 30%, महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्र में इस महाद्वीप की क्षमता निर्विवाद है। जैसे-जैसे दुनिया हरित ऊर्जा समाधानों की ओर बढ़ रही है, इन खनिजों की मांग आसमान छू रही है।

मुख्य विषयवस्तु:

वर्तमान अल्प उपयोग और अन्वेषण की आवश्यकता:

  • अपने समृद्ध भंडार के बावजूद, अफ्रीका में खनन और अन्वेषण में निवेश आश्चर्यजनक रूप से कम हुआ है।
  • उप-सहारा अफ्रीका का खनन अन्वेषण बजट वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे कम है, जो लैटिन अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे क्षेत्रों के बिल्कुल विपरीत है।
  • अफ्रीका की खनन क्षमता और उसके वास्तविक उत्पादन के बीच अंतर बहुत बड़ा है, जिसका मुख्य कारण ऐतिहासिक रूप से निवेश का कम होना, ढांचागत चुनौतियां और नियामक बाधाएं हैं।
अफ़्रीका में खनिज भंडार: एक नजर में

अफ़्रीका विभिन्न महत्वपूर्ण खनिजों में अत्यधिक समृद्ध है। इस महाद्वीप में:

  • विश्व का लगभग 85% मैंगनीज उपलब्ध है।
  • 80% प्लैटिनम और क्रोमियम मौजूद है।
  • 47% कोबाल्ट।
  • 21% ग्रेफाइट।
  • 6% तांबा।

ये खनिज आधुनिक प्रौद्योगिकियों, विशेषकर नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालाँकि, खनन क्षमता एक अलग चीज़ है; इसे साकार करना दूसरी बात है।

बदलती गतिशीलता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा:

  • चीन ने अफ्रीका में एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया है, उसने प्रारंभिक वाणिज्यिक कूटनीति प्रयास शुरू किए हैं और अपने खनिज हितों को सुरक्षित किया है।
  • इसके विपरीत, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश मजबूत संबंध स्थापित करने में तुलनात्मक रूप से पिछड़ रहे हैं।
  • अपनी आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने और चीन पर निर्भरता कम करने के लिए अमेरिका के हालिया प्रयास ने अफ्रीका को केंद्र में ला दिया है।

अफ़्रीका की क्षमता का दोहन करने के लिए सुझाव:

  • द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाना:
    • अमेरिका और अन्य देशों को अफ्रीका के साथ मजबूत वाणिज्यिक कूटनीति में शामिल होने की जरूरत है, जिससे दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद साझेदारियों को बढ़ावा दिया जा सके।
    • खनिज सुरक्षा साझेदारी (Minerals Security Partnership) का विस्तार अफ्रीकी देशों को शामिल करने, बुनियादी ढांचे, अन्वेषण और प्रसंस्करण क्षमताओं में सहयोग और सह-निवेश को बढ़ावा देने के लिए किया जाना चाहिए।
  • व्यापारिक समझौतों का विस्तार:
    • अफ्रीका को वैश्विक व्यापार नेटवर्क में शामिल करने से इस महाद्वीप के खनिज उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।
    • उदाहरण के लिए, अफ्रीकी देशों को मुद्रास्फीति न्यूनीकरण अधिनियम (Inflation Reduction Act) का लाभ देने से वैश्विक बाजार में उनके खनिजों की व्यावसायिक व्यवहार्यता में सुधार हो सकता है।
    • अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (African Continental Free Trade Area) के साथ एक संभावित मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement) अफ्रीका को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में और एकीकृत करेगा।
  • आर्थिक कूटनीति और वित्तपोषण:
    • एक संरचित आर्थिक कूटनीति दृष्टिकोण, जिसमें वित्तपोषण, जोखिम कम करना और तकनीकी सहायता प्रदान करना शामिल है, अफ्रीका के खनिज क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा दे सकता है।
    • अमेरिका के सार्वजनिक और निजी क्षेत्र यहां महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, जैसे जाम्बिया में कोबोल्ड मेटल्स(KoBold Metals) का निवेश, जो भविष्य के प्रयासों के लिए एक मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
  • विनियामक और बुनियादी ढांचा विकास:
    • हालाँकि बाहरी साझेदारी व निवेश को बढ़ावा देना आवश्यक है, किन्तु आंतरिक विकास भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
    • अफ्रीकी देशों को विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए पारदर्शिता और स्थिरता सुनिश्चित करते हुए अपने नियामक ढांचे में सुधार करने की जरूरत है।
    • इसके अतिरिक्त, खनिजों की कुशल खोज, निष्कर्षण और परिवहन के लिए ढांचागत विकास इस महाद्वीप के लिए महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि महत्वपूर्ण खनिजों की वैश्विक आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अफ्रीका के पास निर्विवाद रूप से खनिज संपदा मौजूद है। हालाँकि, इस क्षमता को साकार करने के लिए अफ्रीकी देशों और उनके वैश्विक भागीदारों को ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है। रणनीतिक निवेश, कूटनीतिक प्रयासों और टिकाऊ और न्यायसंगत प्रथाओं पर जोर देने के साथ, अफ्रीका महत्वपूर्ण खनिजों की वैश्विक मांग को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। लेकिन, यह चुनौतियों से भरा रास्ता है और उन्हें प्रभावी ढंग से पार पाने के लिए सक्रिय रणनीतियाँ बनाना आवश्यक है।

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