Explore Our Affordable Courses

Click Here

Q. भारतीय संसद में बार-बार होने वाले व्यवधानों के अंतर्निहित कारण और परिणाम क्या हैं, और वे देश में विधायी प्रक्रिया और शासन को कैसे प्रभावित करते हैं? चर्चा कीजिए (250 शब्द, 15 अंक)

उत्तर:

दृष्टिकोण:

  • भूमिका : लोकतांत्रिक व्यवस्था में भारतीय संसद की महत्ता से शुरुआत कीजिए।
  • मुख्य भाग
    • संसदीय कार्यवाही में व्यवधान के कारणों एवं कारकों की चर्चा कीजिए।
    • इन व्यवधानों के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावों के बारे में चर्चा कीजिए, जिसमें कानून, सार्वजनिक धारणा और बहुत कुछ पर प्रभाव शामिल हैं।
    • जाँच कीजिए कि ये व्यवधान देश में समग्र कानून बनाने की प्रक्रिया और शासन की गुणवत्ता को कैसे प्रभावित करते हैं।
  • निष्कर्ष: भारत के लोकतंत्र के लिए सुचारू रूप से कार्य करने वाली संसद की अपरिहार्यता को सुदृढ़ करते हुए निष्कर्ष निकालिए।

भूमिका :

भारतीय संसद, लोकसभा और राज्यसभा से मिलकर बनती है, देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्रमुख विधायी निकाय के रूप में, इसमें महत्वपूर्ण शक्तियाँ और जिम्मेदारियाँ निहित हैं। हालाँकि, इसकी कार्यवाही में बार-बार व्यवधान एक चिंताजनक प्रवृत्ति के रूप में उभरा है, जिससे संसदीय कार्यवाही का सुचारू कामकाज प्रभावित हो रहा है। नवीनतम सत्र में लोकसभा ने अपने आवंटित समय का 54% और राज्यसभा ने सत्र के इस आधे समय में 38% कार्य किया है।

मुख्य भाग:

संसद में बार-बार व्यवधान के अंतर्निहित कारण:

  • राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता: सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा तथा वैचारिक मतभेद अक्सर टकराव का कारण बनते हैं, जिसकी परिणति व्यवधान में होती है।
  • विशिष्ट मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने की माँग: विपक्षी दल कभी-कभी उन विशिष्ट मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने के साधन के रूप में व्यवधान का सहारा लेते हैं जिनके बारे में उनका मानना है कि उन्हें पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं किया जा रहा है।
  • विवादास्पद विधेयक: विपक्ष या सत्ता पक्ष के कुछ सदस्यों का मानना है कि कुछ विधेयकों पर विवाद से संसद की कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है।
  • बाह्य घटनाएँ: संसदीय कार्यवाही से बाहर के मुद्दे, जैसे- मणिपुर जातीय हिंसा, कभी-कभी सदन में चर्चा का विषय बन जाते हैं, जिससे व्यवधान उत्पन्न होता है।
  • गठबंधन के भीतर असहमति: सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर या विपक्ष के भीतर, अलग-अलग दृष्टिकोण रखने वाली पार्टियाँ, यदि एकजुट नहीं होती हैं तो व्यवधान पैदा कर सकती हैं।

व्यवधानों के परिणाम:

  • नियम बनाने में देर करने से, कानून को लागू करने में देरी : जैसा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 की चर्चा के दौरान संसद की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा, इस प्रकार के व्यवधान महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित होने में देरी के कारक बनते हैं।
  • संसाधनों की बर्बादी: एक बाधित संसदीय सत्र के परिणामस्वरूप करदाताओं के धन की बर्बादी होती है, क्योंकि संसद चलाने के प्रत्येक मिनट में महत्वपूर्ण लागत आती है।
  • जनता के विश्वास का क्षरण: बार-बार होने वाले व्यवधान से आम नागरिकों का लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संस्थानों में विश्वास कम हो सकता है।
  • बहस के लिए मंच का नुकसान: संसद रचनात्मक बहस और चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करता है। संसद की कार्यवाही में व्यवधान राष्ट्र के प्रतिनिधियों के ज्ञान को प्रकाश में आने नहीं देते हैं।
  • शासन पर प्रभाव: महत्वपूर्ण विधेयकों के पारित नहीं होने से, शासन तंत्र प्रभावित होता है, जिससे नागरिकों के लिए लाभकारी नीतियों के कार्यान्वयन में संभावित देरी होती है।

विधायी प्रक्रिया और शासन पर प्रभाव:

  • विधायी ठहराव: महत्वपूर्ण विधेयक, जो देश की प्रगति पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं, व्यवधानों के कारण अधर में लटके रहते हैं।
  • कार्यकारी प्रभुत्व: बार-बार होने वाले व्यवधानों से संसदीय जाँच को दरकिनार किया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप एक अधिक प्रभावशाली कार्यपालिका का निर्माण हो सकता है।
  • विचार-विमर्श की राजनीति में गिरावट: व्यवधान रचनात्मक बहस को रोकते हैं, विविध इनपुट के माध्यम से बिलों को परिष्कृत करने की संभावना को कम करते हैं, जिससे संभावित रूप से उप-इष्टतम कानून का निर्माण होता है।

निष्कर्ष:

भारत जैसे संपन्न लोकतंत्र के लिए, संसद का सुचारू कामकाज अपरिहार्य है। जबकि असहमति और बहस लोकतांत्रिक व्यवस्था के आवश्यक घटक हैं, ऐसे में निरंतर व्यवधान प्रतिनिधि लोकतंत्र के सार को कमजोर करते हैं। सत्तारूढ़ दल और विपक्ष दोनों को समान आधार खोजने और यह सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता है कि राष्ट्र के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखते हुए संसद कुशलतापूर्वक कार्य करे।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Download October 2024 Current Affairs.   Srijan 2025 Program (Prelims+Mains) !     Current Affairs Plus By Sumit Sir   UPSC Prelims2025 Test Series.    IDMP – Self Study Program 2025.

 

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Download October 2024 Current Affairs.   Srijan 2025 Program (Prelims+Mains) !     Current Affairs Plus By Sumit Sir   UPSC Prelims2025 Test Series.    IDMP – Self Study Program 2025.

 

Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.