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Q. प्रशासनिक पद्धतियों में भावनात्मक बुद्धि का आप किस तरह प्रयोग करेंगे? (150 शब्द, 10 अंक)

 उत्तर:

प्रश्न हल करने का दृष्टिकोण:

  • भूमिका : भावनात्मक बुद्धिमत्ता को परिभाषित कीजिए।
  • मुख्य भाग
    • भावनात्मक बुद्धिमत्ता के घटक संक्षेप में लिखिए।
    • उल्लेख कीजिए कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता को प्रशासनिक प्रथाओं में कैसे लागू किया जा सकता है।
  • निष्कर्ष: भावनात्मक बुद्धिमत्ता के महत्व के अनुसार निष्कर्ष निकालिए।

भूमिका :

भावनात्मक बुद्धिमत्ता से तात्पर्य अपनी और दूसरों की भावनाओं को समझने और प्रबंधित करने की क्षमता से है। भावनात्मक बुद्धिमत्ता प्रशासनिक पद्धतियों में एक मूल्यवान उपकरण साबित हो सकती है क्योंकि यह प्रशासकों को पारस्परिक संबंधों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने और हितधारकों की भावनात्मक जरूरतों के प्रति संवेदनशील निर्णय लेने में मदद कर सकती है।

मुख्य भाग:

यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे भारतीय उदाहरणों के साथ भावनात्मक बुद्धिमत्ता को प्रशासनिक पद्धतियों में लागू किया जा सकता है:

  • कर्मचारियों के साथ सकारात्मक संबंध बनाना:भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी (आईएएस) टी.एस.आर.सुब्रमण्यम अपने कर्मचारियों के साथ सकारात्मक संबंध बनाने की क्षमता के लिए जाने जाते थे। वह अपने कर्मचारियों के प्रति मिलनसार और सहानुभूति रखने वाले व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे और वह उनकी चिंताओं तथा मुद्दों को समझने के लिए नियमित रूप से उनके साथ बातचीत करते थे। वे अपने कर्मचारियों की सफलताओं का जश्न भी मनाते और उन्हें विकास के अवसर प्रदान करने की कोशिश करते थे।
  • संघर्ष का कुशल प्रबंधन: पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी एक सिविल सेवक का एक प्रसिद्ध उदाहरण हैं, जिन्होंने अपनी प्रशासनिक पद्धतियों में संघर्षों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया। वह किसी संघर्ष के सभी पक्षों को सुनने, अंतर्निहित भावनाओं और मुद्दों को समझने तथा सभी पक्षों के साथ मिलकर एक ऐसा समाधान खोजने की क्षमता के लिए जानी जाती थीं जो सभी की जरूरतों को पूरा करता हो।
  • निर्णय लेना: तमिलनाडु के पूर्व मुख्य सचिव एस.परसुरामन, हितधारकों की भावनात्मक जरूरतों के प्रति संवेदनशील निर्णय लेने की क्षमता के लिए जाने जाते थे। उदाहरण के लिए, उन्होंने मृत सरकारी कर्मचारियों के परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक कार्यक्रम लागू किया, जिससे परिवारों की भावनात्मक जरूरतों को पूरा करने में मदद मिली और साथ ही अपने कर्मचारियों के प्रति सरकार की जिम्मेदारी भी पूरी हुई।
  • तनाव का प्रबंधन: एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एच.सी.वर्मा, एक ऐसे सिविल सेवक का उदाहरण हैं, जिन्होंने अपने तनाव के स्तर को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया और अपने कर्मचारियों की भलाई का समर्थन किया। वह अपने शांत व्यवहार और सकारात्मक रवैये के लिए जाने जाते थे, जिससे सकारात्मक कार्य वातावरण बनाने में मदद मिली। उन्होंने अपने कर्मचारियों को योग और ध्यान (meditation) के अवसर भी प्रदान किए, जिससे कर्मचारियों को तनाव को प्रबंधित करने में सफलता मिली।

निष्कर्ष:

अपनी प्रशासनिक पद्धतियों में भावनात्मक बुद्धिमत्ता को लागू करके, सिविल सेवक एक सकारात्मक कार्य वातावरण बना सकते हैं, संबंधों में सुधार कर सकते हैं और बेहतर निर्णय ले सकते हैं जिससे इसमें शामिल सभी लोगों को लाभ होगा।

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