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उत्तर:
दृष्टिकोण:
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परिचय:
व्यापक आर्थिक स्थिरता बनाए रखने और आर्थिक विकास को गति देने के लिए राजकोषीय अनुशासन और ठोस राजकोषीय नीतियां आवश्यक हैं। इसी संदर्भ में, भारत सरकार ने 2003 में राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम लागू किया। इस अधिनियम का उद्देश्य केंद्र में राजकोषीय अनुशासन सुनिश्चित करना, राजकोषीय घाटे को कम करना और राजकोषीय संचालन में पारदर्शिता लाना है। अनुशासित राजकोषीय दृष्टिकोण की गंभीरता पर और जोर देते हुए, राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) समीक्षा समिति की रिपोर्ट ने 2023 तक सामान्य (संयुक्त) सरकार के लिए 60% के जीडीपी अनुपात में ऋण की सिफारिश की, जिसमें केंद्र सरकार के लिए 40% और राज्य सरकारों के लिए 20% शामिल है।
मुख्य विषयवस्तु:
एफआरबीएम अधिनियम के उद्देश्य:
राजकोषीय समेकन के लिए अधिनियम के प्रमुख प्रावधान:
निष्कर्ष:
एफआरबीएम अधिनियम, 2003, राजकोषीय अनुशासन और स्थिरता स्थापित करने की दिशा में भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालाँकि इसके प्रावधानों के कड़ाई से पालन में चुनौतियाँ बनी हुई हैं, अधिनियम ने निस्संदेह पारदर्शिता, जवाबदेही और राजकोषीय विवेक के लिए एक रोडमैप सुनिश्चित करने के लिए एक संरचनात्मक ढांचा प्रदान किया है। किसी भी आर्थिक कानून की तरह, इस अधिनियम की असली परीक्षा इसके लचीले लेकिन अनुशासित कार्यान्वयन में निहित है, जो विकास अनिवार्यताओं और राजकोषीय स्थिरता के बीच संतुलन बनाता है।
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