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Q. इसरो द्वारा हाल ही में लॉन्च किए गए XPoSat और आदित्य एल1(Aditya Ll) मिशन का क्या महत्व है? ये इसरो के पिछले तकनीकी मिशनों से कैसे भिन्न हैं? (10 अंक, 150 शब्द)

उत्तर:

दृष्टिकोण:

  • प्रस्तावना: अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में इसरो के विकास और उन्नत वैज्ञानिक मिशनों में इसके हस्तक्षेप पर प्रकाश डालते हुए शुरुआत कीजिए
  • मुख्य विषयवस्तु:
    • ब्रह्मांडीय एक्स-रे ध्रुवीकरण(X-ray polarization) के अध्ययन के उद्देश्य और इसकी अनूठी तकनीकी विशेषताओं पर चर्चा कीजिए।
    • इसके द्वारा लाए गए तकनीकी नवाचारों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, सूर्य का अवलोकन करने के अपने लक्ष्य की रूपरेखा तैयार कीजिए ।
  • निष्कर्ष: सांस्कृतिक और शैक्षिक सीमाओं से परे, भविष्य के गणितज्ञों के लिए एक प्रेरणा के रूप में उनकी भूमिका को स्वीकार करते हुए निष्कर्ष निकालिए।

 

प्रस्तावना:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के एक्सपोसैट(XpoSat) और आदित्य L1(Aditya L1) मिशन भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण और वैज्ञानिक अनुसंधान क्षमताओं में महत्वपूर्ण प्रगति हैं। ये मिशन अपने उद्देश्यों और तकनीकी प्रगति में अद्वितीय हैं, जो इसरो के पिछले प्रयासों से एक अलग विकास को दर्शाते हैं।

मुख्य विषयवस्तु:

एक्सपोसैट मिशन:

  • उद्देश्य और महत्व: एक्सपोसैट( XpoSat), या एक्स-किरण ध्रुवणमापी उपग्रह (X-ray Polari meter Satellite), एक अंतरिक्ष वेधशाला है जिसे ब्रह्मांडीय एक्स-रे बैंड में एक्सरे ध्रुवीकरण का अध्ययन करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। यह अध्ययन इन विकिरणों के स्रोत की प्रकृति को समझने में महत्वपूर्ण है, जिसमें चुंबकीय क्षेत्र की ताकत और वितरण और इसके आसपास के अन्य विकिरणों की प्रकृति शामिल है।
  • तकनीकी पहलू: एक्सपोसैट में दो प्राथमिक पेलोड है: उपग्रह में दो मुख्य पेलोड POLIX (एक्स-किरण में ध्रुवणमापी उपकरण) तथा XSPECT (एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी और समय) मौजूद हैं। एक्स-रे में पोलारिमीटर उपकरण (POLIX)  लगभग 50 प्रदीप्त खगोलीय स्रोतों/पिंडों का निरीक्षण करेगा, जबकि XSPECT विभिन्न पदार्थों द्वारा उत्पन्न विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम का अध्ययन करेगा और यह 1-20 केवी बैंड में वर्णक्रमीय रिज़ॉल्यूशन प्रदान करता है।
  • पिछले मिशनों से भिन्नता: पूर्व के इसरो मिशनों के विपरीत, जो अक्सर पृथ्वी के अवलोकन या संचार पर ध्यान केंद्रित करते थे, एक्सपोसैट  गहरे अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए समर्पित है। यह खगोल भौतिकीय घटनाओं का अध्ययन करने के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग करता है, एक ऐसा क्षेत्र जिसका पूर्व में इसरो द्वारा व्यापक रूप से अन्वेषण नहीं किया गया था।

आदित्य एल1 मिशन:

  • उद्देश्य और महत्व: आदित्य एल1 इसरो का प्रथम सौर अवलोकन मिशन है। इस मिशन का उद्देश्य सौर कोरोना (Solar Corona), प्रकाशमंडल (Photosphere), क्रोमोस्फीयर (Chromosphere) और सौर पवन (Solar Wind) और सौर चुंबकीय तूफानों का अध्ययन करना है। इससे यह ज्ञात हो सकेगा कि इन सभी का पृथ्वी के चारों ओर अंतरिक्ष पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है।
  • तकनीकी पहलू: यह मिशन कोरोनल हीटिंग, सौर पवन त्वरण और निकट-यूवी सौर विकिरण जैसे पहलुओं को मापने के लिए सात वैज्ञानिक पेलोड ले जाता है। ये उपकरण सूर्य की गतिशीलता और पृथ्वी के वायुमंडल पर इसके प्रभाव को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • पिछले मिशनों से भिन्नता: आदित्य एल1 इसरो के फोकस में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है, जो हेलियोफिजिक्स और सौर अवलोकन में प्रवेश करता है, जो संगठन के लिए एक नया क्षेत्र है। यह अपनी कक्षा में भी अद्वितीय है, पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर L1 लैग्रेंज बिंदु पर स्थित है। गौरतलब है कि L1 को सौर अवलोकन के लिये लैग्रेंज बिंदुओं में सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है। L1 के आस पास प्रभामंडल कक्षा में रखा गया उपग्रह, सूर्य का बिना किसी प्रच्छादन/ग्रहण के लगातार अवलोकन करने में मदद करता है।

निष्कर्ष:

एक्सपोसैट और आदित्य L1 मिशन इसरो की तकनीकी और वैज्ञानिक क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण सफलता अर्जित कर रहे हैं। ये गहन अंतरिक्ष अन्वेषण की दिशा में भारत के लिए नए द्वार खोल रहे हैं और वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के लिए मूल्यवान ज्ञान का योगदान भी कर रहे हैं। ये मिशन मुख्य रूप से पृथ्वी-केंद्रित मिशनों से व्यापक, अधिक जटिल अंतरिक्ष अन्वेषण उपक्रमों तक इसरो के विकसित प्रक्षेप पथ को रेखांकित करते हैं।

 

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