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Q. विवेकानन्द ने कहा था, "लंबी चौड़ी बातों के बजाय थोड़ा कुछ कर दिखाना , लाख गुना अच्छा है।"दैनिक जीवन में नैतिक सिद्धांतों के अनुप्रयोग के लिए व्यावहारिक रणनीतियों के बारे में भी लिखिये। (10 अंक, 150 शब्द) अतिरिक्त

उत्तर:

प्रश्न हल करने का दृष्टिकोण

  • भूमिका
    • उद्धरण के सार के बारे में संक्षेप में लिखें।
  • मुख्य भाग
    • लिखें कि क्यों “ लंबी चौड़ी बातों के बजाय थोड़ा कुछ कर दिखाना , लाख गुना अच्छा है। “।
    • दैनिक जीवन में नैतिक सिद्धांतों के अनुप्रयोग के लिए व्यावहारिक रणनीतियाँ लिखें।
  • निष्कर्ष
    • इस संबंध में उचित निष्कर्ष दीजिए।

 

भूमिका

विवेकानन्द के उपरोक्त उद्धरण का सार इस मान्यता में निहित है कि नैतिक कार्य पर्याप्त महत्व रखते हैं, जो महज़ सैद्धांतिक चिंतन से परे हैं और हमें अपने दैनिक जीवन में नैतिक सिद्धांतों को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं।

मुख्य भाग

इस कहावत को विभिन्न सन्दर्भों में इस प्रकार देखा जा सकता है

  • व्यावहारिक अनुभव गहरी समझ की ओर ले जाता है: उदाहरण के लिए, सहानुभूति के बारे में अध्ययन करना मूल्यवान है, लेकिन वास्तव में दूसरों के प्रति सहानुभूति का अभ्यास करने से इसके प्रभाव की वास्तविक समझ को बढ़ावा मिलता है।
  • इरादे-कार्रवाई के अंतर को समाप्त करना : सिद्धांत अक्सर इरादों तक ही सीमित रहता है, जबकि अभ्यास के लिए ठोस कार्रवाई करने की आवश्यकता होती है। नैतिक व्यवहार और निर्णय लेने के माध्यम से ही सिद्धांत प्रकट होते हैं और दुनिया में सकारात्मक बदलाव लाते हैं।
  • नैतिक चरित्र का विकास: व्यावहारिक अनुप्रयोग व्यक्तियों को ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और करुणा जैसे गुणों को विकसित करने की अनुमति देता है। महात्मा गांधी का अहिंसक प्रतिरोध का दर्शन उनके व्यावहारिक अनुप्रयोग के माध्यम से शक्तिशाली बन गया।
  • वास्तविक दुनिया के परिणामों का आकलन करना: सैद्धांतिक रूपरेखाएँ  वास्तविक जीवन की नैतिक दुविधाओं की जटिलताओं को पूरी तरह से समझ नहीं सकतीं हैं। 2008 के बैंकिंग संकट ने वित्तीय क्षेत्र में व्यावहारिक जोखिम मूल्यांकन और नैतिक आचरण की आवश्यकता को स्पष्ट किया।
  • समस्या-समाधान कौशल को बढ़ाना: स्वच्छ भारत अभियान ने केवल सैद्धांतिक योजनाओं पर निर्भर रहने के बजाय शौचालयों के निर्माण और अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों जैसे व्यावहारिक उपायों के माध्यम से सफलता हासिल की।
  • विश्वास और विश्वसनीयता का निर्माण: उदाहरण के लिए, भारत में सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रति टाटा समूह की प्रतिबद्धता, जिसका उदाहरण टाटा साल्ट के आयोडीकरण कार्यक्रम जैसी पहलों से मिलता है, जिससे उन्होंने विश्वसनीयता और ग्राहक निष्ठा अर्जित की है।
  • सार्थक परिवर्तन लाना: भारत में चिपको आंदोलन , जहां ग्रामीणों ने वनों की कटाई को रोकने के लिए पेड़ों को गले लगाया, पर्यावरणीय नैतिकता की एक व्यावहारिक अभिव्यक्ति थी जिसने नीतियों को प्रभावित किया और विश्व स्तर पर इसी तरह के आंदोलनों को प्रेरित किया ।

दैनिक जीवन में नैतिक सिद्धांतों के अनुप्रयोग के लिए व्यावहारिक रणनीतियाँ

  • ईमानदारी और सत्यनिष्ठा का अभ्यास : उदाहरण के लिए, आईएएस अधिकारी यू. सागयम के कार्यालय के बाहर लगे बोर्ड पर लिखा है, “रिश्वत अस्वीकार करें, अपना सिर ऊंचा रखें”।
  • दूसरों के लिए सम्मान: व्यक्तियों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करें, चाहे उनकी पृष्ठभूमि, जाति या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो।
  • निष्पक्षता और न्याय: अपने दैनिक जीवन में न्याय के प्रचार-प्रसार के लिए लोगों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार करें और सामाजिक न्याय को बढ़ावा दें। उदाहरण के लिए, भेदभाव के खिलाफ लड़ने और समानता को बढ़ावा देने वाले संगठनों का समर्थन जैसे कि इला भट्ट  द्वारा स्थापित सेवा (SEWA)।
  • करुणा और सहानुभूति: वैश्विक आंदोलन “रैंडम एक्ट्स ऑफ काइंडनेस” जैसी पहल व्यक्तियों को दयालुता के छोटे-छोटे कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करती है, जैसे कि किसी जरूरतमंद की मदद करना, जो सहानुभूति और नैतिक व्यवहार को बढ़ावा देता है।
  • नैतिक नेतृत्व: अपनी व्यक्तिगत और व्यावसायिक भूमिकाओं में सत्यनिष्ठा, पारदर्शिता और जवाबदेही का प्रदर्शन करके नैतिक नेतृत्व का अभ्यास करें। विश्व स्तर पर, विश्व आर्थिक मंच सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए नैतिक नेतृत्व सिद्धांतों पर जोर देता है।
  • स्वयंसेवा और सामुदायिक सहभागिता: स्वयंसेवी गतिविधियों में संलग्न रहें जो आपके समुदाय को लाभान्वित करती हैं, जैसे स्थानीय आश्रयों में मदद करना या सामुदायिक सफाई अभियान में भाग लेना।
  • आजीवन सीखना और नैतिक जागरूकता: टेक्सास विश्वविद्यालय के “एथिक्स अनरैप्ड” कार्यक्रम जैसे नैतिकता के लिए समर्पित मंचों, कार्यशालाओं या ऑनलाइन प्लेटफार्मों में भाग लेने से दैनिक जीवन में नैतिक सिद्धांतों की गहरी समझ विकसित करने में मदद मिलती है।

निष्कर्ष

समग्र रूप से, व्यावहारिक अनुप्रयोग के माध्यम से, व्यक्ति गहरी समझ विकसित करते हैं, गुणों का विकास करते हैं, परिणामों का आकलन करते हैं और सार्थक परिवर्तन लाते हैं। इन रणनीतियों को दैनिक दिनचर्या में शामिल करके, कोई भी भारत और वैश्विक स्तर पर एक अधिक नैतिक समाज में योगदान दे सकता है।

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