दृष्टिकोण :
भूमिका
● दृष्टिकोण और व्यवहार के बीच संबंध के बारे में संक्षेप में लिखें।
मुख्य भाग
● लिखें कि अभिवृत्ति की संरचना और तत्व, व्यवहार को कैसे प्रभावित करती है।
● लोक सेवकों में पारदर्शिता और जवाबदेही के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के तरीके लिखें।
निष्कर्ष
● इस संबंध में उचित निष्कर्ष दीजिए। |
भूमिका
अभिवृत्ति और व्यवहार के बीच जटिल और द्विदिशात्मक संबंध है । यह गतिशील अंत:क्रिया अक्सर इस बात को प्रभावित करती है कि व्यक्ति, विभिन्न स्थितियों और वातावरणों पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं। अभिवृत्ति किसी व्यक्ति की वस्तुओं, लोगों और स्थितियों का पक्ष लेने या विरोध करने की भावनाओं या प्रवृत्ति को संदर्भित करती है, जबकि व्यवहार वह तरीका है जिसमें कोई व्यक्ति विशेष रूप से दूसरों के प्रति कार्य करता है या आचरण करता है।
मुख्य भाग
वे तरीके जिनसे अभिवृत्ति की संरचना और सामग्री,लोगों के व्यवहार को प्रभावित करती है:
व्यवहार को प्रभावित करने वाले दृष्टिकोण की संरचना
- संज्ञानात्मक घटक: इसमें किसी विषय के बारे में व्यक्ति की मान्यताएं और विचार शामिल होते हैं, जो व्यवहार को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, ‘डू नो हार्म’ के नैतिक सिद्धांत में विश्वास करने वाले व्यक्ति के हानिकारक व्यवहार में शामिल होने की संभावना कम होती है। उनकी संज्ञानात्मक समझ उनके कार्यों का मार्गदर्शन करती है।
- भावात्मक घटक: भावनाएँ इस घटक के केंद्र में होती हैं। उदाहरण के लिए: दूसरों की पीड़ा (सहानुभूति) के प्रति मजबूत भावनात्मक प्रतिक्रिया करने वाला व्यक्ति सामाजिक कारणों के लिए स्वेच्छा से काम करने जैसे परोपकारी व्यवहार प्रदर्शित करने की अधिक संभावना रखता है ।
- व्यवहारिक घटक: यह किसी व्यक्ति के इरादों और कुछ निश्चित तरीकों से कार्य करने की प्रवृत्ति को दर्शाता है, जो अक्सर उनकी नैतिक मान्यताओं के साथ जुड़ा होता है। उदाहरण के लिए: कोई व्यक्ति जो न्याय को महत्व देता है, वह अपने नैतिक रुख के अनुरूप व्यवहार का प्रदर्शन करते हुए सामाजिक असमानताओं के खिलाफ अभियानों में सक्रिय रूप से भाग ले सकता है।
व्यवहार को प्रभावित करने वाले अभिवृत्ति के तत्व
- विश्वास: ये दृढ़ विश्वास या स्वीकृति हैं कि कुछ चीजें सत्य या वास्तविक होती हैं। उदाहरण के लिए, समानता (समतावाद) में विश्वास अक्सर ऐसे व्यवहारों की ओर ले जाता है जो भेदभाव-विरोधी नीतियों का समर्थन करते हैं ।
- मूल्य: ये मूल सिद्धांत हैं जो किसी व्यक्ति के व्यवहार को निर्देशित करते हैं। उदाहरण के लिए: ‘स्वायत्तता’ को महत्व देने वाला व्यक्ति व्यक्तिगत अधिकारों और स्वतंत्रता की वकालत कर सकता है , जो सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में उनके व्यवहार को प्रभावित कर सकता है।
- भावनाएँ: किसी व्यक्ति की किसी स्थिति के प्रति भावनाएँ उसके व्यवहार को गहराई से प्रभावित कर सकती हैं। उदाहरण के लिए: करुणा, नैतिकता में एक प्रमुख भावना, व्यक्तियों को धर्मार्थ गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित कर सकती है , जो दूसरों की जरूरतों के प्रति भावनात्मक प्रतिक्रियाओं से गहराई से प्रभावित व्यवहार को दर्शाती है।
लोक सेवकों में पारदर्शिता और जवाबदेही के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के तरीके
- नैतिकता प्रशिक्षण: पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्व पर ध्यान केंद्रित करते हुए, लोक सेवकों के लिए व्यापक नैतिकता प्रशिक्षण लागू करना चाहिए। उदाहरण के लिए, भारत के केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा विकसित प्रशिक्षण मॉड्यूल को एक मॉडल के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
- सार्वजनिक मंच: सार्वजनिक मंच और टाउन हॉल बैठकें आयोजित करने चाहिए, जिससे नागरिकों को लोक सेवकों के साथ सीधे बातचीत करने का मौका मिले। सार्वजनिक जुड़ाव बढ़ाने के लिए स्वच्छ भारत अभियान में इस दृष्टिकोण का प्रभावी ढंग से उपयोग किया गया था ।
- पारदर्शी प्रणालियाँ: भारत में केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) जैसी प्रणालियाँ लागू करनी चाहिए , जो नागरिकों को शिकायतों को ट्रैक करने की अनुमति देती हैं, जिससे सरकारी प्रतिक्रियाओं में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलता है।
- ई-गवर्नेंस पहल: सेवाओं में प्रत्यक्ष मानवीय हस्तक्षेप को कम करके पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार को कम करने के लिए डिजिटल इंडिया जैसी ई-गवर्नेंस पहल का विस्तार करना चाहिए ।
- पुरस्कार प्रणाली: ‘लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधान मंत्री पुरस्कार’ के समान, उच्च स्तर की पारदर्शिता और जवाबदेही प्रदर्शित करने वाले लोक सेवकों के लिए पुरस्कार और मान्यता स्थापित करनी चाहिए।
- सामुदायिक जुड़ाव: लोक सेवकों को स्थानीय समुदायों के साथ जुड़ने, उनकी जरूरतों और चिंताओं को समझने के लिए प्रोत्साहित करें, जिसे ‘भारत निर्माण स्वयंसेवक’ पहल जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से सुविधाजनक बनाया जा सकता है।
निष्कर्ष
निष्कर्षत: व्यवहार को आकार देने में, विशेषकर सार्वजनिक सेवा के क्षेत्र में, अभिवृत्ति की संरचना और तत्व को समझना महत्वपूर्ण है। नैतिक प्रशिक्षण, सार्वजनिक जुड़ाव और प्रणालीगत सुधारों के माध्यम से पारदर्शिता और जवाबदेही को महत्व देने वाली अभिवृत्ति को बढ़ावा देकर , हम एक अधिक नैतिक, उत्तरदायी और जिम्मेदार सार्वजनिक प्रशासन विकसित कर सकते हैं, जो अंततः एक अधिक न्यायसंगत और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण कर सकता है।
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