चाबहार बंदरगाह पर भारत-ईरान सहयोग

PWOnlyIAS

November 29, 2023

संदर्भ:

  • हाल ही में भारतीय विदेश सचिव की ईरान यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच रणनीतिक चाबहार बंदरगाह (Chabahar Port) के माध्यम से कनेक्टिविटी बढ़ाने और हमास तथा इज़रायल के बीच संघर्ष से उत्पन्न अस्थिरता को संबोधित करने से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गई।

संबंधित तथ्य:

  • इस यात्रा के दौरान विदेश सचिव ने ईरान के उप-विदेश मंत्री के साथ ‘भारत-ईरान विदेश कार्यालय परामर्श’ (India-Iran Foreign Office Consultations- FOC) की एक बैठक की सह-अध्यक्षता भी की। 
  • FOC के तहत दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े मुद्दों जैसे-चाबहार बंदरगाह, राजनीतिक जुड़ाव, व्यापार एवं आर्थिक संबंध, क्षमता निर्माण पहल आदि पर चर्चा की।

चाबहार बंदरगाह:

  • ईरान के ऊर्जा संपन्न दक्षिणी तट के साथ सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार बदरगाह दक्षिण-पूर्वी ईरान में ओमान की खाड़ी के मुहाने पर अवस्थित है, यह ईरान का एकमात्र गहरे समुद्र का बंदरगाह है, जो ईरान को समुद्री तक पहुँच प्रदान करता है।
  • यह भारतीय उपमहाद्वीप को अफगानिस्तान के साथ-साथ किर्गिस्तान एवं उज़्बेकिस्तान जैसे मध्य एशियाई देशों से जोड़ने के लिए एक आदर्श रणनीतिक स्थान है।
  •  भारत सरकार द्वारा चाबहार बंदरगाह के विकास हेतु वर्ष  2003 में पहले समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
  • भारत सरकार द्वारा अफगानिस्तान के दक्षिण में जरांज-डेलाराम राजमार्ग का निर्माण किया गया, जो ईरान की सीमा से व्यापार मार्ग को हेरात और काबुल के मुख्य व्यापार मार्गों से जोड़ने में मदद करेगा, इसे वर्ष 2009 में अफगान सरकार को सौंप दिया गया था।
  • भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ‘इंडिया पोर्ट ग्लोबल लिमिटेड’ (India Port Global Limited) द्वारा ‘शाहिद बेहेश्ती’ (Shahid Beheshti)  टर्मिनल का संचालन किया जाता है।
  • वर्ष 2016 में, भारत ने बंदरगाह के विकास के लिए $85 मिलियन की प्रतिबद्धता के साथ $150 मिलियन  की क्रेडिट लाइन भी दी थी। वर्ष 2023 तक, भारत ने बंदरगाह के विकास के लिए $25 मिलियन  की छह गैन्ट्री क्रेन की आपूर्ति की है।
  • भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह के विस्तार योजना के चरण-2 के हिस्से के तहत शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल में ‘सार्वजनिक-निजी साझेदारी’ (PPP) के माध्यम से निवेश बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। 

Chabahar Port

भारत के लिये महत्त्व:  

  • भौगोलिक अवस्थिति: पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से मात्र 72 किलोमीटर पश्चिम में स्थित चाबहार बंदरगाह भारत के लिये रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। 
  • मध्य एशिया के लिये वैकल्पिक मार्ग : चाबहार बंदरगाह ईरान के साथ-साथ  मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने में सहायता प्राप्त होगी।   
  • यूरेशिया तक पहुँच: भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह को ‘अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन काॅरिडोर’ (International North–South Transport Corridor- INSTC) में शामिल करने की माँग की गई है, जो भारत और युरेशिया के बीच परिवहन को मज़बूत करेगा।
    • INSTC भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल ढुलाई के लिये 7,200 किलोमीटर की मल्टी-मोड परिवहन परियोजना है। INSTC के माध्यम से भारत और रूस के बीच माल ढुलाई की लागत को लगभग 30% तक एवं पारगमन समय को मौजूदा 40 दिनों से आधे से अधिक कम करने का अनुमान है। 
    • INSTC की शुरुआत 12 सितंबर, 2000 को रूस, ईरान और भारत के बीच हस्ताक्षरित एक अंतरसरकारी समझौते के तहत की गई थी।  
  • चीन के बढ़ते प्रभुत्व पर नियंत्रण: चाबहार बंदरगाह के संचालन के माध्यम से अरब सागर में चीन के बढ़ते प्रभुत्व (चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा’ व ‘बेल्ट एंड रोड पहल’ आदि के माध्यम से) को सीमित करने में सहायक हो सकता है।  
  • क्षमता:   अप्रैल-सितंबर 2023 के बीच शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल पर कंटेनर कार्गो हैंडलिंग 25,788 टीईयू (Twenty Equivalent Units- TEUs)  और थोक कार्गो हैंडलिंग 1.5 मिलियन टन था। जो वर्ष 2023 के इसके लक्ष्य 13,282 TEUs से अधिक है।

चुनौतियाँ: 

  • दीर्घकालिक अनुबंध का अभाव:  वर्तमान में इस बंदरगाह टर्मिनल के संचालन  हेतु अनुबंध को प्रतिवर्ष  नवीनीकृत किया जाना आवश्यक है । 
  • धीमी प्रगति: ईरान ने भारत द्वारा इस परियोजना के विकास की धीमी प्रगति पर असंतोष व्यक्त किया है।
  • प्रतिबंध:  पश्चिमी देशों (विशेषकर अमेरिका) के साथ  ईरान के संबंधों में तनाव को इस परियोजना में सबसे बड़ी बाधा के रूप में देखा जाता है। 
    • वर्ष 2018 में अमेरिका द्वारा ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से अलग होते हुए ईरान पर नए  प्रतिबंधों  की घोषणा की जिसके बाद भारत को ईरान से अपने तेल आयात को लगभग शून्य करना पड़ा, हालाँकि इस प्रतिबंध में चाबहार को विशेष छूट दी गई परंतु इससे बंदरगाह का विकास कार्य बहुत ही कठिन हो गया। 
  • चीन का बढ़ता प्रभुत्व: हाल के वर्षों में ईरान में चीन का बढ़ता प्रभुत्व भारत के लिये एक चिंता का विषय है, ध्यातव्य है कि वर्ष 2021 में ईरान ने चीन के साथ 25 वर्ष की लंबी अवधि के लिये  $400 अरब के रणनीतिक एवं आर्थिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। 

आगे की राह: 

  • ब्रिक्स समूह में ईरान को सदस्य बनाए जाने के निर्णय को भारत-ईरान संबंधों में एक सकारात्मक प्रगति के रूप में देखा जाता है।
  • भारत को चाबहार बंदरगाह पर दीर्घकालिक अनुबंध को बढ़ावा देने के साथ अमेरिका और ईरान के साथ अपने संबंधों के संतुलन को बनाए रखने पर विशेष ज़ोर देना होगा।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Aiming for UPSC?

Download Our App

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.