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आनुवंशिक संसाधन और संबद्ध पारंपरिक ज्ञान

Lokesh Pal May 28, 2024 03:06 110 0

संदर्भ

‘बौद्धिक संपदा, आनुवंशिक संसाधनों एवं पारंपरिक ज्ञान पर संधि’ (Treaty on Intellectual Property, Genetic Resources, and Traditional Knowledge) को विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (World Intellectual Property Organization- WIPO) के राजनयिक सम्मेलन में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में इसके मुख्यालय में अपनाया गया था।

संधि की पृष्ठभूमि

  • इतिहास: राजनयिक सम्मेलन ने वर्ष 2021 में शुरू हुई वार्ता के अंतिम चरण को चिह्नित किया। यह संधि वर्ष 1999 में कोलंबिया के एक प्रस्ताव पर आधारित है। 
    • यह WIPO के तहत 27वीं एवं पिछले 10 वर्षों में पहली संधि है।
  • पहली WIPO संधि: यह पहली WIPO संधि है, जिसमें विशेष रूप से स्वदेशी लोगों एवं स्थानीय समुदायों के लिए प्रावधान शामिल हैं। 
    • यह महत्त्वपूर्ण है क्योंकि वर्तमान कानूनों के तहत, जबकि आनुवंशिक संसाधनों को स्वयं पेटेंट नहीं कराया जा सकता है, उनका उपयोग करके विकसित किए गए आविष्कारों को संरक्षित किया जा सकता है।
  • संधि वार्ता में भारत की भूमिका: इन वार्ताओं के दौरान भारत ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत एकमात्र देश था, जिसने संधि वार्ता के लिए आधार पाठ पर एक विस्तृत पेपर तैयार किया था।

भारत के लिए संधि का महत्त्व

  • समृद्ध जैव विविधता और पारंपरिक ज्ञान: यह संधि भारत के लिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि देश के पास वैश्विक जैव विविधता का 7-8 प्रतिशत एवं इन आनुवंशिक संसाधनों पर आधारित ज्ञान का समृद्ध भंडार है।
  • सुरक्षा बढ़ाना: वैश्विक दुरुपयोग के खिलाफ भारत के आनुवंशिक संसाधनों एवं पारंपरिक ज्ञान के लिए कानूनी सुरक्षा उपायों को मजबूत करना।
    • उदाहरण के लिए, पूर्वी भारत की मूल उष्णकटिबंधीय जड़ी-बूटी एवं व्यापक रूप से दवा तथा खाद्य सामग्री के रूप में उपयोग की जाने वाली हल्दी के पेटेंट अधिकार मिसिसिपी मेडिकल सेंटर विश्वविद्यालय को प्रदान किए गए थे।
    • इसके अतिरिक्त, भारत ने अतीत में नीम एवं भारतीय बासमती चावल के लिए दिए गए पेटेंट पर चिंता जताई है।
  • वैश्विक स्वीकृति: यह संधि भारत के पारंपरिक ज्ञान को अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक संपदा ढाँचे में शामिल करेगी।

‘बौद्धिक संपदा, आनुवंशिक संसाधन एवं संबद्ध पारंपरिक ज्ञान पर संधि’ के संबंध में मुख्य प्रावधान

  • प्रकटीकरण की आवश्यकता: इसमें पेटेंट आवेदकों को मूल देश या स्रोत का खुलासा करने की आवश्यकता होती है, जब उनके आवेदन में आनुवंशिक संसाधन शामिल होते हैं।
  • पारंपरिक ज्ञान प्रदाताओं का खुलासा: यदि आनुवंशिक संसाधनों से जुड़ा पारंपरिक ज्ञान शामिल है तो आवेदक को इसे प्रदान करने वाले स्वदेशी लोगों या स्थानीय समुदाय की पहचान करनी होगी।
  • पेटेंट में आनुवंशिक संसाधन: औषधीय पौधों एवं कृषि फसलों वाली इकाइयों में मौजूद आनुवंशिक संसाधनों का उपयोग अक्सर पेटेंट किए गए आविष्कारों में किया जाता है, भले ही संसाधनों का स्वयं पेटेंट नहीं किया जा सकता है।
  • कानूनी ढाँचे की स्थापना: एक बार जब 15 अनुबंधित पक्षों ने इसकी पुष्टि कर दी, तो संधि एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी ढाँचा स्थापित करेगी। 
    • इस ढाँचे के लिए पेटेंट आवेदकों को आनुवंशिक संसाधनों की उत्पत्ति एवं उनके आविष्कारों में उपयोग किए गए संबंधित पारंपरिक ज्ञान का खुलासा करने की आवश्यकता होगी।

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (World Intellectual Property Organization)

  • परिचय: यह जिनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित एक संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है, जिसे वर्ष 1967 में WIPO कन्वेंशन द्वारा स्थापित किया गया था।
  • उद्देश्य: इसका लक्ष्य एक अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (IP) प्रणाली के निर्माण का मार्गदर्शन करना है, जो सभी के लाभ के लिए नवाचार एवं रचनात्मकता को बढ़ावा देता है।
  • WIPO सदस्यता एवं पर्यवेक्षक: WIPO के 193 सदस्य देश हैं।
    • फिलिस्तीन को स्थायी पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है। 
    • WIPO की बैठकों में आधिकारिक पर्यवेक्षकों के रूप में 281 NGO, 47 IGO, 17 संयुक्त राष्ट्र प्रणाली संगठन एवं 10 IP संगठन भी शामिल हैं। 
    • भारत वर्ष 1975 में WIPO में शामिल हुआ।
  • कार्य: यह एक विश्वव्यापी नीति मंच के रूप में कार्य करता है, जहाँ सरकारें, अंतरसरकारी संगठन, उद्योग समूह एवं नागरिक समाज उभरते IP मुद्दों से निपटने के लिए एकत्रित होते हैं।
  • संगठनात्मक संरचना: सदस्य राष्ट्र एवं पर्यवेक्षक विभिन्न स्थायी समितियों तथा कार्य समूहों में नियमित रूप से मिलते हैं। 
    • इन मंचों के भीतर, वे अंतरराष्ट्रीय IP प्रणाली को बदलती दुनिया के साथ जोड़े रखने के लिए आवश्यक समायोजन एवं नए नियमों पर बातचीत करते हैं। 
    • यह सुनिश्चित करता है कि सिस्टम नवाचार एवं रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित रहे।
  • प्रकाशन: अन्य संस्थानों के अलावा, INSEAD, कॉर्नेल यूनिवर्सिटी एवं विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) द्वारा संकलित ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (Global Innovation Index), देशों की नवाचार क्षमता तथा सफलता का मूल्यांकन करता है।

WIPO-प्रशासित संधियाँ

नाम

उद्देश्य

भारत की अनुसमर्थन स्थिति

बुडापेस्ट संधि

संधि में भाग लेने वाले सभी राज्य पेटेंट प्रक्रिया के एक भाग के रूप में जमा किए गए सूक्ष्मजीवों को पहचानने के लिए बाध्य हैं, भले ही डिपॉजिटरी प्राधिकरण कहीं भी स्थित हो।

भारत ने इस संधि का अनुमोदन कर दिया है।
WIPO प्रदर्शन एवं फोनोग्राम संधि WIPO प्रदर्शन एवं फोनोग्राम संधि (WPPT) डिजिटल क्षेत्र में दो मुख्य समूहों के अधिकारों को संबोधित करती है:- 

  • कलाकार (जैसे अभिनेता, गायक, संगीतकार, आदि) एवं 
  • फोनोग्राम के निर्माता (ध्वनियाँ रिकॉर्ड करने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति या संस्थाएँ)।
भारत इस समझौते में एक पक्ष बन गया है।
मार्क्स के अंतरराष्ट्रीय पंजीकरण के लिए मैड्रिड प्रोटोकॉल यह एक ही एप्लिकेशन के माध्यम से ट्रेडमार्क के वैश्विक पंजीकरण की अनुमति देता है, जिसमें कई देश शामिल हो सकते हैं। भारत प्रोटोकॉल का एक पक्ष बन गया है।
WIPO कॉपीराइट संधि

यह बर्न कन्वेंशन के तहत एक विशेष समझौता है, जो डिजिटल वातावरण में कार्यों एवं उनके लेखकों के अधिकारों की सुरक्षा से संबंधित है।

भारत ने इस संधि का अनुमोदन कर दिया है।

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