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मान्यता प्राप्त प्रतिपूरक वनरोपण

Lokesh Pal August 21, 2024 02:55 62 0

संदर्भ

कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Limited-CIL) की सहायक कंपनी ‘साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड’ (South Eastern Coalfields Limited-SECL) ने मान्यता प्राप्त प्रतिपूरक वनरोपण (Accredited Compensatory Afforestation-ACA) दिशा-निर्देशों को सफलतापूर्वक लागू किया है। 

SECL की प्रमुख उपलब्धियाँ

  • ACA के लिए पहचान: ACA दिशा-निर्देशों के जवाब में SECL ने लगभग 2,245 हेक्टेयर वन-रहित गैर-वन-कोयला भूमि की पहचान की, जिसमें से 1,424 हेक्टेयर छत्तीसगढ़ में और 821 हेक्टेयर मध्य प्रदेश में है। 
  • ACA भूमि बैंक: इन भूमियों की पहचान ACA के लिए उपयुक्त के रूप में की गई तथा इन्हें ACA भूमि बैंक के रूप में अधिसूचना हेतु संबंधित राज्य वन विभागों को प्रस्तावित किया गया।
  • जैविक पुनरुद्धार और वृक्षारोपण (Biological Reclamation and Plantation): इसने छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कोयला रहित भूमि को स्थानीय प्रजातियों जैसे सागौन, साल, बबूल, नीम और अन्य के साथ समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र में बदलने के लिए परियोजनाएँ शुरू की हैं। 
  • जैव विविधता संवर्द्धन (Biodiversity Enrichment): पुनः प्राप्त भूमि पर अब वनस्पतियों और जीवों की समृद्ध विविधता पाई जाती है, जिसमें स्लॉथ भालू, लोमड़ी और विभिन्न सरीसृप और प्रवासी पक्षी जैसी प्रजातियाँ शामिल हैं, जो विशेष रूप से जल निकायों के आसपास के क्षेत्र में फिर से बस गए हैं। 

‘मान्यता प्राप्त प्रतिपूरक वनरोपण’ दिशा-निर्देशों के बारे में 

  • ACA सक्रिय वनरोपण की एक प्रणाली है, जहाँ गैर-वनीय भूमि पर अग्रिम रूप से लगाए गए वनरोपण का उपयोग वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 की धारा 2 के तहत पूर्व अनुमोदन प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है। 
  • वन सलाहकार समिति (Forest Advisory Committee-FAC) की सिफारिश के बाद दिशा-निर्देश अधिसूचित किए गए और 24 जनवरी, 2023 को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किए गए। 
  • ACA के लिए प्रस्ताव ऑनलाइन प्रस्तुतीकरण, प्रसंस्करण और वेब पोर्टल पर अनुमोदन के रूप में होंगे।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य वन मंजूरी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना, प्रतिपूरक वनरोपण लागत को कम करना और वनरोपण प्रयासों को बढ़ाना है।  
  • ACA दिशा-निर्देश सरकारी संस्थाओं और निजी भूमि मालिकों दोनों को बंजर भूमि पर वनरोपण करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जिससे वनों के बाहर वृक्षों (Trees Outside Forests- TOF) की संख्या में वृद्धि होगी और जैव विविधता को बढ़ावा मिलेगा। 
  • ACA बढ़ाने की पूर्व शर्तें
    • वह भूमि जिस पर वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के प्रावधान लागू नहीं होते हैं तथा जो सभी भारों से मुक्त है, उसे ACA के लिए विचार किया जाना चाहिए। 
    • खनन से निकाली गई और जैविक रूप से पुनः प्राप्त गैर-वनीय भूमि सहित गैर-वनीय भूमि, जिसका स्वामित्व राज्य PSU या केंद्रीय PSU के पास है, पर भी ACA के लिए विचार किया जा सकता है।
    • भूमि का सीमांकन: भूमि का उचित रूप से सीमांकन और बाड़ लगाना चाहिए ताकि विभिन्न जैविक कारकों से इसकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। 
    • न्यूनतम क्षेत्र: ऐसी भूमि का न्यूनतम क्षेत्रफल दस हेक्टेयर होना चाहिए, तभी उस पर ACA के अंतर्गत वनरोपण के लिए विचार किया जा सकेगा। 
    • छत्र घनत्व: वनरोपण को ACA में गिना जाएगा यदि ऐसी भूमि पर वनस्पति मुख्य रूप से वृक्षों से बनी है, जिनका छत्र घनत्व 0.4 या उससे अधिक है तथा वृक्ष कम से कम पाँच वर्ष पुराने हैं।

प्रतिपूरक वनरोपण (Compensatory Afforestation)

  • प्रतिपूरक वनरोपण एक ऐसी व्यवस्था है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा गैर-वनीय उपयोग के लिए वन भूमि को अनारक्षित करने या उसके स्थानांतरण के प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण शर्तों में से एक के रूप में निर्धारित किया गया है। 
  • प्रतिपूरक वनरोपण निधि अधिनियम, 2016: इस अधिनियम के तहत यह सुनिश्चित कर दिया गया है कि समतुल्य भूमि के नए टुकड़ों को परियोजना डेवलपर्स (सार्वजनिक या निजी) द्वारा वनों के रूप में विकसित करने के लिए चिह्नित किया जाए तथा इन नई भूमियों पर संपूर्ण वनरोपण गतिविधियों को वित्तपोषित करना आवश्यक हो। 
    • शुद्ध वर्तमान मूल्य (NPV): परियोजना डेवलपर्स को एक विशेषज्ञ समिति द्वारा तय की गई गणना के आधार पर, साफ किए जा रहे वनों का शुद्ध वर्तमान मूल्य (NPV) भी चुकाना होता है।
      • वर्तमान में कंपनियों को प्रति हेक्टेयर 9.5 लाख रुपये से 16 लाख रुपये के बीच की दर से NPV का भुगतान करना होता है, जो कि वनों की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। 
  • निधि आवंटन: भारत के सार्वजनिक खाते के अंतर्गत एक राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनरोपण निधि तथा प्रत्येक राज्य के सार्वजनिक खाते के अंतर्गत एक राज्य प्रतिपूरक वनरोपण निधि की स्थापना की जाती है। 
  • एकत्रित धनराशि का 10% राष्ट्रीय कोष को तथा 90% राज्य कोष को प्राप्त होता है।
  • निधि का उपयोग वनरोपण, वन पारिस्थितिकी तंत्र के पुनर्जनन, वन्यजीव संरक्षण और बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए किया जाता है।

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