एक नए अध्ययन के अनुसार, मंगल ग्रह की चट्टानी बाहरी परत की गहराई में समुद्र जितना तरल जल हो सकता है।
अध्ययन से संबंधित तथ्य
वैसे तो वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह के ध्रुवों पर बर्फ की उपस्थिति के संबंध में लंबे समय से पता है, लेकिन यह पहली बार है जब उन्होंने ग्रह पर तरल जल की खोज की है।
अध्ययनकर्ता
‘मंगल ग्रह के मध्य-क्रस्ट में तरल जल’ नामक यह अध्ययन ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ दनेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज’ (PNAS) पत्रिका में प्रकाशित हुआ।
खोज का महत्त्व
यह खोज शोधकर्ताओं को मंगल ग्रह के जल चक्र को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकती है, जिससे ग्रह की जलवायु, सतह और आंतरिक भाग के विकास से संबंधित प्रश्नों का समाधान हो सकता है।
यह खोज मंगल ग्रह पर जीवन के साक्ष्य की चल रही खोज को भी गति प्रदान कर सकती है।
अध्ययन की प्रक्रिया
अपने अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने नासा के मार्स इनसाइट लैंडर से प्राप्त डेटा का उपयोग किया, जो वर्ष 2018 में ग्रह पर उतरा था और दिसंबर 2022 में वापस आया।
लैंडर में एक सीस्मोमीटर लगा हुआ था, जिसने ग्रह के अंदर चार वर्ष की भूकंपीय तरंगों को रिकॉर्ड किया, जो मंगल के भूकंपों और उल्कापिंडों के प्रभाव से बनी थीं।
कुल मिलाकर, इस दौरान 1,300 से अधिक भूकंप रिकॉर्ड किए।
शोधकर्ताओं ने इन भूकंपीय तरंगों की गति की जाँच की और यह निर्धारित करने में सक्षम थे कि वे किस सामग्री से होकर गुजर रही हैं।
इस दौरान उन्होंने एक भू-भौतिकीय मॉडल का उपयोग किया, जो पृथ्वी पर भूमिगत जलभृतों और तेल क्षेत्रों का मानचित्रण करने के लिए उपयोग किए जाने वाले मॉडल के समान है और इसका उपयोग मंगल पर इनसाइट द्वारा एकत्र किए गए डेटा का विश्लेषण करने के लिए किया।
उन्होंने पाया कि डेटा को सबसे अच्छी तरह से समझाया जा सकता है यदि, मंगल की सतह के नीचे, ग्रेनाइट जैसी खंडित आग्नेय चट्टान की एक परत है, जिसकी दरारें तरल जल से भरी हुई हैं।
अध्ययन के निष्कर्ष
यह परत मंगल ग्रह की सतह में लगभग 10 से 20 किलोमीटर की गहराई पर स्थित है। अध्ययन से पता चलता है कि जल अरबों वर्ष पहले सतह से रिसकर आया होगा, जब मंगल पर नदियाँ, झीलें और संभवतः महासागर थे।
पृथ्वी पर, भूमिगत जल सतह से रिसकर आता है, और हमें उम्मीद है कि यह प्रक्रिया मंगल पर भी हुई होगी, यह रिसकर उस समय हुई होगी जब ऊपरी परत वर्तमान की तुलना में अधिक गर्म थी।
हालाँकि तरल जल की खोज का अर्थ यह नहीं है कि मंगल ग्रह पर जीवन है, लेकिन यह निश्चित रूप से रहने योग्य वातावरण खोजने की संभावना को बढ़ाता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, मंगल ग्रह पर 10-20 किलोमीटर गहरा छेद करके जल का निष्कर्षण एक कठिन कार्य होगा।
Latest Comments