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नई समुद्री केबलें भारत की डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देंगी

Lokesh Pal December 23, 2024 02:40 10 0

संदर्भ

दो नई सबमरीन केबल प्रणालियाँ, ‘इंडिया एशिया एक्सप्रेस’ (India Asia Xpress-IAX) और ‘इंडिया यूरोप एक्सप्रेस’ (India Europe Xpress-IEX), भारत और एशिया के साथ-साथ भारत तथा यूरोप के बीच अतिरिक्त इंटरनेट को लिंक करने के लिए लॉन्च की जाने वाली हैं।

IAX और IEX कनेक्शन 

  • इंडिया एशिया एक्सप्रेस (IAX): चेन्नई और मुंबई को एशिया में सिंगापुर, थाईलैंड और मलेशिया से जोड़ता है।
  • इंडिया यूरोप एक्सप्रेस (IEX): भारत को यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका में फ्राँस, ग्रीस, सऊदी अरब, मिस्र और जिबूती से जोड़ता है।

सबमरीन केबल्स (Submarine Cables-SMC) 

  • SMC समुद्र तल पर बिछाई गई ‘फाइबर ऑप्टिक केबल’ हैं और इन्हें ‘ऑप्टिकल सिग्नल’ संचारित करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप उच्च बैंडविड्थ और लंबी दूरी की ट्रांसमिशन क्षमताएँ प्राप्त होती हैं।
  • सबमरीन केबल वैश्विक संचार की नींव हैं, जो महाद्वीपों और बाजारों के बीच संपर्क को सक्षम बनाती हैं।
  • बाहरी सुरक्षात्मक परत: पर्यावरणीय खतरों से सुरक्षा प्रदान करती है जैसे:
    • अत्यधिक समुद्रीय दाब।
    • जंग लगना।
    • समुद्री गतिविधियाँ।
  • कोर फाइबर स्ट्रैंड: न्यूनतम सिग्नल हानि के साथ उच्च गति डेटा ट्रांसमिशन के लिए डिजाइन किया गया।

  • भारत में सबमरीन केबल (SMC) कनेक्टिविटी
    • भारत में 17 अंतरराष्ट्रीय उप समुद्रीय केबल हैं, जो मुंबई, चेन्नई, कोचीन, तूतीकोरिन और त्रिवेंद्रम जैसे शहरों में स्थित 14 लैंडिंग स्टेशनों के माध्यम से जुड़ती हैं।
    • मुंबई और चेन्नई में सबमरीन केबल लैंडिंग स्टेशनों की सबसे अधिक संख्या है।

पनडुब्बी केबल कनेक्टिविटी का विनियमन

  • दूरसंचार विभाग (DoT) ऑपरेटरों को अंतरराष्ट्रीय लंबी दूरी (International Long-Distance-ILD) लाइसेंस जारी करता है।
  • दूरसंचार विभाग से पूर्व अनुमोदन के साथ, ILD लाइसेंसधारक निम्नलिखित के लिए अधिकृत हैं:
    • केबल लैंडिंग स्टेशन स्थापित करना।
    • भारतीय क्षेत्र में सबमरीन केबल बिछाना।
  • एकीकृत लाइसेंस के अंतर्गत इंटरनेट सेवा लाइसेंसधारी यह भी कर सकते हैं:
    • सबमरीन केबल का उपयोग करके अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट गेटवे स्थापित, संचालित और चालू करना।

ऑप्टिकल फाइबर 

  • रचना: प्रकाश स्पंदनों के रूप में सूचना संचारित करने के लिए काँच या प्लास्टिक से निर्मित है।
  • कार्य सिद्धांत: पूर्ण आंतरिक परावर्तन के सिद्धांत पर कार्य करता है, जहाँ प्रकाश लगातार आवरण से टकराकर कोर के माध्यम से यात्रा करता है।
  • डेटा ट्रांसमिशन: ऑप्टिकल पॉवर की न्यूनतम हानि के साथ बड़ी मात्रा में डेटा को तेजी से स्थानांतरित करने में सक्षम बनाता है।

सबमरीन केबल लचीलेपन के लिए अंतरराष्ट्रीय सलाहकार निकाय (International Advisory Body for Submarine Cable Resilience-IABSR)

  • IABSR वर्ष 2021 में स्थापित एक स्वतंत्र सलाहकार निकाय है।
  • इसका कोई भौतिक रूप से उपस्थित मुख्यालय नहीं है। यह विभिन्न देशों में स्थित सदस्यों के साथ एक वितरित निकाय के रूप में कार्य करता है।
  • उद्देश्य: इसका प्राथमिक उद्देश्य वैश्विक पनडुब्बी केबल नेटवर्क की लचीलापन और सुरक्षा को बढ़ाना है।

भारत के समुद्री केबल नेटवर्क विस्तार में चुनौतियाँ

  • भौतिक क्षति और साइबर हमले: सबमरीन केबल प्राकृतिक घटनाओं या दुर्घटनाओं से भौतिक क्षति के लिए प्रवण हैं। वे राज्य और गैर-राज्य अभिकर्ताओं द्वारा साइबर हमलों के लिए भी अतिसंवेदनशील हैं, जिससे डिजिटल सुरक्षा के बारे में चिंताएँ बढ़ जाती हैं।
  • अवरोध बिंदु: मलक्का जलडमरूमध्य, मुंबई और चेन्नई को सिंगापुर से जोड़ने वाले समुद्री केबलों के लिए एक प्रमुख मार्ग है, जो एक गंभीर भेद्य मार्ग है। 
  • बुनियादी ढाँचे का लचीलापन: मार्च 2024 में भारत को पश्चिम एशिया और यूरोप से जोड़ने वाले तीन सबमरीन केबलों को प्रभावित करने वाले व्यवधानों ने मजबूत नेटवर्क लचीलेपन की आवश्यकता को प्रदर्शित किया।
  • सीमित कनेक्टिविटी विकल्प: मलक्का जलडमरूमध्य जैसे कमजोर क्षेत्रों को दरकिनार करने वाले वर्तमान समाधान अभी तक विकसित नहीं किए गए हैं, जिससे नेटवर्क इन उच्च जोखिम वाले मार्गों पर निर्भर है।
  • क्षेत्रीय भू-राजनीतिक गतिशीलता: बांग्लादेशी सरकार द्वारा पूर्वोत्तर भारत को बैंडविड्थ की बिक्री रोकने के हालिया फैसले ने क्षेत्र में कनेक्टिविटी में जटिलता बढ़ा दी है।
    • लाल सागर संकट जैसी घटनाएँ, समुद्री केबल नेटवर्कों की वैश्विक अंतर्संबद्धता तथा एक क्षेत्र में व्यवधान के कारण अन्य क्षेत्रों पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव को रेखांकित करती हैं।
  • अतिरेक की लागत: दूरसंचार और प्रौद्योगिकी कंपनियाँ अनेक मार्गों पर बैंडविड्थ खरीदकर जोखिम कम करती हैं, लेकिन इससे परिचालन लागत बढ़ जाती है, जिससे अतिरेक एक सतत् वित्तीय चुनौती बन जाती है।

आगे की राह

  • नेटवर्क विविधीकरण: इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए नेटवर्क विविधीकरण में रणनीतिक निवेश और निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए वैकल्पिक मार्गों के विकास की आवश्यकता है।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में भारत की बढ़ती भूमिका पर बारीकी से नजर रखी जा रही है और ‘सबमरीन केबल रेजिलिएंस के लिए अंतरराष्ट्रीय सलाहकार निकाय’ (International Advisory Body for Submarine Cable Resilience- IABSR) जैसे मंचों में सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।

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