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‘स्थानीय पवनों की तीव्रता में वृद्धि’

Lokesh Pal January 08, 2025 02:01 25 0

संदर्भ 

हाल के अध्ययनों से पता चला है कि विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय पवनों की तीव्रता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

स्थानीय पवनों के तीव्र होने के कारण

  • जलवायु परिवर्तन: ग्लोबल वार्मिंग तापमान के स्तर में वृद्धि करती है, जो वायु के पैटर्न को तीव्र करती है क्योंकि गर्म सतह वायु की गति के तीव्र होने का कारण उत्पन्न होती है, जो स्थानीय पवन को प्रभावी बनाती है।
    • पृथ्वी का वायुमंडल तापमान को नियंत्रित करने वाले ‘प्रथम आवरण’ के रूप में कार्य करता है।
    • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन एक ‘द्वितीय आवरण’ का निर्माण कर रहा है, जो ऊष्मा  के अत्यधिक उत्सर्जन को अवरोधित करता है।
    • यह द्वितीय आवरण, जिसमें अधिकतर जलवाष्प (एक ग्रीनहाउस गैस) होती है, गर्म वातावरण के कारण इसमें वृद्धि हो रही है।
    • पिछले 180 वर्षों में वैश्विक तापमान में 1.2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है।
  • पवन का निर्माण (Wind Formation): वायुमंडल में दाबांतर से पवनों का निर्माण होता है।
    • उच्च दाब प्रवणता से पवनें तीव्र होती हैं, जबकि कम प्रवणता से हवाओं या पवनों की तीव्रता कम होती हैं।
      • अत्यधिक गर्मी ने ध्रुवीय क्षेत्रों और भूमध्य रेखा के बीच दाबांतर को कम कर दिया है, जिससे वैश्विक पवन प्रणाली बाधित हो गई है।
  • वनों की कटाई: वनोन्मूलन से वायु के पैटर्न में बदलाव आ सकता है क्योंकि वृक्ष वायु को रोकने का कार्य करते हैं, जिससे वायु की गति धीमी हो जाती है, लेकिन वृक्षों के कटाव से वायु की दिशा एवं पैटर्न बदल सकता है।

  • औद्योगिक गतिविधियाँ: कारखाने अत्यधिक ऊष्मा उत्सर्जित करते हैं, जिसके कारण वायु गर्म हो जाती है और ऊपर उठती है, जिससे दाबांतर उत्पन्न होता है।
    • इस अंतर को भरने के लिए, आस-पास के क्षेत्र से ठंडी पवन इसकी ओर बढ़ती है, जिससे वायु के पैटर्न में बदलाव होता है।
  • दाब प्रवणता (Pressure Gradient): उद्योगों से निकलने वाली ऊष्मा और भवन आदि जैसी संरचनाओं में परिवर्तन के संयोजन से स्थानीय दाब प्रवणताओं का निर्माण होता है।
    • उच्च दाब प्रवणता के कारण वायु अधिक शक्तिशाली हो जाती है, क्योंकि वायु उच्च दाब से निम्न दाब वाले क्षेत्रों की ओर चलती है।

स्थानीय पवनें 

  • स्थानीय पवनें ऐसी हवाएँ/पवनें होती हैं, जो छोटे क्षेत्रों में चलती हैं और कई किलोमीटर तक की दूरी तय करती हैं।
  • ये पवनें उच्च दाब और निम्न दाब वाले क्षेत्रों के बीच वायु की गति के कारण होती हैं, जो अक्सर आस-पास के महासागरों, झीलों या पहाड़ों से प्रभावित होती हैं।
  • ये पवनें किसी क्षेत्र के मौसम, जलवायु और यहाँ तक कि अर्थव्यवस्था को भी महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती हैं।
  • स्थानीय पवनों की विशेषताएँ
    • उनकी प्रकृति के आधार पर उन्हें दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है।
      • उष्ण पवनें (Hot Winds)
      • शीत पवनें (Cold Winds)

उष्ण पवनें: विश्व की कुछ प्रमुख स्थानीय पवनें हैं

नाम

विवरण

मुख्य विशेषताएँ

लू (Loo) ये पवनें उत्तर भारत और पाकिस्तान में गर्म, शुष्क हवाओं के रूप में जानी जाती हैं। उच्च तापमान (45-50°C), पश्चिम से पूर्व दिशा।
फॉन (Foehn) आल्प्स के पवन-विमुख भाग पर गर्म, शुष्क हवा के रूप में चलती है।  इस वायु के ऊपर उठने और पवनमुखी दिशा में बर्फ पिघलने के कारण ठंडी हो जाती है।
चिनूक (Chinook) रॉकी पर्वत के पूर्वी ढलानों पर गर्म, शुष्क पवन के रूप में जाना जाता है। इसे ‘स्नो ईटर’ (Snow Eater) के तौर पर जाना जाता है, जो बर्फ को शीघ्र पिघला देती है।
सिरोको (Sirocco) सहारा रेगिस्तान से गर्म, शुष्क, धूल भरी हवा भूमध्य सागर को पार करते ही थोड़ी ठंडी हो जाती है।
हरमट्टन (Harmattan) सहारा रेगिस्तान से गर्म, शुष्क, धूल भरी हवा उत्तर पश्चिमी अफ्रीका में इसे ‘द डॉक्टर’ के रूप में जाना जाता है, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार होता है। 

शीत पवनें: दुनिया की कुछ प्रमुख ठंडी पवनें हैं।

नाम

विवरण

मुख्य विशेषताएँ

मिस्ट्रल (Mistral) फ्राँस में आल्प्स पर्वत पर बहती ठंडी, शुष्क हवा। उच्च वेग, तापमान को हिमांक से नीचे ले जाती है।
बोरा (Bora) एड्रियाटिक सागर क्षेत्र के पहाड़ों से ठंडी, शुष्क, तेज गति वाली वायु तीव्र एवं सशक्त होती है।
ब्लिजार्ड (Blizzard) बर्फीले तापमान के साथ तेज हवा और इस हवा में हल्की बर्फ की मात्रा भी पाई जाती है।   सर्दियों में मौसम की गंभीर स्थिति

स्थानीय पवनों का महत्त्व

  • ऊर्जा उत्पादन: ये पवनें तरंगों को गति प्रदान करती हैं, जो ऊर्जा उत्पादन के लिए बड़ी टर्बाइनों को शक्ति प्रदान कर सकती हैं।
  • महासागरीय धाराएँ: वे अंटार्कटिक सर्कंपोलर करंट जैसी धाराओं को प्रभावित करती हैं, जो ठंडे, पोषक तत्त्वों से भरपूर जल को प्रसारित करती हैं।
  • मौसम और जलवायु: क्षेत्रों में तापमान और आर्द्रता को संतुलित करती हैं, जिससे वर्षा और शीतलन प्रभावित होता है।
  • वायु परिसंचरण: ऑक्सीजन को प्रसारित करने और वायु की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद करती हैं।
  • सामग्री की गति: बीज, पराग, रेत और धूल को ले जाना, पारिस्थितिकी तंत्र प्रक्रियाओं में सहायता करना।

पवन प्रणालियों का मापन और निगरानी

  • प्रयुक्त उपकरण:
    • भूमि-आधारित: एनीमोमीटर (Anemometers)।
    • वायु-आधारित: रेडियोसॉन्डेस (Radiosondes)।
    • अंतरिक्ष-आधारित: डॉपलर मौसम रडार और उपग्रह।

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