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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal January 11, 2025 04:00 20 0

‘कैशलेस ट्रीटमेंट’ योजना

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने सड़क दुर्घटना पीड़ितों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए ‘कैशलेस ट्रीटमेंट’ के लिए एक राष्ट्रव्यापी योजना शुरू करने की घोषणा की है। 

  • पायलट कार्यक्रम: सड़क दुर्घटना पीड़ितों को नकद रहित उपचार उपलब्ध कराने के लिए पिछले वर्ष चंडीगढ़ में एक पायलट कार्यक्रम शुरू किया गया था, जिसे बाद में छह राज्यों में विस्तारित किया गया।

योजना के बारे में

  • प्रयोज्यता: यह योजना किसी भी श्रेणी की सड़क पर मोटर वाहनों के उपयोग से होने वाली सभी सड़क दुर्घटनाओं पर लागू होगी।
  • उद्देश्य: इस योजना का उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को समय पर चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है, जिसमें गोल्डन ऑवर भी शामिल है।
  • नोडल एजेंसी: राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) योजना के लिए कार्यान्वयन एजेंसी होगी।
  • कार्यान्वयन: यह कार्यक्रम सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के ई-विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट (e-Detailed Accident Report- eDAR) एप्लीकेशन और NHA की विनिमय प्रबंधन प्रणाली की कार्यक्षमताओं को मिलाकर एक IT प्लेटफॉर्म के माध्यम से लागू किया जाएगा।
  • मुआवजा: सरकार सात दिनों तक या अधिकतम ₹1.5 लाख तक के उपचार खर्च को कवर करेगी, बशर्ते पुलिस को दुर्घटना के बारे में 24 घंटे के भीतर सूचित किया जाए।
    • हिट एंड रन मामलों में जान गँवाने वाले पीड़ितों के परिवारों को 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी।

सड़क दुर्घटनाओं संबंधी आँकड़े

  • वर्ष 2023 में सड़क दुर्घटनाओं के कारण 1.8 लाख मौतें हुईं, जिनमें से 66% दुर्घटनाएँ 18 से 34 वर्ष की आयु के व्यक्तियों की थीं।
    • हेलमेट न पहनने के कारण 30,000 मौतें हुईं।

विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएँ 2025

संयुक्त राष्ट्र ने अपनी प्रमुख रिपोर्ट, विश्व आर्थिक स्थिति एवं संभावनाएँ 2025 (World Economic Situation and Prospects 2025) जारी की। 

आर्थिक विकास परिदृश्य की मुख्य बिंदु

  • संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि भारत की अर्थव्यवस्था वर्ष 2025 में 6.6% और वर्ष 2026 में 6.7% की दर से बढ़ेगी, जो मजबूत उपभोक्ता खर्च, बढ़े हुए निवेश और मजबूत बुनियादी ढाँचे के विकास से प्रेरित होगी।
  • प्रमुख चालक
    • सरकारी निवेश: बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं (सड़कें, डिजिटल कनेक्टिविटी, आदि) पर महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक व्यय आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहा है।
    • निर्यात: फार्मास्यूटिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी सेवाओं और वस्तुओं के मजबूत निर्यात से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है।
  • मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान
    • मुद्रास्फीति कम होने की उम्मीद है: उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति वर्ष 2024 में 4.8% से घटकर वर्ष 2025 में 4.3% होने का अनुमान है, जो RBI की लक्ष्य सीमा के भीतर रहेगी।
  • वैश्विक आर्थिक विकास
    • दक्षिण एशिया: इस क्षेत्र में वर्ष 2025 में 5.7% और वर्ष 2026 में 6% की वृद्धि होने की उम्मीद है, जिसमें भारत सबसे आगे रहेगा।
    • वैश्विक विकास: वैश्विक अर्थव्यवस्था के वर्ष 2025 में 2.8% की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो वर्ष 2024 से अपरिवर्तित रहेगा।

‘ग्लोबल एनर्जी एलायंस फॉर पीपल एंड प्लैनेट’ (GEAPP)

‘ग्लोबल एनर्जी एलायंस फॉर पीपल एंड प्लैनेट’ (GEAAP) एवं अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) ने ISA के मल्टी-डोनर ट्रस्ट फंड (Multi-Donor Trust Fund- MDTF) पर हस्ताक्षर करके अपने सहयोग को मजबूत किया है।

संबंधित तथ्य

  • MDTF का लक्ष्य ISA सदस्य देशों में उच्च प्रभाव वाली सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 100 मिलियन डॉलर जुटाना है।
  • MDTF के उद्देश्य एवं पहल
    • स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण अंतराल को पाटना।
    • ऊर्जा संक्रमणों को प्रबंधित करने के लिए संस्थागत क्षमता को बढ़ाना।
    • स्वच्छ ऊर्जा अपनाने के लिए लागत-कुशल और मापनीय समाधान प्रदान करना।

‘ग्लोबल एनर्जी एलायंस फॉर पीपल एंड प्लैनेट’ (GEAAP) के बारे में

  • यह उद्यमियों, सरकारों, प्रौद्योगिकी, नीति और वित्तपोषण भागीदारों का एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन है।
  • स्थापितकर्ता: IKEA फाउंडेशन, द रॉकफेलर फाउंडेशन और बेजोस अर्थ फंड।
  • उद्देश्य
    • उभरते और विकसित देशों को स्वच्छ ऊर्जा मॉडल अपनाने में मदद करना, जो आर्थिक विकास और सार्वभौमिक ऊर्जा पहुँच का समर्थन करता है।
    • मुख्य लक्ष्य
      • भविष्य में कार्बन उत्सर्जन में 4 गीगाटन की कमी लाना।
      • एक अरब लोगों तक स्वच्छ ऊर्जा की पहुँच बढ़ाना।
      • स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्रों में 150 मिलियन नए रोजगार सृजित करना।
  • GEAPP ने भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए दो प्रमुख पहलों (DUET और ENTICE 2.0 पहल) की घोषणा की:
    • ऊर्जा संक्रमण के लिए उपयोगिताओं का डिजिटलीकरण (Digitalization of Utilities for Energy Transition-DUET)
      • ग्रिड सिस्टम को डिजिटल बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है।
      • ट्रांसमिशन घाटे को कम करने के लिए वास्तविक समय डेटा निगरानी को एकीकृत करता है।
    • ऊर्जा परिवर्तन नवाचार चुनौती (ENTICE 2.0)
      • इसका उद्देश्य नवीन ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देना और उनका विस्तार करना है।

छठी पीढ़ी का एयरो इंजन

DRDO प्रमुख ने अपने भाषण में भारत द्वारा विदेशी निर्माता के साथ सह-विकास के माध्यम से छठी पीढ़ी के एयरो इंजन के विकास को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।

मुख्य बिंदु

  • भारत को करीब 4-5 बिलियन डॉलर का निवेश करना होगा, यानी 40,000 करोड़ से 50,000 करोड़ रुपये और अनुसंधान एवं विकास के लिए रक्षा बजट को मौजूदा 5% से बढ़ाकर 15% करना होगा।
  • प्रौद्योगिकी विकास: स्थिर भागों के लिए सिंगल-क्रिस्टल ब्लेड पाउडर मेटलर्जी डिस्क और सिरेमिक मैट्रिक्स कंपोजिट जैसी तकनीकों को विकसित करने की आवश्यकता है।
  • सुविधाएँ: प्रत्येक उप-प्रणाली के लिए परीक्षण सुविधाएँ, एक उच्च-ऊँचाई परीक्षण सुविधा, उड़ान परीक्षण-बिस्तर, डिस्क बनाने के लिए विनिर्माण सुविधाएँ, जिसमें एक फोर्ज प्रेस शामिल है, जो 50,000 टन प्रेस कर सकता है आदि।

छठी पीढ़ी के विमानों के बारे में

  • छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान, 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की तुलना में दृश्य-सीमा से परे की क्षमताओं, स्टेल्थ, कंप्यूटेशनल पॉवर और हथियार आदि के मामले में बेहतर होंगे।
    • वे वर्तमान में दुनिया में कहीं भी परिचालन में नहीं हैं।
  • छठी पीढ़ी के विमानों के विकास की घोषणा निम्न देशों द्वारा की गई है:- अमेरिका, चीन, रूस, यूके-जापान-इटली और फ्राँस-जर्मनी-स्पेन।
  • उदाहरण
    • द टेम्पेस्ट: यू.के., इटली और जापान द्वारा संयुक्त रूप से विकसित।
    • फ्राँस और जर्मनी द्वारा भविष्य की लड़ाकू वायु प्रणाली (FCAS)।
    • अमेरिका F-35 के प्रतिस्थापन पर कार्य कर रहा है।
    • चीन का प्रोटोटाइप फाइटर चेंगदू J-36।
  • विशेषताएँ: संयुक्त राज्य अमेरिका के दिशा-निर्देशों के अनुसार, छठी पीढ़ी के विमान के लिए कुछ आवश्यकताएँ हैं:-
    • डिजिटल इंजीनियरिंग: निर्माण और औद्योगिकीकरण प्रक्रियाओं में तेजी लाना।
    • उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता: सेकंड में आवश्यक लक्ष्यीकरण डेटा प्रदान करने के लिए, संगणना और नेटवर्किंग में सुधार ने हवाई युद्ध में मौलिक रूप से क्रांति ला दी है।
    • नए गतिशील एवं गैर-गतिशील हथियार
    • उपकक्षीय उड़ानों की क्षमता: कम अवधि के लिए कम जगह में कार्य करने में सक्षम होना, जिससे वे विमान-रोधी प्रणालियों से बच सकें और उत्तरजीविता में उल्लेखनीय सुधार कर सकें।
    • इन विमानों में लेजर जैसे निर्देशित-ऊर्जा हथियारों का संभावित उपयोग देखा जा सकता है।
    • रडार और इन्फ्रारेड सिग्नेचर को कम करने के लिए सामग्रियों पर लागू की गई नई नैनो तकनीकें।
    • ‘थर्ड एयर स्ट्रीम’ इंजन: या तो प्रणोदन दक्षता में सुधार और ईंधन की खपत को कम करने के लिए या उच्च थ्रस्ट और कूलिंग के लिए कोर के माध्यम से अतिरिक्त वायु प्रवाह प्रदान करने हेतु वायु प्रवाह का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान करना।

मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा

मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के कुछ महीनों बाद, केंद्र सरकार ने इस संबंध में एक आधिकारिक अधिसूचना जारी की।

संबंधित तथ्य

  • पाँच और भाषाओं यानी मराठी, बंगाली, असमिया, पाली और प्राकृत को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया।
  • पहले की शास्त्रीय भाषाएँ: तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, संस्कृत और उड़िया।

शास्त्रीय भाषाएँ क्या हैं?

  • भारतीय शास्त्रीय भाषाएँ, जिन्हें शास्त्रीय भाषा के नाम से भी जाना जाता है, ऐसी भाषाओं को संदर्भित करती हैं, जिनकी गहरी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, समृद्ध साहित्यिक परंपराएँ और अनूठी सांस्कृतिक विरासत होती है।
  • इन भाषाओं ने क्षेत्र के बौद्धिक और सांस्कृतिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है, इनके ग्रंथ साहित्य, दर्शन और धर्म जैसे विभिन्न क्षेत्रों में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

शास्त्रीय भाषा की स्थिति के लिए मानदंड: भारत में शास्त्रीय भाषा के रूप में वर्गीकृत होने के लिए संस्कृति मंत्रालय के कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है:

  • प्राचीन उत्पत्ति: भाषा में 1,500-2,000 वर्षों की अवधि में अपने प्रारंभिक ग्रंथों/अभिलेखित इतिहास की उच्च प्राचीनता होनी चाहिए।
  • साहित्यिक विरासत: भाषा में प्राचीन साहित्य या ग्रंथों का एक समूह होना चाहिए, जिसे बोलने वालों की पीढ़ियों द्वारा एक मूल्यवान विरासत माना जाता है।
  • मौलिकता: साहित्यिक परंपरा मौलिक होनी चाहिए और किसी अन्य भाषण समुदाय से उधार नहीं ली गई होनी चाहिए।
  • आधुनिक अवतारों से असंततता: उक्त भाषा और साहित्य अपने आधुनिक प्रारूप से अलग होना चाहिए और शास्त्रीय भाषा और उसके बाद के रूपों या उसकी शाखाओं के बीच एक स्पष्ट असंततता होनी चाहिए।

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