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नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)

Lokesh Pal January 20, 2025 02:56 16 0

संदर्भ

हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की 14 रिपोर्टें विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत न करने पर राज्य सरकार की आलोचना की है।

संबंधित तथ्य

  • सरकार का यह दायित्व है कि वह इन रिपोर्टों को चर्चा के लिए विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत करे। इससे यह सुनिश्चित होता है कि सार्वजनिक धन का उपयोग प्रभावी एवं पारदर्शी तरीके से किया जाए।

CAG कार्यालय 

  • यह एक संवैधानिक प्राधिकरण है, जो संघ एवं राज्य स्तर पर सरकार के वित्तीय संचालन पर लेखा परीक्षा एवं रिपोर्टिंग के लिए उत्तरदायी है।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद-148 के तहत स्थापित, CAG शासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

CAG संस्था की उत्पत्ति

  • औपनिवेशिक उत्पत्ति: भारत में CAG की संस्था की शुरुआत ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी, जो वर्ष 1858 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के तहत औपनिवेशिक वित्त का ऑडिट करने के लिए स्थापित महालेखाकार के कार्यालय से विकसित हुई थी।
  • स्वतंत्रता-पूर्व घटनाक्रम: भारत के महालेखा परीक्षक के पद को भारत सरकार अधिनियम, 1919 के तहत औपचारिक रूप दिया गया था और बाद में ब्रिटिश भारत में वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार अधिनियम, 1935 के तहत इसका विस्तार किया गया।
  • स्वतंत्रता के पश्चात् की स्थापना: भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, वर्ष 1950 में संविधान के अनुच्छेद-148 के तहत भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक को एक संवैधानिक प्राधिकरण के रूप में स्थापित किया गया था। नरहरि राव स्वतंत्र भारत के पहले CAG बने।
  • संविधान में महत्त्व: CAG की स्थापना संघ और राज्यों के खातों का ऑडिट करने, वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने और भारत के संसदीय लोकतंत्र में ‘लोक वित्त के संरक्षक’ के रूप में कार्य करने के लिए एक स्वतंत्र इकाई के रूप में की गई थी।

CAG के प्रमुख कार्य

  • सरकारी खातों की लेखापरीक्षा: सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) सहित संघ और राज्य सरकारों की प्राप्तियों और व्यय की लेखापरीक्षा करता है।
  • विधानसभा को रिपोर्ट करना: राष्ट्रपति (संघीय खातों के लिए) या राज्यपाल (राज्य खातों के लिए) को लेखापरीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करता है, जिन्हें पुनः संसद या राज्य विधानसभाओं में प्रस्तुत किया जाता है।
  • सार्वजनिक उद्यमों की लेखापरीक्षा: सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन की जाँच करता है।
  • संचित निधि का अभिरक्षक: यह सुनिश्चित करता है कि भारत या राज्यों की संचित निधि से निकासी केवल उचित विधायी प्राधिकरण के साथ की जाए।
  • विशेष लेखापरीक्षा: अनियमितताओं के मामलों में राष्ट्रपति या राज्यपाल के अनुरोध पर विशेष लेखापरीक्षा आयोजित करता है।

भारत का CAG ब्रिटेन के CAG से किस प्रकार भिन्न है?

पहलू

भारत का CAG

ब्रिटेन का CAG

स्थिति अनुच्छेद-148 के तहत संवैधानिक प्राधिकार। कार्यकारी शाखा के भाग के रूप में नियुक्त किया गया।
भूमिका सार्वजनिक लेखा एवं व्यय का स्वतंत्र लेखा परीक्षक। सार्वजनिक व्यय पर संसद के लेखा परीक्षक और सलाहकार।
रिपोर्टिंग यह सीधे राष्ट्रपति या राज्यपाल को रिपोर्ट करता है, जो इसे संसद या राज्य विधानमंडल में प्रस्तुत करते हैं। लोक लेखा समिति के माध्यम से ब्रिटेन की संसद को रिपोर्ट प्रस्तुत करना।
लेखापरीक्षा की सीमाएँ संघ, राज्यों और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की सभी प्राप्तियों, व्यय और खातों का लेखा-परीक्षण करता है। मुख्य रूप से केंद्रीय सरकार के खातों, सार्वजनिक निगमों और स्थानीय निकायों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
कार्यकाल निश्चित अवधि 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो। कार्यकाल संवैधानिक रूप से निश्चित नहीं है, यह संविदा की शर्तों पर निर्भर करता है।

CAG से संबंधित संवैधानिक प्रावधान

  • अनुच्छेद-148: CAG की स्थापना करता है और इसकी स्वतंत्रता को परिभाषित करता है।
  • अनुच्छेद-149: CAG के कर्तव्यों और शक्तियों को निर्दिष्ट करता है।
  • अनुच्छेद-150: CAG को यह निर्धारित करने का अधिकार देता है कि संघ और राज्यों के खाते कैसे रखे जाएँगे।
  • अनुच्छेद-151: CAG रिपोर्ट को राष्ट्रपति या राज्यपाल को प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है, जो उन्हें विधायिका के समक्ष रखेंगे।
  • संविधान की तीसरी अनुसूची: इसमें शपथ का प्रारूप शामिल है, जिसे CAG को पद ग्रहण करने से पहले लेना चाहिए। शपथ संविधान के प्रति निष्ठा, कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन और भारत की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखने पर जोर देती है।

CAG की स्वतंत्रता

  • भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त।
  • 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, पद पर बने रहते हैं।
  • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की तरह ही महाभियोग के माध्यम से ही पदच्युति संभव है।

CAG का महत्त्वपूर्ण योगदान

  • 2G स्पेक्ट्रम घोटाला: दूरसंचार लाइसेंसों के आवंटन में अनियमितताओं को उजागर किया, जिसके कारण सर्वोच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ा।
  • कोयला ब्लॉक आवंटन: विवेकाधीन कोयला ब्लॉक आवंटन के कारण होने वाले घाटे को उजागर किया।
  • भारतमाला परियोजना (2023): बुनियादी ढाँचे के विकास में देरी और लागत में वृद्धि को चिह्नित किया।
  • आयुष्मान भारत (2023) का निष्पादन लेखापरीक्षा: भारत की प्रमुख स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत स्वास्थ्य सेवा वितरण में समस्याओं को उजागर किया, जिसमें लाभार्थी सत्यापन में अनियमितताएँ और अस्पतालों को भुगतान में देरी शामिल है।
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) लेखापरीक्षा: PDS के तहत खाद्यान्नों के वितरण में बड़े पैमाने पर अक्षमताओं की पहचान की गई, जिसमें डायवर्जन और लीकेज शामिल है।
    • इन सिफारिशों के कारण राशन कार्डों का डिजिटलीकरण और बेहतर निगरानी तंत्र विकसित हुआ।

भारत के पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General- CAG) विनोद राय ने संस्था को मजबूत बनाने तथा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में इसकी प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए कई सुधारों का सुझाव दिया।

प्रमुख सुधारों में शामिल हैं

  • वित्तीय स्वायत्तता को मजबूत करना: वित्तीय मामलों में अधिक स्वतंत्रता का समर्थन किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि CAG बाहरी दबावों के बिना काम करे और निष्पक्ष लेखा परीक्षक के रूप में अपनी भूमिका को सुरक्षित रखे।
  • निष्पादन लेखापरीक्षा: केवल वित्तीय अनुपालन के बजाय निष्पादन-आधारित लेखापरीक्षा की आवश्यकता पर बल दिया, जिसमें सरकारी योजनाओं और नीतियों के परिणामों और प्रभावशीलता पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • क्षमता निर्माण: IT, दूरसंचार और पर्यावरण नीतियों जैसे जटिल और आधुनिक क्षेत्रों के लेखापरीक्षा को सँभालने के लिए CAG कर्मचारियों के निरंतर प्रशिक्षण और कौशल विकास का सुझाव दिया।
  • समय पर रिपोर्टिंग: नीति-निर्माण और संसदीय चर्चाओं के दौरान उनकी प्रासंगिकता और प्रभाव सुनिश्चित करते हुए लेखापरीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करने में तेजी लाने के लिए प्रस्तावित तंत्र।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग: तेजी से डिजिटल होती अर्थव्यवस्था में लेखापरीक्षा की सटीकता और दायरे को बेहतर बनाने के लिए उन्नत डेटा एनालिटिक्स, एआई और आईटी उपकरणों को अपनाने के महत्त्व पर प्रकाश डाला।

इन सुधारों का उद्देश्य CAG को अधिक गतिशील, सक्रिय तथा आधुनिक शासन की चुनौतियों के अनुरूप बनाना है।

चुनौतियों का सामना

  • संसद का समय घटता जा रहा है: पिछले कई दशकों में संसद की बैठकों की संख्या कम होती जा रही है, जिससे CAG जैसी महत्त्वपूर्ण रिपोर्टों पर बहस करने के लिए कम समय मिल रहा है।
    • उदाहरण: वर्ष 2023 के मानसून सत्र में, संसद सिर्फ 17 दिनों तक ही काम कर पाई, जिससे महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा सीमित हो गई।
  • रिपोर्ट का राजनीतीकरण: CAG के निष्कर्षों को अक्सर राजनीति से प्रेरित बताकर खारिज कर दिया जाता है, खासकर तब जब वे प्रमुख सरकारी योजनाओं में अनियमितताओं को उजागर करते हैं।
    • उदाहरण: कोयला ब्लॉक आवंटन (वर्ष 2012) पर CAG के निष्कर्षों पर बहस पक्षपातपूर्ण हो गई, जिससे महत्त्वपूर्ण चर्चाएँ प्रभावित हुईं।
  • सार्वजनिक उदासीनता और सीमित जागरूकता: नागरिक अक्सर CAG रिपोर्टों के महत्त्व से अनजान रहते हैं, जिससे सांसदों पर उनके निष्कर्षों पर कार्रवाई करने का दबाव कम हो जाता है।
  • संसाधनों की कमी: CAG के सीमित संसाधन और पुरानी पद्धतियों पर निर्भरता साइबर सुरक्षा और पर्यावरण शासन जैसे उभरते क्षेत्रों में व्यापक ऑडिट में बाधा डालती है।
  • कर्मचारियों की घटती उपलब्धता
    • वर्ष 2021-22 तक, IA&AD में कर्मचारियों की संख्या 41,675 थी, जो वर्ष 2013-14 में 48,253 से लगातार गिरावट है।
    • वर्ष 2014-15 में 789 से वर्ष 2021-22 में IA&AS अधिकारियों की संख्या घटकर 553 रह गई।
    • लेखापरीक्षा और लेखा कर्मचारियों की संख्या वर्ष 2013-14 में 26,000 से अधिक से घटकर वर्ष 2021-22 में 20,320 हो गई।
  • अनुवर्ती तंत्रों का अभाव: लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee- PAC) तथा CAG रिपोर्ट की कई सिफारिशें कमजोर प्रवर्तन तंत्रों के कारण लागू नहीं हो पाई हैं।
    • डेटा: CAG की 60% सिफारिशों (वर्ष 2017-2021) पर अभी तक प्रभावी अनुवर्ती कार्रवाई नहीं हुई है।
  • कोई पूर्व-लेखा परीक्षा शक्तियाँ नहीं
    • जापान, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और फ्राँस जैसे कई अन्य देशों के विपरीत, भारत में CAG मुख्य रूप से पूर्व-परीक्षा लेखापरीक्षा का कार्य करता है।

आगे की राह

  • अनिवार्य संसदीय बहस: संसद तथा राज्य विधानसभाओं में प्रमुख CAG रिपोर्टों पर अनिवार्य चर्चा के लिए प्रोटोकॉल स्थापित करना।
    • उदाहरण: यूनाइटेड किंगडम की लोक लेखा समिति (PAC) प्रत्येक प्रमुख लेखापरीक्षा निष्कर्ष के लिए संसदीय चर्चा सुनिश्चित करती है।

  • CAG का आधुनिकीकरण: कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जलवायु वित्त और डेटा शासन जैसे उभरते क्षेत्रों की लेखा परीक्षा के लिए CAG को उपकरणों से सुसज्जित करना।
    • उदाहरण: कनाडा के महालेखा परीक्षक सरकारी डिजिटल प्रणालियों की लेखा परीक्षा के लिए AI-आधारित उपकरणों का उपयोग करते हैं।
  • जनता की भागीदारी बढ़ाना: सरलीकृत सारांशों और सोशल मीडिया तथा सार्वजनिक मंचों के माध्यम से लोगों तक पहुँच के माध्यम से CAG रिपोर्ट को अधिक सुलभ बनाना।
    • उदाहरण: ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय लेखा परीक्षा कार्यालय (ANAO) नागरिकों को जोड़ने के लिए आसानी से समझने योग्य सारांश प्रकाशित करता है।
  • नागरिक समाज तथा मीडिया के साथ सहयोग: अधिक जन जागरूकता और जवाबदेही के लिए CAG निष्कर्षों का विश्लेषण और प्रसार करने के लिए थिंक टैंक, गैर-सरकारी संगठनों और मीडिया के साथ सहयोग करना।
    • उदाहरण: नीति आयोग
  • लोक लेखा समिति (PAC) को मजबूत बनाना: लेखा परीक्षा अनुशंसाओं पर कार्रवाई के लिए सख्त समय सीमा निर्धारित करके जवाबदेही लागू करने के लिए PAC को सशक्त बनाना।
    • डेटा: PAC ने वर्ष 2022 में 103 रिपोर्ट प्रस्तुत कीं, लेकिन अनुवर्ती कार्यान्वयन में देरी का सामना करना पड़ा।

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) और लोक लेखा समिति (PAC) के बीच संबंध

  • लेखा परीक्षा में CAG की भूमिका: CAG सरकारी प्राप्तियों, व्ययों और सार्वजनिक उपक्रमों का लेखा परीक्षण करता है और संसद को रिपोर्ट प्रस्तुत करता है, जो लोक लेखा समिति (PAC) की चर्चाओं का आधार बनती है।
  • जाँच में PAC की भूमिका: PAC सार्वजनिक निधियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए CAG रिपोर्टों की जाँच करता है, सरकारी व्यय में वित्तीय अनियमितताओं और अक्षमताओं को उजागर करता है।
  • पारस्परिक निर्भरता: जबकि CAG स्वतंत्र लेखा परीक्षा निष्कर्ष प्रदान करता है, PAC उनकी संसदीय जाँच सुनिश्चित करता है, जिससे राजकोषीय निगरानी मजबूत होती है।
    • केस उदाहरण
      • 2G स्पेक्ट्रम मामले (वर्ष 2010) में CAG की जाँच कैग रिपोर्ट पर आधारित थी, जिसमें सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया गया था।
  • डेटा सटीकता और सहजीवी संबंध: PAC पारदर्शी शासन सुनिश्चित करने के लिए CAG की विस्तृत टिप्पणियों के डेटा पर बहुत अधिक निर्भर करता है, जिसका उदाहरण रक्षा व्यय पर CAG ऑडिट की PAC की समीक्षा है, जो यह सुनिश्चित करता है कि धन का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाए।

निष्कर्ष

पारदर्शिता, जवाबदेही और कुशल शासन को बढ़ावा देने के लिए CAG रिपोर्ट आवश्यक उपकरण हैं। हालाँकि, अपर्याप्त बहस, अनुवर्ती तंत्र की कमी और सार्वजनिक उदासीनता जैसी चुनौतियाँ उनके प्रभाव को बाधित करती हैं। वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं का लाभ उठाकर और भारत के लेखापरीक्षा को आधुनिक बनाकर सरकार लोकतांत्रिक जवाबदेही को मजबूत कर सकती है और सार्वजनिक संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित कर सकती है।

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