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राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन

Lokesh Pal February 25, 2025 02:42 12 0

संदर्भ

भारत सरकार के विदेश मंत्रालय (MEA) ने केन्या से एक केन्याई राजनयिक के बेटे की राजनयिक प्रतिरक्षा को रद्द करने का अनुरोध किया है, ताकि नाबालिग लड़की से कथित यौन उत्पीड़न के आरोप में उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सके।

गिरफ्तारी से संबंधित भारतीय कानून

  • यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012
    • धारा 10: गंभीर यौन उत्पीड़न को शामिल करती है, अपराध के लिए सख्त सजा का प्रावधान करती है।
  • भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023: धारा 75(2) नाबालिगों के यौन शोषण से जुड़े अपराधों से संबंधित है।
  • दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC): धारा 188 भारत में किए गए अपराधों के लिए विदेशी नागरिकों पर मुकदमा चलाने की अनुमति देती है।
  • राजनयिक संबंध (वियना कन्वेंशन) अधिनियम, 1972: भारत में वियना कन्वेंशन के कार्यान्वयन को नियंत्रित करता है।
    • राजनयिक प्रतिरक्षा की अनुमति देता है, लेकिन यह अधिनियम उन स्थितियों को भी मान्यता देता है, जहाँ इसे भेजने वाले देश द्वारा माफ किया जा सकता है।

राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन (1961) 

  • स्थापना: देशों के बीच राजनयिक प्रतिनिधियों के व्यवहार को नियंत्रित करने वाले मौलिक सिद्धांतों को परिभाषित करने के लिए की गई थी।
  • इसे 14 अप्रैल, 1961 को ऑस्ट्रिया के वियना में आयोजित राजनयिक संबंधों एवं प्रतिरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन में अपनाया गया था।
  • उद्देश्य: मैत्रीपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संबंधों को बढ़ावा देना और प्रभावी स्तर पर राजनयिक संचार बनाए रखना है।
  • भारत का अनुसमर्थन: वर्ष 1972 के राजनयिक संबंध (वियना कन्वेंशन) अधिनियम के माध्यम से लागू किया गया।

राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन के प्रमुख प्रावधान

  • राजनयिक प्रतिरक्षा: राजनयिकों को मेजबान देश में कुछ कानूनों और करों से छूट प्रदान की जाती है।
    • प्रतिरक्षा आपराधिक और नागरिक दोनों मामलों में लागू होती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि राजनयिक बिना किसी डर के अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें।
  • गिरफ्तारी से सुरक्षा: राजनयिकों को मेजबान देश में गिरफ्तार या हिरासत में नहीं लिया जा सकता है। मेजबान देश को राजनयिकों के व्यक्तित्व, स्वतंत्रता और गरिमा का सम्मान एवं सुरक्षा करनी चाहिए।
    • राजनयिक के साथ रहने वाले परिवार के सदस्यों को भी यही प्रतिरक्षा प्राप्त है।
  • राजनयिक परिसर की सुरक्षा: दूतावासों एवं वाणिज्य दूतावासों सहित राजनयिक भवनों में मेजबान देश के अधिकारियों द्वारा भेजने वाले राज्य की अनुमति के बिना प्रवेश या तलाशी नहीं ली जा सकती है।
    • इससे गोपनीय राजनयिक गतिविधियों एवं दस्तावेजों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
  • अस्वीकार्य व्यक्ति (Persona Non Grata): मेजबान देश को किसी भी समय किसी भी राजनयिक को ‘अस्वीकार्य व्यक्ति’ घोषित करने का अधिकार है।
    • देश से किसी राजनयिक को निष्कासित करने के लिए किसी स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं है।

राजनयिक प्रतिरक्षा पर वियना कन्वेंशन के अपवाद

  • भेजने वाले देश द्वारा छूट: राजनयिक का गृह देश स्वेच्छा से उसकी प्रतिरक्षा को रद्द कर सकता है, जिससे मेजबान देश में कानूनी कार्यवाही की अनुमति मिलती है।
  • वाणिज्यिक एवं निजी गतिविधियाँ: राजनयिकों को वाणिज्यिक लेनदेन या व्यक्तिगत नागरिक मामलों (जैसे- अचल संपत्ति विवाद) से संबंधित मामलों में अभियोजन से छूट नहीं है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा से खतरे: यदि कोई राजनयिक गंभीर अपराधों में शामिल है जो राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुँचाते हैं, तो मेजबान देश उनके निष्कासन या प्रतिरक्षा छूट का अनुरोध कर सकता है।
  • प्रतिरक्षा का दुरुपयोग: यदि कोई राजनयिक अपनी प्रतिरक्षा का दुरुपयोग करता है, तो मेजबान देश कार्रवाई करने के लिए भेजने वाले देश पर राजनयिक दबाव डाल सकता है।
  • संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय कानून: चरम मामलों में, संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन राजनयिक प्रतिरक्षा उल्लंघन से जुड़े विवादों को हल करने के लिए हस्तक्षेप कर सकते हैं।

राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन की चुनौतियाँ

  • प्रतिरक्षा का दुरुपयोग: राजनयिकों को मेजबान देश के कानूनों का सम्मान करना चाहिए, परंतु प्रतिरक्षा का कभी-कभी दुरुपयोग किया जा सकता है, जिससे कानूनी प्रवर्तन मुश्किल हो जाता है।
  • सीमित जवाबदेही: अपराधों के आरोपी राजनयिकों पर प्रायः तब तक मुकदमा नहीं चलाया जा सकता जब तक कि भेजने वाले देश द्वारा प्रतिरक्षा को समाप्त नहीं किया जाता है, जिससे संभावित न्याय में देरी हो सकती है।
  • मेजबान देश की बाधाएँ: सरकारों के पास कानूनों का उल्लंघन करने वाले राजनयिकों के विरुद्ध उन्हें अवांछित व्यक्ति घोषित करने के अलावा कार्रवाई करने के लिए सीमित विकल्प है।
  • राजनयिक तनाव: कदाचार के आरोप अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं, क्योंकि प्रतिरक्षा छूट का अनुरोध करना राजनीतिक रूप से संवेदनशील माना जा सकता है।

चुनौतियों के समाधान हेतु आगे की राह

  • जवाबदेही को मजबूत करना: बेहतर निगरानी के लिए अंतरराष्ट्रीय तंत्र स्थापित करना और गंभीर मामलों में प्रतिरक्षा को माफ करने के लिए भेजने वाले राज्यों को प्रोत्साहित करना।
  • कानूनी प्रावधानों को संशोधित करना: प्रतिरक्षा के अपवादों पर विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुँचाने वाले अपराधों या व्यक्तिगत वाणिज्यिक गतिविधियों से जुड़े अपराधों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रस्तुत करना।
  • राजनयिक सहयोग को बढ़ाना: अंतरराष्ट्रीय संबंधों की अखंडता को बनाए रखते हुए राजनयिक प्रतिरक्षा का दुरुपयोग न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रों के बीच संवाद को बढ़ावा देना।

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