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भारतीय परिसरों का अंतर्राष्ट्रीयकरण

Lokesh Pal March 01, 2025 05:30 24 0

संदर्भ: 

हाल ही में, ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी के हॉस्टल में एक नेपाली छात्रा द्वारा आत्महत्या करने का मामला सामने आया है। इस घटना ने भारत सरकार के स्टडी इन इंडिया (SII) पहल के समक्ष अनेक सवाल उत्पन्न किए हैं। 

संस्थागत सुधारों की आवश्यकता:

  • असमानता और अधीनता: यह घटना उच्च शिक्षा में असमानता, अधीनता और भेदभाव के गहरे मुद्दों को दर्शाती है।
  • अनसुलझे संघर्ष: भारत की “विश्व गुरु” बनने और समावेशी शिक्षा प्रदान करने की आकांक्षा, विविध छात्र समूहों के अनसुलझे संघर्षों के कारण नीतिगत बहस का मुद्दा ही बनी हुई है।
  • अपर्याप्त तंत्र: आरोप है कि छात्र विविधता को संबोधित करने के लिए विनियामक तंत्र अपर्याप्त हैं। इसकी तत्काल आवश्यकता है:
    • विश्वविद्यालयों में सहानुभूतिपूर्ण नेतृत्व।
    • छात्र विविधता को बढ़ावा देने और सम्मान देने के लिए प्रशिक्षित पेशेवर

भारत में उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण:

  • लाभ: उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण शिक्षा में वैश्विक आयामों को एकीकृत करता है। सीमा पार छात्र गतिशीलता वैश्विक दृष्टिकोण और अंतर-सांस्कृतिक दक्षताओं को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • घटक: प्रमुख घटक इकाइयों के अंतर्राष्ट्रीयकरण में निम्नलिखित शामिल हैं:
    • वैश्विक मानकों को पूरा करने के लिए पाठ्यक्रमों और पाठ्यचर्या का पुनर्गठन करना।
    • उदार कला मॉडल और चार वर्षीय डिग्री कार्यक्रम का परिचय देना।
  • स्टडी इन इंडिया (SII) योजना: इसे भारत को “भेजने वाले देश” से “गंतव्य देश” में बदलने के लिए 2018 में लॉन्च किया गया था। 
    • यह विदेशी छात्रों को आकर्षित करने के लिए छात्रवृत्ति और शुल्क छूट प्रदान करता है। यह विकसित भारत 2047 और “विश्व गुरु” बनने के लक्ष्य के लिए महत्वपूर्ण है
  • भारत में विदेशी छात्रों का नामांकन:
    • कुल विदेशी छात्र (2021-22): 170 देशों से 46,878
    • भारत के कुल नामांकन 43.3 मिलियन (4.33 करोड़) की तुलना में यह नगण्य है
  • भारत में उच्च शिक्षण हेतु शीर्ष स्रोत देश (2021-22):
    • नेपाल (28%)
    • अफ़गानिस्तान (6.7%)
    • संयुक्त राज्य अमेरिका (6.2%)
    • बांग्लादेश (5.6%)
    • यूएई (4.9%)
    • भूटान (3.3%)
    • इसके अलावा लगभग 64.7% विदेशी छात्र सिर्फ 10 देशों से आते हैं
  • नामांकन रुझान: कुल नामांकन वृद्धि (2012-13 से 2021-22) 3 करोड़ से 4.33 करोड़ तक पहुंच गई है। 
  • विदेशी छात्रों की संख्या में वृद्धि (2012-13 से 2021-22) 34,774 से 46,878 (मामूली वृद्धि)तक पहुंच गई है। 

भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों के समक्ष विद्यमान चुनौतियाँ:

  • विषम जनसंख्या: भारत में विदेशी छात्र विविध राष्ट्रीय, सांस्कृतिक, भाषाई और स्कूली पृष्ठभूमि से आते हैं, जो विषम जनसंख्या का प्रतीक है। 
  • विविध पृष्ठभूमि : भारत की छात्र विविधता अद्वितीय है, जिसमें जाति, वर्ग, भाषा, शारीरिक क्षमता और लिंग में अंतर है। 
    • नीति निर्माताओं को शिक्षा में विविधता की बदलती गतिशीलता को समझना और उसका समाधान करना होगा
  • निरंतर भेदभाव: जाति, नस्ल और लिंग आधारित भेदभाव अभी भी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में  जारी है।
    • कमजोर पृष्ठभूमि के छात्रों को सहपाठियों, शिक्षकों और संस्थानों से  अधिक परेशानी और भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
  • पूर्वाग्रह और बहिष्कार: गहरी जड़ें जमाए बैठी सामाजिक संरचना कुछ समूहों को हीन मानती है, जिसके कारण बहिष्कार और पूर्वाग्रह पैदा होता है
  • समाधान तंत्र की अप्रभाविता: संस्थानों में विभिन्न छात्र कल्याण समितियां होती हैं, जिनमें एससी/एसटी सेल, जेंडर सेल और शिकायत निवारण  शामिल हैं, परंतु व्यवहार में ये समितियाँ निष्प्रभावी सिद्ध होती रही हैं। 
    • यूजीसी के 2024 के दिशा-निर्देशों में एसईडीजी सेल का गठन अनिवार्य किया गया है, तथा कई विश्वविद्यालय छात्र मामलों के लिए डीन नियुक्त करते हैं। 
    • हालाँकि, प्रशिक्षित पेशेवरों की कमी उनकी प्रभावशीलता को सीमित करती है।

आगे की राह:

  • फीडबैक और निगरानी: सामाजिक और शैक्षणिक अनुभवों पर छात्रों की नियमित प्रतिक्रिया एकत्र करने के लिए राष्ट्रीय/राज्य/संस्थागत तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए।  इस फीडबैक के आधार पर विविधता को बढ़ावा देने और भेदभाव को रोकने के लिए रणनीति विकसित किया जाना चाहिए।
  • संवेदनशीलता: छात्र कल्याण और समावेशिता का उचित प्रबंधन करने के लिए छात्र मामलों के पेशेवरों का एक कैडर बनाया जाना चाहिए।
  • प्रशिक्षण: संस्थागत नेताओं, शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए सांस्कृतिक संवेदनशीलता पर अनिवार्य प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए। 
  • प्रोत्साहन: छात्र कल्याण में संकाय की भागीदारी को मान्यता देना और प्रोत्साहित करना।
  • संस्थागत पुनर्गठन: ऐतिहासिक रूप से अभिजात वर्ग के लिए डिज़ाइन किए गए उच्च शिक्षा संस्थानों को कम प्रतिनिधित्व वाले समुदायों और विदेशी छात्रों की बढ़ती विविधता के अनुकूल होना चाहिए। 
    • संरचनात्मक सुधारों से समावेशी पाठ्यक्रमसमान कक्षाएं और सभी छात्रों की आकांक्षाओं का समर्थन करने के लिए स्वागत योग्य परिसर सुनिश्चित होना चाहिए।

निष्कर्ष:

उच्च शिक्षा में विविधता, समानता और समावेशन सुनिश्चित करने के लिए तत्काल सुधार की आवश्यकता है। वास्तव में समावेशी शिक्षण वातावरण को बढ़ावा देने के लिए मजबूत संस्थागत तंत्र, प्रशिक्षण कार्यक्रम और एक प्रभावी फीडबैक तंत्र आवश्यक हैं।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: भारत की वैश्विक शिक्षा केंद्र बनने की आकांक्षा पर “स्टडी इन इंडिया” (SII) पहल के प्रभाव का विश्लेषण करें। विदेशी छात्रों को आकर्षित करने में भारत को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, और उनका समाधान कैसे किया जा सकता है?

(15 अंक, 250 शब्द)

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