100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

आवारा कुत्तों के संकट पर सर्वोच्च न्यायालय का आदेश

Lokesh Pal August 13, 2025 04:22 15 0

संदर्भ

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली NCR के अधिकारियों को सार्वजनिक स्थानों से सभी आवारा कुत्तों को हटाकर उन्हें स्थायी रूप से आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया।

भारत में आवारा कुत्तों का संकट

  • अत्यधिक आबादी: पालतू बेघरों की स्थिति सर्वेक्षण (State of Pet Homelessness survey) के अनुसार, भारत में अनुमानित 52.5 मिलियन आवारा कुत्ते हैं।
  • दिल्ली की भूमिका: अकेले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लगभग 1 मिलियन आवारा कुत्ते होने की सूचना है, जो शहरी मानव-पशु संघर्ष का कारण बनते हैं।
  • कुत्तों के काटने की घटनाएँ: वर्ष 2024 में, भारत में कुत्तों के काटने के 37,17,336 मामले दर्ज किए गए, जो आवारा आबादी से जुड़ी जन स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संबंधी चिंताओं के पैमाने को दर्शाता है।
  • रेबीज का प्रभाव: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आँकड़ों के अनुसार, भारत में वैश्विक रूप से रेबीज से होने वाली मौतों का 36% हिस्सा है, जहाँ प्रतिवर्ष 18,000 से 20,000 मानव रेबीज के मामले सामने आते हैं।
    • देश में वर्ष 2024 में रेबीज से 54 संदिग्ध मानव मौतें भी दर्ज की गईं, जिनमें से अधिकांश रेबीज के मामले कुत्तों के काटने से जुड़े थे।
  • आश्रय क्षमता का अंतर: लगभग 8 मिलियन बेघर कुत्तों को आश्रय स्थलों में रखा जाता है, जिससे उनमें से अधिकांश व्यवस्थित नियंत्रण उपायों के बिना सड़कों पर रहने को मजबूर हैं।

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की मुख्य विशेषताएँ

  • तत्काल निष्कासन: दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम एवं गाजियाबाद के अधिकारियों को संवेदनशील क्षेत्रों एवं शहर के बाहरी इलाकों को प्राथमिकता देते हुए, आवारा कुत्तों को तुरंत इलाकों से हटाना शुरू करना होगा।
  • स्थायी पुनर्वास: पकड़े गए कुत्तों को आश्रय स्थलों में रखा जाएगा, उनकी नसबंदी की जाएगी, टीकाकरण किया जाएगा एवं CCTV से निगरानी की जाएगी, साथ ही उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर वापस लाने पर सख्त प्रतिबंध होगा।
  • प्रवर्तन एवं दंड: निष्कासन कार्यों में बाधा डालने वाले व्यक्तियों या संगठनों को कानूनी परिणाम भुगतने होंगे। यदि आवश्यक हो, तो अधिकारी जानवरों को पकड़ने के लिए बल प्रयोग कर सकते हैं।
  • बुनियादी ढाँचा निर्माण समय-सीमा: 5,000-6,000 कुत्तों की क्षमता वाले आश्रय स्थलों का निर्माण 6-8 सप्ताह के भीतर किया जाना चाहिए, जिसमें नसबंदी, टीकाकरण एवं देखभाल के लिए पर्याप्त कर्मचारी हों।
  • रेबीज रोकथाम के उपाय: कुत्तों के काटने एवं रेबीज के मामलों के लिए एक सार्वजनिक हेल्पलाइन एक सप्ताह के भीतर चालू होनी चाहिए, जिससे चार घंटे के भीतर कार्रवाई सुनिश्चित हो सके।
    • अधिकारियों को टीके की उपलब्धता एवं स्टॉक डेटा प्रकाशित करना होगा।

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की आलोचना

  • व्यापक आदेश: पशु कल्याण समूहों का तर्क है कि यह निर्देश सामुदायिक संदर्भों की अनदेखी करते हुए सभी कुत्तों पर, जिनमें टीकाकरण एवं नसबंदी वाले कुत्ते भी शामिल हैं, पर समान तरीके से लागू होता है।
  • पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम, 1960 एवं पशु जन्म नियंत्रण (Animal Birth Control- ABC) नियमों का उल्लंघन: यह आदेश पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम, 2023 का खंडन करता है, जिसके अनुसार नसबंदी एवं टीकाकरण वाले कुत्तों को उनके मूल क्षेत्रों में वापस भेजना अनिवार्य है।
  • कोई वैज्ञानिक आधार नहीं: विशेषज्ञ बताते हैं कि बड़े पैमाने पर स्थानांतरण का रेबीज को कम करने या कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने का कोई सिद्ध रिकॉर्ड नहीं है, एवं यह पारिस्थितिक संतुलन को भी बिगाड़ सकता है।
  • नैतिक चिंता: कार्यकर्ता इस फैसले को ‘अमानवीय’ एवं ‘अवैज्ञानिक’ बताते हैं, जो मूल कारणों को संबोधित किए बिना स्वस्थ जानवरों को अनावश्यक पीड़ा पहुँचाता है।
  • पशु अधिकारों का उल्लंघन: सामुदायिक कुत्तों को उनके परिचित क्षेत्रों से हटाना, पशु संरक्षण ढाँचे के तहत उनके मूल अधिकारों से वंचित करता है एवं सह-अस्तित्व के सिद्धांतों को कमजोर करता है।
  • सामुदायिक अधिकारों पर प्रभाव: कुत्तों को खाना खिलाने एवं उनकी देखभाल करने वाले निवासी, कुत्तों को हटाने को अपने अधिकारों का उल्लंघन तथा स्थापित मानव-पशु संबंधों में व्यवधान मानते हैं।

आदेश के कार्यान्वयन में चुनौतियाँ

  • संरचनात्मक सीमाएँ: दिल्ली में सरकारी कुत्ता आश्रय स्थलों का अभाव है, लाखों कुत्तों के लिए सुविधाएँ बनाने के लिए विशाल भूमि, स्वच्छता एवं खाद्य अवसंरचना की आवश्यकता होगी, जिसे पूरा होने में वर्षों का समय लगेगा।
  • वित्तीय बोझ: पर्याप्त आश्रय अवसंरचना स्थापित करने में ₹15,000 करोड़ से अधिक की लागत आ सकती है, जो न्यायालय द्वारा निर्धारित 2 महीने की समय-सीमा के भीतर अवास्तविक माना जाने वाला आँकड़ा है।
  • जन आक्रोश: समुदाय एवं पशु कल्याण संगठन बड़े पैमाने पर कुत्तों को हटाने का कड़ा विरोध कर रहे हैं, जिसके कारण कानूनी चुनौतियाँ एवं देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
  • लाजिस्टिक संबंधी बाधाएँ: अकेले दिल्ली में 3 लाख से अधिक आवारा कुत्तों को पकड़ने एवं रखने के लिए भारी कार्यबल, परिवहन, पशु चिकित्सा सहायता तथा परिचालन समन्वय की आवश्यकता होगी।
  • कानूनी बाधाएँ: यह दिशा-निर्देश आवारा कुत्तों (सड़क पर या गेट वाले परिसर में रहने वाले) एवं पालतू कुत्तों के बीच अंतर करते हैं, जिससे अधिकारियों के लिए जिम्मेदारी सौंपना मुश्किल हो जाता है।

आवारा कुत्तों को नियंत्रित करने के पूर्व प्रयास

  • मारना एवं हटाना: भारत में आवारा कुत्तों को बिजली के झटके, जहर देकर, गोली मारकर या डंडे से मारकर मारने के पिछले सभी प्रयास अप्रभावी सिद्ध हुए है।
    • आंशिक उन्मूलन से प्रतिस्पर्द्धा कम हुई एवं प्रजनन को बढ़ावा मिला।
  • पशु जन्म नियंत्रण (Animal Birth Control) पहल: वर्ष 1992 से, ब्लू क्रॉस ऑफ इंडिया जैसे गैर-सरकारी संगठनों एवं विभिन्न सरकारों ने शहरों में पशु जन्म नियंत्रण (ABC) कार्यक्रम लागू किए हैं।
  • कानूनी समर्थन: वर्ष 2001 में, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत पशु जन्म नियंत्रण नियम अधिसूचित किए गए थे।
    • पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम, 2023 ने वर्ष 2001 के नियमों का स्थान ले लिया है, जिसके अनुसार प्रक्रिया के बाद नसबंदी एवं टीकाकरण किए गए आवारा कुत्तों को उनके मूल स्थानों पर वापस छोड़ दिया जाना अनिवार्य है।
  • संचालन संबंधी सीमाएँ: पशु जन्म नियंत्रण अभियानों के तहत संख्या स्थिर करने के लिए 6-12 महीनों के भीतर आवारा कुत्तों की कम-से-कम दो-तिहाई आबादी की नसबंदी करना आवश्यक है।
    • अधिकांश भारतीय शहर इस लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहते हैं, क्योंकि इसकी जिम्मेदारी मुख्यतः कुछ गैर-सरकारी संगठनों पर है।
  • परिणाम चुनौती: यदि नसबंदी का लक्ष्य पूरा भी हो जाता है, तो भी आवारा कुत्तों की आबादी बढ़ सकती है, जो वर्तमान पशु जन्म नियंत्रण प्रयासों के सीमित दीर्घकालिक प्रभाव को दर्शाता है।

आवारा कुत्तों के संकट से निपटने के विकल्प

  • बड़े पैमाने पर नसबंदी एवं टीकाकरण अभियान: भूटान की तरह राष्ट्रव्यापी त्वरित कुत्ता आबादी प्रबंधन एवं रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम (2021-2023) को लागू किया जा सकता है, जिसने समय के साथ आवारा कुत्तों की 100% नसबंदी तथा टीकाकरण किया।
  • गोद लेने के प्रोत्साहन: दुकानों से खरीदे गए कुत्तों पर उच्च कर लगाकर एवं आश्रय स्थलों से गोद लेने को बढ़ावा देकर नीदरलैंड का मॉडल, जिससे सड़कों पर रहने वाले कुत्तों की आबादी में स्थायी रूप से कमी आएगी।
  • समुदाय-आधारित प्रबंधन: स्थानीय समुदायों को अपने क्षेत्रों में कुत्तों को खिलाने, टीका लगाने एवं उनकी निगरानी करने में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
  • पैट पुलिस (Pet Police): उपेक्षा एवं परित्याग को दंडित करने, पालतू जानवरों की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने तथा आवारा कुत्तों की संख्या कम करने के लिए समर्पित पशु कल्याण प्रवर्तन इकाई की स्थापना करना।

निष्कर्ष

दिल्ली-NCR  से आवारा कुत्तों को हटाने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उद्देश्य जन स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर करना है, लेकिन इसमें कानूनी, नैतिक तथा तार्किक बाधाएँ भी हैं। स्थायी समाधान के लिए बड़े पैमाने पर नसबंदी, सामुदायिक भागीदारी, सख्त पालतू स्वामित्व कानून एवं मानवीय प्रबंधन की आवश्यकता है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.