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अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण (Revocation of Article 370)

Samsul Ansari December 14, 2023 03:10 220 0

सन्दर्भ:

  • हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 370 में संशोधन के केंद्र सरकार के वर्ष 2019 के कदम पर अपना निर्णय प्रस्तुत किया।
    • कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को रद्द करने वाले संवैधानिक आदेश को वैध माना और कहा कि यह भारतीय संविधान के एकीकरण की दिशा में एक बेहतर कदम है ।

प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3, 370, 35A और 367।

मुख्य परीक्षा: अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण- इसके प्रभाव और चिंताएँ।

2019 में केंद्र द्वारा उठाए गए कदम?

  • विशेष दर्जे का निरसन: 2019 में, भारत सरकार ने दो संवैधानिक आदेशों 272 और 273 के माध्यम से, अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया तथा कश्मीर के दर्जे को कम करते हुए राज्य को पुनर्गठित किया।
    • बाद में केंद्र ने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों – जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख के रूप में पुनर्गठित करने का निर्णय लिया।
    • अनुच्छेद 370 के निरसन से क्षेत्र में उग्रवाद संबंधी घटनाओं पर प्रभाव पड़ा है।
      • सरकार ने निरस्तीकरण से पहले कई कदम उठाए, जिनमें पर्यटकों और छात्रों को निकालना एवं राजनीतिक नेताओं को घर में नजरबंद करना इत्यादि शामिल था।

अनुच्छेद 370 का अर्थ

  • विशेष दर्जे की रक्षा करना: अनुच्छेद 370 का अर्थ कश्मीर के विशेष दर्जे की रक्षा करना और उसे अधिक स्वायत्तता प्रदान करना था।
  • एक अस्थायी प्रावधान: भारतीय संविधान के 70 वर्ष पुराने अनुच्छेद 370, जो जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता था, को भारतीय संविधान के भाग XXI में “अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान” शीर्षक के तहत तैयार किया गया था।
  • अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर के विधानमंडल को राज्य के स्थायी निवासियों और उनके विशेष अधिकारों एवं विशेषाधिकारों को परिभाषित करने की शक्ति प्रदान करता है।

न्यायपालिका के निर्णय से जुड़ी चिंताएँ:

  • स्थानीय प्रतिनिधियों के साथ कोई परामर्श नहीं: यह कदम जम्मू-कश्मीर के लोगों के प्रतिनिधियों की स्पष्ट सहमति के बिना उठाया गया है।
    • न्यायालय इस बात पर काफी दृढ़ है कि अनुच्छेद 370 प्रकृति में अस्थायी था तथा इसके लिए जम्मू-कश्मीर विधान सभा की सहमति की आवश्यकता नहीं थी।
  • असममित संघवाद: यह निर्णय एक प्रकार के असममित संघवाद के समान प्रतीत होता है।
  • राष्ट्रपति शासन के प्रावधान का दुरुपयोग: अनुच्छेद 370(3) राष्ट्रपति को यह घोषित करने की शक्ति देता है कि अनुच्छेद 370 का क्रियान्वयन बंद हो जाएगा।
  • विधान सभा द्वारा संविधान सभा का प्रतिस्थापन: अनुच्छेद 370(3) में कहा गया है कि राष्ट्रपति के लिए ऐसी घोषणा जारी करने के लिए जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की सिफारिश आवश्यक थी। हालाँकि, राज्य की संविधान सभा 1957 में भंग कर दी गई थी।
    • ‘संविधान सभा’ शब्द का स्थान विधान सभा ने ले लिया।
  • कोई निर्दिष्ट तारीख नहीं: कोई कार्रवाई करने के बजाय, न्यायालय ने सरकार की तरफ से एक खुले वादे को स्वीकार करके इस मुद्दे को टाल दिया, जिसमें कोई निर्दिष्ट तारीख नहीं थी कि राज्य का दर्जा पुनर्बहाल किया जाएगा।
  • लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं: यदि किसी अनुच्छेद में संशोधन किया जाना है, तो संशोधन उसके लिए विशिष्ट होना चाहिए। लेकिन यह देखते हुए कि संवैधानिक आदेश (Constitutional Order-CO) 272 प्रक्रिया का मूल है, यह उचित नहीं है।
    • संवैधानिक आदेश 272 द्वारा अनुच्छेद 367 में संशोधन का प्रभाव अनुच्छेद 370 में संशोधन के समान था और यह अधिकारातीत था (अनुच्छेद 370) 1(d)।
      • यह सरकार को किसी अन्य अनुच्छेद में संशोधन करके किसी अन्य माध्यम से संविधान के एक अनुच्छेद में संशोधन करने से रोकता है।
      • संविधान के अनुच्छेद 367 में संविधान की व्याख्या के संबंध में कुछ सामान्य नियम शामिल हैं।
  • मूल्यों के विरुद्ध: इस निर्णय के परिणामस्वरूप जम्मू और कश्मीर राज्य का पुनर्गठन किया गया तथा इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाकर इसके दर्जे को कम किया गया।
    • अनुच्छेद 3 राज्यों की सीमाओं, उनके नामों और यहाँ तक कि पहचान में बदलाव की अनुमति से संबंधित है। यह किसी राज्य की स्थिति को बदलने और इसे केंद्र शासित प्रदेश में बदलने की अनुमति नहीं देता है।

निष्कर्ष:

निरसन के सकारात्मक प्रभावों के अनुभव के साथ, इसमें कोई संदेह नहीं है कि निर्णय की आवश्यकता थी, हालांकि चिंता उस प्रक्रिया को लेकर है जिसका उपयोग किया गया था। जम्मू-कश्मीर में राज्य और गैर-राज्य दोनों अभिकर्त्ताओं द्वारा किए गए नुक्सान की भरपाई करने की आवश्यकता है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न : पिछले वर्षों के दौरान जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया था , इस अनुच्छेद के निरसन से जम्मू-कश्मीर की स्थिति में आये बदलावों की चर्चा कीजिए | क्या जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 का निरसन कश्मीर घाटी में व्याप्त समस्याओं का समाधान है ? टिप्पणी कीजिए।

 

News Source: The Indian Express

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