हाल ही में पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा कि उनका देश भारत के साथ व्यापार फिर से शुरू करने के सवाल पर ‘गंभीरता से विचार’ कर सकता है।
भारत एवं पाकिस्तान के बीच व्यापार रुकने के कारण
अनुच्छेद-370 को निरस्त करना: भारत एवं पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2019 से अवरुद्ध है।
सीमा शुल्क में वृद्धि: वर्ष2019 में, भारत ने पाकिस्तानी आयात पर 200% कर लगाया। पाकिस्तान ने अपने एकतरफा उपायों के तहत, भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार अवरुद्ध कर दिया।
‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ दर्जे का उन्मूलन: वर्ष1996 में, भारत ने पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा दिया था। पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान का MFN दर्जा खत्म कर दिया गया था।
निलंबन से पहले व्यापार की संरचना
भारत के लिए व्यापार अधिशेष: भारत के पास व्यापार अधिशेष था क्योंकि पाकिस्तान को भेजे गए उत्पादों एवं सेवाओं का कुल मूल्य काफी अधिक था।
भारत के व्यापार में बहुत कम हिस्सेदारी: भारत के अन्य देशों के साथ मिलकर कुल व्यापार में भारत-पाकिस्तान वाणिज्य का हिस्सा केवल $2.29 बिलियन (भारत के कुल व्यापार का 0.35%) था।
भारत से आयात: भारत से आयातित उत्पादों में कपास, कार्बनिक यौगिक, पॉलिमर, टैनिंग/रंगाई अर्क, परमाणु रिएक्टर से संबंधित उपोत्पाद, बॉयलर, मशीनरी एवं यांत्रिक उपकरण शामिल हैं।
पाकिस्तान से आयात: पाकिस्तान से आयात में खनिज ईंधन एवं तेल, खाद्य फल तथा मेवे, नमक, सल्फर, पत्थर एवं प्लास्टर सामग्री, अयस्क, लावा तथा राख, कच्ची खाल एवं चमड़ा शामिल हैं।
द्विपक्षीय व्यापार निलंबन के बाद की स्थिति
अप्रत्यक्ष व्यापार: कुछ कम माल ढुलाई वाले संवेदनशील उत्पाद जैसे- सूखा खजूर, अप्रत्यक्ष तरीकों से एक-दूसरे देशों के बाजारों में प्रवेश करने लगे थे।
भारतीय माल की लोकप्रियता: कपड़ा, सौंदर्य प्रसाधन एवं आभूषण जैसे उत्पाद पाकिस्तानी बाजारों में स्वतंत्र रूप से प्रवेश कर रहे थे।
अन्य देशों के माध्यम से भारतीय वस्तुओं का प्रवेश: भारतीय वस्तुएँ अफगानिस्तान, चीन एवं दुबई के माध्यम से पाकिस्तान में प्रवेश करती हैं, जिससे सीमा पार वाणिज्य में अंतर कम हो जाता है।
उदाहरण के लिए: दुबई ने विभिन्न कंपनियों के लिए राजनीतिक तनाव के कारण बाधित हुए बिना व्यापार करने के लिए एक तटस्थ आधार के रूप में सेवा करके दोनों देशों के बीच व्यापार की सुविधा प्रदान की है।
अत्यधिक आयात लागत: उच्च आयात लागत ने पाकिस्तान को भारत से कपास के आयात पर प्रतिबंध को खत्म करने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका एवं ब्राजील जैसे देशों से कपास तथा चीनी का आयात महंगा एवं समय लेने वाला है।
कम मात्रा में व्यापार: कम मात्रा, उच्च मूल्य वाली वस्तुओं में आभूषण, मशीनरी, फार्मास्यूटिकल्स एवं रसायन शामिल हैं।
व्यवसाय विशेष रूप से दुबई के माध्यम से लंबा रास्ता अपना सकते हैं, क्योंकि अतिरिक्त लागत सीधे ग्राहकों को हस्तांतरित की जाती है।
भारत-पाकिस्तान व्यापार को सामान्य बनाने की चुनौतियाँ
व्यापार में हेराफेरी: पाकिस्तान में आयात दुबई या सिंगापुर के माध्यम से किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप अतिरिक्त माल ढुलाई, ट्रांसशिपमेंट एवं परिवहन लागत होती है।
व्यापार प्रतिबंध: अप्रैल 2020 एवं जनवरी 2021 के बीच पाकिस्तान के आयात में भारी गिरावट आई, जबकि कपास का आयात पूरी तरह से बंद हो गया।
एकमात्र वृद्धि दवा उत्पादों में हुई, क्योंकि पाकिस्तान ने कोविड-19 महामारी के दौरान दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया था।
नीतिगत अस्थिरता: वर्ष 2021 में, पाकिस्तान की आर्थिक समन्वय परिषद, एक शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था, ने भारत से कपास एवं धागे के आयात की अनुमति दी।
पाकिस्तान की नीति में बदलाव के पीछे कम घरेलू उपज एवं ब्राजील तथा संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों से आयात की उच्च लागत को कारण माना जा रहा है।
आयात को वर्गीकृत करना: वर्ष 2012 में, पाकिस्तान ने भारत से आयात के लिए स्वीकृत 1,950 से अधिक टैरिफ लाइनों की ‘सकारात्मक सूची’ को 1,209 लाइनों की ‘नकारात्मक सूची’ से बदल दिया, जिन्हें आयात नहीं किया जा सकता था।
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