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आंध्र प्रदेश की रेत खनन संबंधी नीति

Lokesh Pal September 06, 2024 01:03 40 0

संदर्भ

आंध्र प्रदेश ने पिछले एक दशक में अपनी रेत खनन संबंधी नीतियों में कई बदलाव किए हैं, जिससे महत्त्वपूर्ण राजस्व हानि एवं भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।

संबंधित तथ्य

  • NDA सरकार का ‘मुफ्त रेत नीति’ को बढ़ावा देना (2024): NDA सरकार ने YSRCP सरकार की रेत खनन संबंधी नीतियों को पलट दिया एवं मुफ्त रेत नीति को बहाल कर दिया।
  • युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (Yuvajana Sramika Rythu Congress Party- YSRCP) सरकार की रेत नीति (2019): नवनिर्वाचित YSRCP सरकार ने मुफ्त रेत नीति को समाप्त कर दिया एवं अपने स्वयं के रेत विनियमन उपाय प्रस्तुत किए।

रेत खनन के बारे में

  • रेत खनन: संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के अनुसार, रेत खनन (निष्कर्षण) बाद के प्रसंस्करण के लिए मूल्यवान खनिजों को निकालने के लिए प्राकृतिक पर्यावरण से प्राथमिक प्राकृतिक रेत एवं रेत संसाधनों को हटाना है।
  • गौण खनिज के रूप में रेत: खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 (MMDR अधिनियम) की धारा 3 (e) के तहत रेत एक गौण खनिज है। 
  • राज्य सरकारों की शक्तियाँ: MMDR अधिनियम की धारा 15 राज्य सरकारों को गौण खनिजों के संबंध में खदान पट्टों, खनन पट्टों या अन्य खनिज रियायतों के अनुदान को विनियमित करने के लिए नियम बनाने का अधिकार देती है।
    • इसके अतिरिक्त, MMDR अधिनियम की धारा 23C राज्य सरकारों को खनिजों के अवैध खनन, परिवहन एवं भंडारण को रोकने के लिए नियम बनाने का अधिकार देती है।
  • राज्य-स्तरीय विनियमन: गौण खनिजों का विनियमन राज्य सरकारों के विधायी एवं प्रशासनिक क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
    • अवैध खनन पर नियंत्रण राज्य सरकारों के विधायी एवं प्रशासनिक दायरे में आता है।

प्रमुख एवं गौण खनिज

खनिजों को प्रमुख एवं गौण खनिजों में वर्गीकृत किया जा सकता है:-

  • प्रमुख खनिज: ये खनिज पृथ्वी की पर्पटी में प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं, उदाहरण के तौर पर कोयला, लौह अयस्क, बॉक्साइट, ताँबा, सोना एवं चूना पत्थर, अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
  • गौण खनिज: ये खनिज पृथ्वी की पर्पटी में कम मात्रा में पाए जाते हैं, उदाहरण के तौर पर अभ्रक, गार्नेट (Garnet), बैराइट (Barite), टैल्क (Talc), बेरिल (Beryl) एवं सिलिका रेत का सीमित आर्थिक महत्त्व है। 
    • इन्हें छोटे पैमाने पर निकाला जाता है, इनका उपयोग विशिष्ट अनुप्रयोगों में किया जाता है।

भारत में खनन संबंधी संवैधानिक प्रावधान

  • राज्य सूची (सूची II): राज्य सूची की प्रविष्टि 23 राज्य सरकारों को अपने क्षेत्रों के भीतर खानों एवं खनिज विकास को विनियमित करने का अधिकार देती है।
  • संघ सूची (सूची I): संघ सूची की प्रविष्टि 54 केंद्र सरकार को भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone- EEZ) जैसे क्षेत्रों में खानों एवं खनिज विकास को विनियमित करने की अनुमति देती है।

भारत में अवैध रेत खनन पर अंकुश लगाने के उपाय

  • वर्ष 2006 में पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA): भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि 5 हेक्टेयर से कम क्षेत्र सहित सभी रेत खनन गतिविधियों के लिए अनुमोदन की आवश्यकता है।
  • सतत रेत प्रबंधन दिशा-निर्देश (SSMG), 2016: ये दिशा-निर्देश केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा पर्यावरण की दृष्टि से सतत् तथा सामाजिक रूप से जिम्मेदार रेत खनन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जारी किए गए थे। 
    • दिशा-निर्देश रेत खनन स्रोतों की पहचान, नदी तल सामग्री [रेत, बोल्डर, बजरी, कोबल (Cobble), आदि] की पुनःपूर्ति, जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट (DSR) की तैयारी, एवं रेत खनन परियोजनाओं के लिए उपयुक्त मानक पर्यावरणीय स्थितियों पर प्रकाश डालते हैं।
  • रेत खनन के लिए प्रवर्तन एवं निगरानी दिशा-निर्देश, 2020: ये दिशा-निर्देश पूरे भारत में रेत खनन की निगरानी के लिए एक मानकीकृत प्रोटोकॉल स्थापित करते हैं। 
    • वे रेत खनिज स्रोतों की पहचान, प्रेषण एवं अंतिम उपयोग को कवर करते हैं तथा खनन गतिविधियों की बेहतर निगरानी के लिए ड्रोन एवं नाइट विजन जैसी उन्नत निगरानी प्रौद्योगिकियों के उपयोग की सिफारिश करते हैं।
  • रेत खनन ढाँचा: केंद्रीय खान मंत्रालय ने रेत खनन में स्थिरता, उपलब्धता, सामर्थ्य एवं पारदर्शिता के उद्देश्यों के साथ राज्यों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल करते हुए यह ढाँचा तैयार किया है। 
  • खनन निगरानी प्रणाली (MSS): भारतीय खान ब्यूरो के माध्यम से केंद्रीय खान मंत्रालय ने राज्य सरकार को किसी भी अवैध खनन गतिविधि की रिपोर्ट करने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करने हेतु खनन निगरानी प्रणाली (MSS) विकसित की है, जो आवश्यक कार्रवाई करेगी। 
    • खनन निगरानी प्रणाली (MSS) एक उपग्रह आधारित निगरानी प्रणाली है, जिसका उद्देश्य उपग्रह चित्रों के उपयोग के माध्यम से पट्टा क्षेत्र से परे अवैध खनन गतिविधि का पता लगाना है।

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