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ISRO के सूर्य मिशन आदित्य L1 से पहला तार्किक परिणाम प्राप्त हुआ

Lokesh Pal November 05, 2024 03:52 32 0

संदर्भ

आदित्य-L1 मिशन का पहला तार्किक परिणाम सामने आ गया है।

संबंधित तथ्य 

आदित्य-L1 मिशन ने अपने प्राथमिक पेलोड, ‘विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ’ (Visible Emission Line Coronagraph- VELC) का उपयोग करके 16 जुलाई को सूर्य से ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ के प्रारंभ समय का सटीक अनुमान लगाने में अपनी पहली वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल की है।

मिशन के मुख्य अवलोकन

  • निकट-सीमा CME अवलोकन: VELC का अद्वितीय स्पेक्ट्रोस्कोपिक डेटा वैज्ञानिकों को सूर्य की सतह के पास CME का अध्ययन करने की अनुमति देता है, जो आमतौर पर केवल दृश्य-प्रकाश अवलोकन के साथ चुनौतीपूर्ण होता है।
  • ऊष्मागतिकीय अंतर्दृष्टि: VELC वैज्ञानिकों को सूर्य पर उनके स्रोत क्षेत्रों के निकट CME के ऊष्मागतिकीय गुणों को समझने में मदद करता है तथा सौर विस्फोटों के बारे में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
  • सौर चक्र निगरानी: सूर्य वर्तमान में अपने सौर चक्र (चक्र संख्या 25) के चरम पर पहुँच रहा है, जो CME गतिविधियों में वृद्धि का संकेत देता है।
    • विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ  (VELC) की निरंतर निगरानी से इन विस्फोटों के बारे में व्यापक वैज्ञानिक डेटा प्राप्त हो सकता है।

कोरोनल मास इजेक्शन (CME) 

  • परिभाषा: कोरोनल मास इजेक्शन (CME) सूर्य के कोरोना से अंतरिक्ष में प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र का एक विशाल उत्सर्जन है।
  • कारण: CME, सूर्य के चुंबकीय क्षेत्रों के अचानक पुनर्गठन के कारण होता है, जिससे ऊर्जा का एक विस्फोटक उत्सर्जन होता है।
  • आवृत्ति: सूर्य के 11 वर्षीय सौर चक्र के चरम के दौरान CME अधिक बार होते हैं।
  • विशेषताएँ: इनमें अरबों टन आवेशित कण (प्लाज्मा) होते हैं, जो सैकड़ों से हजारों किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से यात्रा करते हैं।
  • पृथ्वी पर प्रभाव
    • उपग्रह व्यवधान: CME उपग्रह इलेक्ट्रॉनिक्स को नुकसान पहुँचा सकते हैं और GPS तथा संचार प्रणालियों को प्रभावित कर सकते हैं।
    • भू-चुंबकीय तूफान: जब CME पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ संपर्क करते हैं, तो वे भू-चुंबकीय तूफान उत्पन्न कर सकते हैं, जिससे संभावित रूप से विद्युत ग्रिड और रेडियो संचार बाधित हो सकते हैं।
    • ऑरोरा: CME ऑरोरा को तीव्र कर सकते हैं, जिससे ध्रुवों के पास प्रकाश का प्रदर्शन हो सकता है।

आदित्य L1 मिशन के बारे में

  • लॉन्च की तारीख: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 2 सितंबर, 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आदित्य-L1 मिशन लॉन्च किया।

  • मिशन का लक्ष्य: आदित्य-L1 सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला समर्पित वैज्ञानिक मिशन है।
  • पेलोड: मिशन का प्राथमिक पेलोड, ‘विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ’ (Visible Emission Line Coronagraph- VELC), भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIAp), बंगलूरू द्वारा विकसित किया गया था।
  • वर्तमान कक्षा: आदित्य-L1 को 6 जनवरी, 2024 को पृथ्वी-सूर्य लैग्रेंज बिंदु (L1) के चारों ओर एक हेलो कक्षा में रखा गया था।
  • मिशन का जीवनकाल: आदित्य-L1 को पाँच वर्ष तक संचालित करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो लगातार सौर घटनाओं का अवलोकन और डेटा एकत्र करता रहेगा।

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