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वैश्विक व्यापार अद्यतन रिपोर्ट: अंकटाड (UNCTAD)

Lokesh Pal March 23, 2024 06:30 178 0

संदर्भ

संयुक्त राष्ट्र  व्यापार एवं विकास सम्मेलन (UNCTAD) का अनुमान है कि वर्ष 2024 में वैश्विक व्यापार में सुधार होगा।

संबंधित तथ्य

  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार का पूर्वानुमान सकारात्मक है एवं सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 3% पर स्थिर रहने की उम्मीद है।

वर्ष 2024 में अंतरराष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि की उम्मीद के कारण

ऐसे कई कारण हैं, जिनके चलते अंतरराष्ट्रीय व्यापार के सकारात्मक रहने की उम्मीद की जाती है।

  • वैश्विक मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना: जैसे-जैसे मुद्रास्फीति की दरें स्थिर होती हैं, यह अनिश्चितता एवं लागत में उतार-चढ़ाव को कम करके व्यापार को प्रोत्साहित करती है।

    • स्थिर कीमतें व्यवसायों एवं लोगों के लिए बाजार की प्रवृत्ति का विश्लेषण करना आसान बनाती हैं, जिसके कारण उनकी अन्य देशों के साथ व्यापार करने की अधिक संभावना होती है।
  • बेहतर आर्थिक विकास पूर्वानुमान: दुनिया भर में एक अनुकूल आर्थिक पूर्वानुमान लोगों को सीमाओं के पार वस्तुएँ खरीदने एवं बेचने के बारे में अधिक आश्वस्त महसूस कराकर देशों के बीच अधिक व्यापार को प्रोत्साहित करता है।
  • पर्यावरणीय वस्तुओं की बढ़ती माँग: स्थिरता एवं पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करने से पर्यावरणीय वस्तुओं, विशेष रूप से इलेक्ट्रिक कारों के व्यापार में बढ़ोतरी हो रही है, जिससे व्यापार में अधिक वृद्धि की संभावना जताई गई है।

वर्ष 2024 में व्यापार में चुनौतियाँ 

  • शिपिंग मार्ग में व्यवधान: लाल सागर, काला सागर एवं पनामा नहर जैसे प्रमुख शिपिंग मार्गों में हालिया व्यवधान से परिवहन लागत बढ़ सकती है तथा आपूर्ति शृंखला बाधित हो सकती है, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
  • दुनिया भर में राजनीतिक संघर्ष: दुनिया भर में चल रहे राजनीतिक संघर्षों से ऊर्जा एवं कृषि जैसे महत्त्वपूर्ण बाजारों में अस्थिरता हो सकती है, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार हतोत्साहित हो सकता है। उदाहरण: रूस-यूक्रेन संघर्ष, इजरायल-हमास युद्ध आदि।
  • आवश्यक खनिजों की आपूर्ति में कमी: स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए आवश्यक खनिजों की बढ़ती माँग उनकी आपूर्ति को प्रभावित कर सकती है एवं कीमतों में उतार-चढ़ाव का कारण बन सकती है, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए अतिरिक्त जोखिम उत्पन्न हो सकता है।

वर्ष 2023 में वैश्विक व्यापार रुझान

  • वैश्विक व्यापार में समग्र कमी: वैश्विक व्यापार में 3% की कमी आई, जो लगभग $1 ट्रिलियन की राशि थी, जबकि पिछले वर्ष का रिकॉर्ड उच्चतम स्तर $32 ट्रिलियन था।
    • आर्थिक मंदी मुख्य रूप से विकसित अर्थव्यवस्थाओं में कम माँग एवं पूर्वी एशिया तथा लैटिन अमेरिका में कमजोर व्यापार के कारण उत्पन्न हुई थी।
  • क्षेत्रीय प्रदर्शन: हालाँकि सेवा क्षेत्र में वर्ष-दर-वर्ष 8% की वृद्धि हुई, वर्ष 2022 की तुलना में वस्तुओं के व्यापार में 5% की गिरावट आई।
  • तिमाही वृद्धि: तिमाही-दर-तिमाही आँकड़ों में सुधार के संकेत दिखे, विशेषकर चीन एवं भारत जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं  के संदर्भ में।

वर्ष 2023 में भारतीय व्यापार का प्रदर्शन

  • व्यापारिक निर्यात: भारत ने पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में वर्ष 2023 की अंतिम तिमाही में व्यापारिक निर्यात में 5% की वृद्धि दर्ज की है। हालाँकि, वार्षिक निर्यात वृद्धि में 6% की कमी आई है।
  • सेवा निर्यात: पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2023 की अंतिम तिमाही में सेवा निर्यात अपरिवर्तित रहा है।
    • हालाँकि, सेवा निर्यात में 14% की उल्लेखनीय वार्षिक वृद्धि हुई है।
  • वर्ष 2023 में भारत की व्यापार निर्भरता में बदलाव: चीन एवं यूरोपीय संघ पर भारत की निर्भरता 1.2% बढ़ी है।
    • इसके विपरीत, इसी अवधि के दौरान सऊदी अरब पर निर्भरता 0.6% कम हो गई।

वैश्विक व्यापार 2024 के सकारात्मक दृष्टिकोण का भारतीय व्यापार या अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

सकारात्मक

नकारात्मक

  • निर्यात को बढ़ावा: विश्व स्तर पर अधिक व्यापार का अर्थ है कि भारत अपने अधिक उत्पाद अन्य देशों को बेच सकता है।
  • रोजगार सृजन: विदेशों में अधिक सामान बेचने से भारत में नई नौकरियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • विदेशी धन को आकर्षित करना: जब वैश्विक व्यापार अच्छा होता है, तो विदेशी निवेशक भारत में पैसा लगाना चाहेंगे।
    • इससे भारतीय अर्थव्यवस्था में अधिक वृद्धि हो सकती है।
  • बेहतर व्यावसायिक विश्वास: यदि विदेशी व्यवसाय विश्व अर्थव्यवस्था के बारे में सकारात्मक रहते हैं, तो वे भारत में अधिक निवेश कर सकते हैं।
  • भारतीय व्यवसायों के लिए उच्च व्यय: लाल सागर एवं पनामा नहर जैसे शिपिंग मार्गों में व्यवधान, भारतीय व्यापारियों के लिए लागत बढ़ा सकते हैं तथा शिपमेंट में देरी कर सकते हैं।
  • वैश्विक राजनीतिक संघर्ष: दुनिया भर में राजनीतिक संघर्ष ऊर्जा एवं कृषि बाजारों में अनिश्चितता पैदा कर सकते हैं, जिससे भारत की व्यापार संभावनाएँ प्रभावित हो सकती हैं।
  • भारतीय व्यापार पर खनिजों की कमी का प्रभाव: स्वच्छ ऊर्जा के लिए आवश्यक खनिजों की कमी से कीमतों में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिससे व्यापार के लिए उन पर निर्भर भारतीय उद्योगों पर असर पड़ सकता है।

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