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बंगाल के बुक्सा रिजर्व में बाघ की वापसी (In Bengal’s Buxa Reserve, Big Cat’s Return Brings Fresh Hope)

Samsul Ansari January 04, 2024 05:56 180 0

संदर्भ

हाल ही में पश्चिम बंगाल के बुक्सा राष्ट्रीय उद्यान में एक बाघ की उपस्थिति दर्ज की गई  है।

  • अंतिम बार बाघ की उपस्थिति 23 वर्ष बाद 12 दिसंबर, 2021 को दर्ज की गई थी।

बाघों की वापसी के संभावित कारण 

  • बाघों के शिकार में वृद्धि (पिछले तीन-चार वर्षों में बाघों के शिकार के लिये ऐसे 900 हिरणों को लाया गया)।
  • घास के मैदान का विस्तार (लगभग 70 हेक्टेयर प्रति वर्ष)।
  • जल निकायों की स्थापना (पुनर्निर्मित जल निकाय बाघों को मवेशियों से दूर रखते हैं, साथ ही गर्मी के समय बाघ जल में समय बिताते हैं और शिकार भी करते हैं।)
  • मानव अंतःक्रिया को नियंत्रित करना
  • घुसपैठ और अतिक्रमण पर अंकुश लगाने की पहल
  • आस-पास के रिजर्व में बाघों की आबादी में वृद्धि (असम के मानस टाइगर रिजर्व और भूटान के जंगलों में बाघों की आबादी में वृद्धि)।

बुक्सा टाइगर रिजर्व

  • अवस्थिति: यह 760 वर्ग किलोमीटर में विस्तृत है एवं उत्तरी बंगाल के अलीपुरद्वार जिले में स्थित है। इसकी उत्तरी सीमा भूटान की सीमा के साथ लगती है।
  • स्थापना: इसे वर्ष 1983 में भारत के 15वें टाइगर रिजर्व के रूप में स्थापित किया गया था और जनवरी 1992 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।
    • वर्ष 2018 में राज्य वन विभाग, भारतीय वन्यजीव संस्थान और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा बुक्सा में “बाघ संवर्द्धन और निगरानी परियोजना” शुरू की गई थी।
  • कनेक्टिविटी: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अनुसार, इसकी संपूर्ण सीमा पर ‘कॉरिडोर कनेक्टिविटी’ मौजूद है:
    • उत्तर: भूटान के वन
    • पूर्व: कोचुगाँव वन और मानस टाइगर रिजर्व
    • पश्चिम: जलदापारा राष्ट्रीय उद्यान।
  • प्रवाहित होने वाली मुख्य नदियाँ: संकोश, रैदक, जयंती, चुर्निया, तुरतुरी, फश्खावा, दीमा और नोनानी।
  • वनस्पति के प्रकार: आर्द्र उष्णकटिबंधीय वन।
  • कुछ उपस्थित प्रजातियाँ: भारतीय बाघ (पैंथेरा टाइग्रिस टाइग्रिस), तेंदुआ (पैंथेरा पार्डस), क्लाउडेड तेंदुआ (नियोफेलिस नेबुलोसा), जंगल कैट (फेलिस चाउस) आदि।

  • भारत रॉयल बंगाल टाइगर्स के लिए दुनिया का सबसे बड़ा आवास है। विश्व के कुल बाघों में से 70% से अधिक बाघ भारत में पाए जाते हैं।
  • भारत में सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व: नागार्जुन सागर-श्रीशैलम टाइगर रिजर्व, आंध्र प्रदेश।
  • भारत में सबसे छोटा टाइगर रिजर्व: बोर टाइगर रिजर्व, महाराष्ट्र।

बाघ की संरक्षण स्थिति

  • भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची-I
  • अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट: लुप्तप्राय।
  • वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES): परिशिष्ट-I

भारत में बाघ संरक्षण परियोजनाएँ

  • प्रोजेक्ट टाइगर: यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) की एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे वर्ष 1973 में उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से शुरू किया गया था। 
  • इसका लक्ष्य है:
    • पहचान एवं शमन: बाघों के आवास में कमी लाने वाले कारकों की पहचान करना और उपयुक्त प्रबंधन प्रथाओं के माध्यम से उन्हें कम करना।
    • पुनर्प्राप्ति: आवास स्थान में पहले ही हो चुकी क्षति का सुधार।
    • रखरखाव: उनके आर्थिक, पारिस्थितिकी, सांस्कृतिक और सौंदर्य संबंधी महत्त्व के लिए बाघों की व्यवहार्य आबादी को बनाए रखना।
      • वर्ष 2023 में भारत ने ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ का 50वाँ वर्ष मनाया।
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की स्थापना: इसकी स्थापना वर्ष 2005 में टाइगर टास्क फोर्स की सिफारिशों पर की गई थी और यह MoEFCC के तहत एक वैधानिक निकाय है। इसके निम्नलिखित अधिदेश हैं:
    • प्रोजेक्ट टाइगर को वैधानिक अधिकार प्रदान करना ताकि इसके निर्देशों का अनुपालन कानूनी हो सके।
    • हमारे संघीय ढाँचे के भीतर राज्यों के साथ समझौता ज्ञापन के लिए आधार प्रदान करके, टाइगर रिजर्व के प्रबंधन में केंद्र-राज्य की जवाबदेही को बढ़ावा देना।
    • संसद द्वारा निगरानी प्रदान करना।
    • टाइगर रिजर्व के आसपास के क्षेत्रों में स्थानीय लोगों के आजीविका संबंधी हितों को संबोधित करना।
  • अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (ITD): 29 जुलाई को दुनिया में बाघों की घटती आबादी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
    • ITD की स्थापना वर्ष 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर शिखर सम्मेलन (रूस) में जंगली बाघों की संख्या में गिरावट, विलुप्त होने की कगार से बाहर निकालने में जागरूकता बढ़ाने और बाघ संरक्षण संबंधी कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए की गई थी।

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