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GST 2.0 पर संसद की लोक लेखा समिति की सिफारिशें

Lokesh Pal March 28, 2025 03:13 42 0

संदर्भ

संसद की लोक लेखा समिति (PAC) ने वित्त मंत्रालय से GST 2.0 लागू करने का आग्रह किया है, जो वर्तमान वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली का एक सुव्यवस्थित संस्करण है।

वस्तु एवं सेवा कर (GST)

  • वस्तु एवं सेवा कर (GST) एक व्यापक, बहु-चरणीय, गंतव्य-आधारित अप्रत्यक्ष कर है, जिसने भारत में कई अप्रत्यक्ष करों का स्थान ले लिया है।
    • इसका उद्देश्य पूरे देश में कर संरचना को एकीकृत करना और व्यवसायों के लिए अनुपालन को सरल बनाना है।
    • GST अधिनियम 29 मार्च, 2017 को पारित किया गया था और 1 जुलाई, 2017 को लागू हुआ था।
  • GST की संरचना
    • अंतरराज्यीय लेन-देन (राज्य के भीतर)
      1. केंद्रीय GST (CGST): केंद्र सरकार द्वारा संगृहीत।
      2. राज्य GST (SGST): संबंधित राज्य सरकार द्वारा संगृहीत।
    • अंतरराज्यीय लेन-देन (राज्यों के बीच)
      1. एकीकृत GST (IGST): केंद्र सरकार द्वारा एकत्र किया जाता है और बाद में राज्यों के बीच वितरित किया जाता है।
  • इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) 
    • व्यवसाय उत्पादन या आपूर्ति के प्रत्येक चरण में भुगतान किए गए करों के लिए क्रेडिट का दावा कर सकते हैं।
    • GST केवल प्रत्येक चरण में मूल्य संवर्द्धन पर लागू होता है, जिससे कोई ‘कैस्केडिंग प्रभाव’ (कर पर कर) सुनिश्चित नहीं होता है।
    • अंतिम उपभोक्ता को केवल आपूर्ति शृंखला में अंतिम विक्रेता द्वारा लगाए गए GST का भुगतान करना होता है।
  • GST परिषद: यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद-279-A के तहत स्थापित एक संवैधानिक निकाय है, जो भारत में GST से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर निर्णय लेता है।

लोक लेखा समिति की प्रमुख सिफारिशें

  • GST ढाँचे की व्यापक समीक्षा: वित्त मंत्रालय को उन अनावश्यक प्रक्रियाओं को समाप्त करना चाहिए, जो अनुपालन को जटिल बनाती हैं।
    • फॉर्मों को समेकित करके और फाइलिंग आवृत्ति को कम करके रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जाना चाहिए।
    • एक स्तरीय अनुपालन प्रणाली शुरू की जानी चाहिए, जहाँ छोटे व्यवसायों को बड़ी संस्थाओं की तुलना में कम आवश्यकताओं का सामना करना पड़े।
  • उपयोगकर्ता-अनुकूल GST पोर्टल: GST पोर्टल के उपयोगकर्ता अनुभव को बेहतर बनाएँ और सुनिश्चित करें कि करदाताओं को प्रत्येक  कदम पर स्पष्ट मार्गदर्शन और सहायता मिले।
  • गलतियों के लिए आपराधिक दंड: ईमानदार करदाताओं के लिए अनुचित आपराधिक दंड को रोकने के लिए GST कानूनों में सुधार करना। यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि दंड जानबूझकर की गई धोखाधड़ी और अनभिज्ञतापूर्ण गलतियों के बीच अंतर स्पष्ट करे।
  • आधार प्रमाणीकरण चुनौतियाँ: अनुपालन बाधाओं से बचने के लिए बायोमेट्रिक-आधारित आधार प्रमाणीकरण प्रक्रिया को परिष्कृत करने की आवश्यकता है।
    • “एक राष्ट्र, एक कर” के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इन मुद्दों को संबोधित करना महत्त्वपूर्ण है।
  • राजस्व अनुमानों के लिए AI और डेटा एनालिटिक्स: सही कर राजस्व पूर्वानुमान के लिए डेटा एनालिटिक्स और AI का उपयोग करना।
    • व्यापक आर्थिक कारकों, आयातों और वैश्विक आर्थिक स्थितियों के कारण अप्रत्यक्ष कर राजस्व में होने वाले उतार-चढ़ाव को संबोधित करना।
  • पारदर्शी और कुशल ‘रिफंड’ प्रणाली
    • स्पष्ट समय-सीमा के साथ समयबद्ध ‘रिफंड’ प्रक्रिया को लागू करना।
    • करदाताओं को उनके ‘रिफंड’ की स्थिति के बारे में नियमित अपडेट प्रदान करना।
    • ‘रिफंड’ से संबंधित मुद्दों के लिए एक समर्पित शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना।
  • MSME और निर्यातकों के लिए सरलीकृत अनुपालन
    • रिटर्न फाइलिंग और रिफंड प्रोसेसिंग को स्वचालित करने के लिए MSME हेतु सरलीकृत GST ढाँचा प्रस्तुत करना।
    • छोटे व्यवसायों के लिए रिटर्न फाइलिंग आवृत्ति कम करना।
    • निर्यात दस्तावेजीकरण को सरल बनाना और स्पष्ट अनुपालन दिशा-निर्देश प्रदान करना।
  • डेटा-संचालित कर अनुपालन निगरानी
    • लंबित कर मामलों के लिए वास्तविक समय ट्रैकिंग सिस्टम का उपयोग करना।
    • डेटा एनालिटिक्स के माध्यम से पहचाने गए बार-बार गैर-अनुपालन के लिए सख्त दंड लागू करना।
    • करदाताओं और अधिकारियों के बीच मैन्युअल इंटरेक्शन को समाप्त करने के लिए पूरी तरह से फेसलेस GST संग्रह प्रणाली शुरू करना।
  • राज्यों को शीघ्र मुआवजा
    • मुआवजा प्रत्येक दो महीने में अनंतिम रूप से जारी किया जाना चाहिए।
    • अंतिम मुआवजे का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा वार्षिक रूप से ऑडिट किया जाना चाहिए।
  • GST दस्तावेजों की डिजिटल निगरानी: वित्त मंत्रालय को छह महीने के भीतर GST से संबंधित दस्तावेजों के लिए एक व्यापक डिजिटल प्रारूप जारी करना चाहिए।

लोक लेखा समिति (PAC) 

  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: इसका उल्लेख पहली बार भारत सरकार अधिनियम, 1919 (मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार) में किया गया था।
  • समिति: लोक लेखा समिति (PAC) भारत की सबसे पुरानी संसदीय समिति है, जिसकी स्थापना वर्ष 1921 में हुई थी।
    • यह तीन वित्तीय संसदीय समितियों में से एक है, साथ ही प्राक्कलन समिति और सार्वजनिक उपक्रम समिति भी इसमें शामिल है।
    • समिति का गठन प्रत्येक वर्ष लोकसभा के प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के नियम- 308 के तहत किया जाता है।
  • भूमिका
    • भारत सरकार के राजस्व और व्यय का लेखा-जोखा रखती है।
    • यह सुनिश्चित करती है कि सार्वजनिक धन कुशलतापूर्वक, कानूनी रूप से और इच्छित उद्देश्य के लिए खर्च किया जाए।
    • समिति एक कार्यकारी निकाय नहीं है और केवल सलाहकार सिफारिशें कर सकती है।
  • संरचना
    • कुल सदस्य: 22 (लोकसभा से 15, राज्यसभा से 7)।
    • अध्यक्ष: लोकसभा का एक सांसद, जो परंपरागत रूप से विपक्ष से होता है, जिसे लोकसभा अध्यक्ष द्वारा नियुक्त किया जाता है।
    • कार्यकाल: एक वर्ष
    • निष्पक्षता बनाए रखने के लिए मंत्रियों को PAC का सदस्य बनने की अनुमति नहीं है।
  • महत्त्व
    • सरकारी वित्त पर संसदीय निगरानी को मजबूत करता है।
    • भ्रष्टाचार और वित्तीय कुप्रबंधन को रोकने में मदद करता है।
    • शासन में राजकोषीय अनुशासन और जवाबदेही को बढ़ाता है।

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