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राष्ट्रपति मुर्मू द्वारा गणतंत्र दिवस विशेष स्वागत समारोह

Lokesh Pal January 14, 2025 05:10 56 0

संदर्भ

भारतीय गणतंत्र के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में, राष्ट्रपति भवन के ‘ऐट होम’ रिसेप्शन में आमंत्रित लोगों को तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के GI-टैग किए गए शिल्पों का एक क्यूरेटेड बॉक्स प्राप्त होगा, जो ‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना के तहत क्षेत्र की समृद्ध विरासत को उजागर करेगा।

‘एट होम’ रिसेप्शन के बारे में

  • ‘एट होम’ रिसेप्शन गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस जैसे अवसरों पर राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति द्वारा आयोजित एक औपचारिक कार्यक्रम है।
  • यह प्रतिष्ठित व्यक्तियों को सम्मानित करने और समाज में उनके योगदान को मान्यता देने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।
  • यह कार्यक्रम समावेशिता, एकता और भारत की उपलब्धियों और विरासत के उत्सव का प्रतीक है।
  • आमंत्रण प्रारूप
    • परंपरागत रूप से, मेहमानों को आमंत्रित करने के लिए ‘लायन कैपिटल ऑफ अशोक’ के साथ एक सफेद उभरा हुआ कार्ड का उपयोग किया जाता है।
    • इस वर्ष, आमंत्रितों को वर्ष 2025 में गणतंत्र दिवस समारोह के हिस्से के रूप में भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करने वाली कलाकृतियों से युक्त एक विशेष रूप से निरूपित किया गया शिल्प बॉक्स भी मिला।
  • स्थान एवं सेटअप
    • यह आयोजन अमृत उद्यान या राष्ट्रपति भवन के समारोह हॉल में आयोजित किया जाता है, जो व्यवस्था पर निर्भर करता है।
    • यह राजनीतिक नेताओं, राजनयिकों, सैन्य अधिकारियों और विविध क्षेत्रों के उपलब्धि प्राप्त लोगों के बीच बातचीत का अवसर प्रदान करता है।

पहल की मुख्य विशेषताएँ

  • अवधारणा और क्रियान्वयन: इस विचार का प्रस्ताव राष्ट्रपति मुर्मू ने रखा था और इसे राष्ट्रपति भवन ने राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (NID) के सहयोग से अहमदाबाद और बंगलूरू में अपने परिसरों के सहयोग से क्रियान्वित किया।
    • यह, भारत के 5,000 वर्ष के सभ्यतागत इतिहास का प्रतिनिधित्व करता है और सततता का संदेश देता है।
  • शिल्प वस्तुएँ एवं महत्त्व
    • कलमकारी पेंटिंग के साथ बाँस की बुनाई वाला बॉक्स: आंध्र प्रदेश के निम्मलकुंटा (Nimmalakunta) कारीगरों द्वारा तैयार किया गया।

    • इकत-पोचमपल्ली कवर (Ikat-Pochampalli Cover): तेलंगाना के प्रसिद्ध कपड़ा शिल्प को प्रदर्शित करने वाला पुन: प्रयोज्य कवर।
    • मैसूर का गंजीफा आर्ट फ्रिज मैग्नेट (Ganjifa Art Fridge Magnet): कर्नाटक के पारंपरिक गंजीफा ताश के पत्तों से प्रेरित।
    • कांजीवरम सिल्क पाउच (Kanjeevaram Silk Pouch): तमिलनाडु की हाथ से बुनी गई थैली।
    • एटिकोप्पका गुड़िया (Etikoppaka Dolls): आंध्र प्रदेश के कारीगरों द्वारा तैयार किए गए स्त्री और पुरुष के रूप में लकड़ी के खिलौने।
    • स्क्रूपाइन बुकमार्क (Screwpine Bookmark): केरल के कलाकारों द्वारा पारंपरिक स्क्रूपाइन पत्तियों का उपयोग करके बुना गया।
  • भौगोलिक संकेत (GI) उत्पाद
    • बॉक्स में मौजूद सभी शिल्प वस्तुएँ GI-टैग की गई हैं, जो भारत की विविधतापूर्ण और अनूठी विरासत को दर्शाती हैं।
    • ये “एक जिला एक उत्पाद” योजना से जुड़ी हुई हैं।

एक जिला एक उत्पाद 

  • यह जिलों की पूरी उत्पादन क्षमता को अनलॉक करने, आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देने और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उत्पन्न करने के उद्देश्य से शुरू की गई पहल है।
    • एक जिला एक उत्पाद (One District One Product- ODOP) अवधारणा जापान में क्षेत्रीय विकास की रणनीति के रूप में उत्पन्न हुई।
  • उदाहरण: भोपाल की जरी जरदोजी कढ़ाई, जयपुर की ब्लू पॉटरी।
  • नोडल मंत्रालय: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (भारत सरकार)। 
    • यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे केंद्र एवं राज्यों द्वारा 60:40 योगदान में साझा किया जाता है।
  • उद्देश्य: अपने विशिष्ट उत्पादों को बढ़ावा देकर भारत के प्रत्येक जिले को निर्यात केंद्र में बदलना। 
  • इसमें विनिर्माण को बढ़ाना, स्थानीय व्यवसायों का समर्थन करना, संभावित विदेशी ग्राहकों की पहचान करना और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के साथ सामंजस्य स्थापित करना शामिल है।
    • ODOP पहल ने देश भर के 761 जिलों से कुल 1102 उत्पादों की पहचान की है।
  • यह वाणिज्य विभाग के विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) के नेतृत्व में ‘निर्यात केंद्र के रूप में जिले’ पहल के साथ संरेखित है।

समावेश एवं प्रतीकवाद 

  • प्रस्तुत विषय: कलाकृतियाँ स्थिरता, समावेशिता और पाँच दक्षिणी राज्यों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के विषयों को दर्शाती हैं।
  • विशेष आमंत्रित व्यक्ति: स्वागत समारोह में शामिल होंगे:
    • ‘ड्रोन दीदी’: प्रौद्योगिकी एवं ड्रोन संचालन में अग्रणी महिलाएँ।
    • महिला उपलब्धियाँ: विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाली उल्लेखनीय महिलाएँ।
    • प्राकृतिक खेती करने वाले कृषक: पर्यावरण के अनुकूल कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने वाले किसान।
    • दिव्यांग लोग: जिन्हें उनकी उपलब्धियों और योगदान के लिए मान्यता मिली।

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