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सर्वोच्च न्यायालय ने टेनरियों को पर्यावरण की अपूरणीय क्षति की प्रतिपूर्ति देने का आदेश दिया

Lokesh Pal February 03, 2025 01:15 94 0

संदर्भ 

सर्वोच्च न्यायालय ने माना है कि तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में चमड़े के कारखानों ने पलार नदी में अनुपचारित या आंशिक रूप से उपचारित अपशिष्टों को बहाकर पर्यावरण को अपूरणीय क्षति पहुँचाई है।

संबंधित तथ्य

  • न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को प्रभावित व्यक्तियों को मुआवजा देने का निर्देश दिया तथा लागत की वसूली ‘पॉल्यूटर पे’ (Polluter Pays)’ सिद्धांत के तहत प्रदूषणकारी इकाइयों से की जाएगी।

सर्वोच्च न्यायालय की मुख्य टिप्पणियाँ

  • सतत् विकास 
    • ‘सतत् विकास’ का अर्थ है भविष्य की पीढ़ियों की अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता को नुकसान पहुँचाए बिना वर्तमान में अपनी जरूरतों को पूर्ण करना।
    • न्यायालय ने पुनः पुष्टि की कि “निवारक सिद्धांत’’ (Precautionary Principle) और ‘पॉल्यूटर पे’ सिद्धांत (Polluter Pays Principle) सतत् विकास की आवश्यक विशेषताएँ हैं।
    • इसने पर्यावरण संरक्षण को आर्थिक गतिविधियों के साथ संतुलित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
  • ‘पॉल्यूटर पे’ सिद्धांत
    • यह सिद्धांत यह अनिवार्य करता है कि प्रदूषण के लिए जिम्मेदार लोगों को मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए इसके प्रबंधन की लागत वहन करनी चाहिए।
    • यह सुनिश्चित करता है कि प्रदूषण फैलाने वाले जिम्मेदारी लें और पर्यावरण बहाली के प्रयासों को वित्तपोषित करने में सहायता करें।
  • निवारक सिद्धांत
    • यदि कोई गतिविधि पर्यावरण या मानव स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुँचा सकती है, तो निवारक कार्रवाई की जानी चाहिए, भले ही वैज्ञानिक प्रमाण पूर्ण न हों।
    • यह सिद्धांत नुकसान के निर्णायक साक्ष्य की प्रतीक्षा करने के बजाय सक्रिय पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करता है।

तमिलनाडु सरकार को निर्देश

  • विशेषज्ञ समिति का गठन: तमिलनाडु सरकार को केंद्र सरकार के परामर्श से चार सप्ताह के भीतर एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश दिया गया है।
  • सख्त लाइसेंसिंग उपाय: अधिकारियों को उन उद्योगों के लाइसेंस रद्द करने चाहिए, जो गलत जानकारी देते हैं या पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करते हैं।

टेनरीज क्या हैं?

  • टेनरी वे कारखाने हैं, जहाँ जानवरों की त्वचा को संसाधित करके चमड़े में परिवर्तित किया जाता है। 
  • प्रसंस्करण में इस्तेमाल किए जाने वाले जहरीले रसायनों के कारण चमड़ा उद्योग सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों में से एक है।

पर्यावरण पर टेनरीज का प्रभाव 

  • जल प्रदूषण: टेनरीज क्रोमियम, सल्फाइड और एसिड जैसे जहरीले रसायनों को जल निकायों में प्रवाहित करती हैं।
  • भूजल संदूषण: अनियंत्रित निपटान से भूजल में प्रदूषकों का उच्च स्तर हो जाता है, जिससे यह पीने और कृषि के लिए असुरक्षित हो जाता है।
  • मृदा क्षरण: जहरीले अपशिष्ट मृदा की गुणवत्ता को खराब करते हैं, जिससे कृषि उत्पादकता प्रभावित होती है।
  • स्वास्थ्य संबंधी खतरे: प्रदूषण स्थानीय समुदायों को प्रभावित करता है, जिससे श्वसन संबंधी समस्याएँ, त्वचा रोग और अन्य स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ होती हैं।

पर्यावरण संरक्षण पर सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय

ग्रामीण मुकदमेबाजी और हकदारी केंद्र बनाम राज्य (1988)

  • संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत स्वस्थ वातावरण में रहने के अधिकार को मान्यता दी गई। 
  • पर्यावरण की रक्षा के लिए देहरादून में चूना पत्थर की खदानों को बंद करने का आदेश दिया गया।

एम. सी. मेहता बनाम भारत संघ (1987)

  • यह स्थापित किया गया कि प्रदूषण मुक्त पर्यावरण का अधिकार अनुच्छेद-21 के तहत एक मौलिक अधिकार है।
  • दिल्ली में उद्योगों को पर्यावरण सुरक्षा उपाय अपनाने का आदेश दिया गया।

टी. एन. गोदावर्मन थिरुमुलपाद बनाम भारत संघ (1996)

  • ‘वन’ की परिभाषा का विस्तार किया गया, जिसमें वर्गीकरण या स्वामित्व की परवाह किए बिना सभी हरे-भरे क्षेत्र शामिल किए गए।
  • पूरे भारत में वन संरक्षण प्रयासों को मजबूत किया गया।

पलार नदी के बारे में

  • पलार नदी दक्षिण भारत की प्रमुख नदियों में से एक है, जो अपने द्वारा प्रवाहित क्षेत्रों की पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • उद्गम और मार्ग: पलार नदी कर्नाटक के चिक्काबल्लापुरा जिले में स्थित नंदी हिल्स से निकलती है।
    • यह तीन राज्यों से होकर बहती है: कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु और अंत में वायलूर में बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
  • प्रमुख सहायक नदियाँ: पलार नदी को कई सहायक नदियों से जल प्राप्त होता है, जिनमें सबसे महत्त्वपूर्ण चेय्यार और पोन्नई नदियाँ हैं, जो तमिलनाडु में स्थित हैं।
  • जल मार्ग: पलार नदी के जल को पलार ‘एनीकट’ (एक पारंपरिक जल मोड़ संरचना) के माध्यम से दो महत्त्वपूर्ण जलाशयों में मोड़ दिया जाता है:
    • पूंडी जलाशय: कोसस्थलैयार नदी बेसिन में स्थित, यह जलाशय क्षेत्र की जल की आवश्यकताओं को पूर्ण करने में सहायता करता है।
    • चेंबरमबक्कम झील: अडयार नदी बेसिन में स्थित, यह झील सिंचाई और पेयजल का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।

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