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भारत में महिला उद्यमी

Lokesh Pal March 04, 2024 08:33 176 0

संदर्भ 

हाल ही में 9वाँ वार्षिक शक्ति अंतरराष्ट्रीय महिला उद्यमी शिखर सम्मेलन (Annual Shakti International Women Entrepreneurs Summit) नई दिल्ली में आयोजित किया गया।

संबंधित तथ्य 

  • शिखर सम्मेलन के दौरान शुरू की गई नई पहल
    • पंजीकरण से प्रगति (Panjikaran Se Pragati): यह MSME मंत्रालय और महिला उद्यमिता मंच (WEP) द्वारा एक संयुक्त एकीकृत राष्ट्रीय अभियान है।
      • लक्ष्य: यह राष्ट्रीय अभियान देश भर की महिला उद्यमियों के लिए उद्यम को पंजीकृत कराने और अवसरों प्रदान करने के लिए एक स्पष्ट आह्वान है।
    • WEP उन्नति- उद्यमिता से प्रगति तक MSME मंत्रालय और महिला उद्यमिता मंच (WEP) का एक संयुक्त कार्यक्रम है।
      • लक्ष्य: यह MSME-WEP अवार्ड-टू-रिवार्ड (ATR) कार्यक्रम WEP के माध्यम से व्यापक क्षमता-निर्माण सहायता प्रदान करके महिला SME को विकास के अगले स्तर पर ले जाने की एक अभूतपूर्व पहल है।
    • मेंटरशिप प्लेटफॉर्म महिला उद्यमिता प्लेटफॉर्म (WEP) के लिए है।
      • महिला उद्यमिता प्लेटफॉर्म (WEP): यह नीति आयोग की एक पहल है। इसे वर्ष 2017 में 8वें वैश्विक उद्यमिता शिखर सम्मेलन के दौरान शुरू किया गया था।
      • यह एक अलग प्रकार का पहला ‘एकीकृत एक्सेस पोर्टल’ है, जो भारत के विभिन्न हिस्सों से महिलाओं को उनकी उद्यमशीलता आकांक्षाओं को साकार करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
  • महिलाओं को सम्मान: कार्यक्रम के दौरान CGTMSE योजना की लाभार्थी महिला उद्यमियों और बेहतर प्रदर्शन करने वाली महिला उद्यमियों को सम्मानित किया गया।
  • अभूतपूर्व वृद्धि: MSME क्षेत्र में महिला उद्यमियों की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। महिलाएँ 1.40 करोड़ से अधिक MSME का नेतृत्व करती हैं।
    • महिलाओं के स्वामित्व वाले MSME का जेड (ZED) सर्टिफिकेशन अब पूरी तरह से मुफ्त है।
      • MSME सस्टेनेबल (ZED) प्रमाणन: यह MSME के बीच जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट (ZED) प्रथाओं के बारे में जागरूकता फैलाकर  और उन्हें MSME चैंपियन बनने के लिए प्रोत्साहित करके ZED प्रमाणन हेतु प्रेरित करने के लिए एक व्यापक अभियान है।

शक्ति अंतरराष्ट्रीय महिला उद्यमी शिखर सम्मेलन 2024 के बारे में

  • आयोजनकर्ता: यह अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) के अवसर पर भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय तथा महिला उद्यमी फोरम के सहयोग से भारत  SME फोरम द्वारा आयोजित एक वार्षिक सम्मेलन है।
  • उद्देश्य: विभिन्न उद्योग क्षेत्रों से उभरती महिला उद्यमियों की उपलब्धियों का जश्न मनाते हुए महत्त्वाकांक्षी और स्थापित महिला उद्यमियों को सशक्त बनाना।

भारत में महिला उद्यमियों की स्थिति

  • बेन एंड कंपनी की रिपोर्ट: भारत में लगभग 20% उद्यमों का स्वामित्व महिलाओं के पास है।
  • भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में महिलाएँ’ (WISER) रिपोर्ट: वर्ष 2017 के बाद से भारत में महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप में 18% तक की वृद्धि हुई है।
  • महिला उद्यमियों का मास्टरकार्ड सूचकांक: इस सूचकांक में भारत 65 में से 57वें स्थान पर है, जो भविष्य की महत्त्वपूर्ण प्रगति का संकेत देता है। इसके बावजूद, महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप के लिए वित्तीय प्रतिबद्धता में सराहनीय वृद्धि देखी गई, वर्ष 2022 में फंडिंग कुल मिलाकर 18% तक बढ़ गई।
    • वर्तमान में, देश में लगभग 14% महिला उद्यमी हैं, जो 8.05 मिलियन के बराबर है, और 20% से अधिक MSME  क्षेत्र में महिला नेतृत्व वाले व्यवसाय शामिल हैं।

भारत की पहली महिला उद्यमी

  • भारत में महिला उद्यमियों का इतिहास बहुत पुराना है, किंतु वर्तमान में कल्पना सरोज को भारत की पहली महिला उद्यमी और मूलस्लमडॉग मिलियनेयर के रूप में जाना जाता है।
    • उन्होंने कमानी ट्यूब्स कंपनी की संकटग्रस्त संपत्तियों को खरीदा और वर्ष 2001 में कंपनी को लाभप्रदता की स्थिति में वापस लेकर आई थीं।

भारत में महिला उद्यमियों की आवश्यकता

  • एक बुनियादी बिल्डिंग ब्लॉक के रूप में: महिलाएँ एक राष्ट्र के बिल्डिंग ब्लॉक के रूप में होती हैं और देश में सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक क्षेत्र के सतत् विकास के लिए इनकी अहम भूमिका होती है।

    • महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता उनके व्यक्तिगत जीवन से लेकर घर और समाज तक के निर्णयों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करती है।
  • आर्थिक लैंगिक असमानता के अंतर को कम करने के लिए: वर्ष 2019 की विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट के अनुसार, एक पुरुष को मिलने वाले प्रत्येक डॉलर के लिए एक महिला को औसतन 54 सेंट का भुगतान किया जाता है।
    • विश्व बैंक की महिला, व्यवसाय और कानून 2022 रिपोर्ट के अनुसार, अपने पूरे जीवनकाल में महिलाएँ पुरुषों की अपेक्षा आय का केवल दो-तिहाई कमाती हैं; इसलिए आर्थिक अवसरों में असमानताओं को कम करके इस अंतर को कम किया जा सकता है।
  • रूढ़िवादी दृष्टिकोण को तोड़ने के लिए: भारत समाज का पितृसत्तात्मक रवैया महिलाओं के कर्तव्यों को घरेलू और पारिवारिक कार्यों तक सीमित कर देता है, इस प्रकार उन्हें स्वतंत्र रूप से कार्य करने से रोकता है।
    • महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य करने की पारंपरिक सोच को बदलने के लिए महिलाओं का आर्थिक रूप से मजबूत होने आवश्यक है।
  • आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए: जैसे-जैसे भारत आर्थिक रूप से प्रगति कर रहा है और वर्ष 2024-25 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य निर्धारित किया है, इस संदर्भ में महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने और ग्रामीण-शहरी विभाजन को कम करने की आवश्यकता है।
      • इसके अलावा, स्वयं सहायता समूह (SHG) कार्यक्रमों की सफलता के साथ, यह अनुमान लगाया गया है कि महिला स्वामित्व वाले उद्यम वर्ष 2030 तक 50-60 मिलियन से अधिक नौकरियाँ उत्पन्न कर सकते हैं।
    • मैकिन्से ग्लोबल इंस्टिट्यूट द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं को समान रूप से बढ़ावा देकर वर्ष 2025 तक वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 12 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर और वृद्धि की जा सकती है।

महिला उद्यमियों को समर्थन देने के लिए भारत के कदम

  • संवैधानिक मूल्य: भारत के संविधान में लैंगिक समानता का उल्लेख अनुच्छेद-14 से 18 में किया गया है।

    • भारतीय संविधान के अनुच्छेद-42 (कार्य की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं का तथा प्रसूति सहायता संबंधी उपबंध) के अनुसार, स्टेट काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं को सुनिश्चित करने के लिए और प्रसूति सहायता के लिए उपबंध करेगा।
  • कानून और विनियम: देश की अर्थव्यवस्था के विकास में महिला उद्यमियों की भूमिका को ध्यान में रखते हुए, सरकार और उसकी नीतियों के केंद्र में वर्ष 1974-79 की पाँचवीं पंचवर्षीय योजना के बाद से महिलाओं के सशक्तीकरण हेतु लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
  • विभिन्न योजनाओं का दायरा: भारत सरकार ने नई योजनाओं के माध्यम से  महिला उद्यमियों हेतु दायरे का विस्तार किया है। इसके अतिरिक्त, कई राज्य सरकारों ने भी महिलाओं के लिए योजनाएँ शुरू की हैं।

  • मिशन शक्ति (Mission Shakti): यह एक एकीकृत महिला सशक्तीकरण कार्यक्रम है, जिसे महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा वर्ष 2021-22 में शुरू किया गया था।
    • यह संस्थागत और अभिसरण तंत्र के माध्यम से महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए एक व्यापक मिशन है।
    • इसका उद्देश्य ‘महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास’ के लिए सरकार के दृष्टिकोण को साकार करना और कौशल विकास, क्षमता निर्माण, वित्तीय साक्षरता, माइक्रोक्रेडिट तक पहुँच आदि को बढ़ावा देकर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
  • समर्थ योजना (SAMARTH Scheme): यह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (भारत सरकार) की योजना है, जो महिलाओं को स्वरोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने का अवसर प्रदान करती है।
  • मुद्रा ऋण (Mudra Loan): यह उन महिला उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए शुरू किया गया था, जो अपना ब्यूटी पार्लर, ट्यूशन सेंटर, सिलाई की दुकान आदि शुरू करने की दिशा में कार्य कर रही हैं।
  • ऐसी तीन श्रेणियाँ हैं, जिनके तहत मुद्रा ऋण आवेदन किया जा सकता है:
    • शिशु:  50,000 रुपये तक के ऋण को कवर करता है।
    • किशोर: 50,000 रुपये से ऊपर और 5 लाख रूपये तक के ऋण को कवर करता है।
    • तरुण: 5 लाख रुपये से ऊपर और 10 लाख रूपये तक के ऋण को कवर करता है। 
  • अन्नपूर्णा योजना (Annapurna Yojana): यह फूड केटरिंग व्यवसाय में महिला उद्यमियों को 50,000 रुपये तक का ऋण प्रदान करता है।
  • उद्योगिनी योजना (Udyogini Scheme): इसे भारत सरकार के अधीन महिला विकास निगम द्वारा शुरू किया गया था। यह प्रमुख रूप से देश के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में रहने वाली अशिक्षित महिलाओं को सहायता प्रदान करता है।
    • उद्देश्य: गरीब महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करके उनके बीच महिला उद्यमिता को बढ़ावा देना।

  • त्रिस्तरीय बढ़ावा: भारत में महिला उद्यमिता को त्रिस्तरीय बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसे मुख्य रूप से इस प्रकार दर्शाया जा सकता है:
    • स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups)
    • महिला नेतृत्व वाले उद्यम (Women-Led Enterprises)
    • महिला नेतृत्व वाले स्टार्टअप (Women-Led Startups)।

स्वयं सहायता समूह (SHG) के बारे में

  • स्वयं सहायता समूह (SHG) कुछ ऐसे लोगों का एक अनौपचारिक संघ होता है, जो अपनी जीवनचर्या में सुधार करने के लिए स्वेच्छा से एक साथ आते हैं।
    • सामान्यतः एक ही सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाले लोगों का ऐसा स्वैच्छिक संगठन स्वयं सहायता समूह (SHG) कहलाता है, जिसके सदस्य एक-दूसरे के सहयोग से अपनी साझा समस्याओं का समाधान करते हैं। SHG स्वरोजगार और गरीबी उन्मूलन को प्रोत्साहित करने के लिएस्वयं सहायता’ की धारणा पर भरोसा करता है।
  • ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी: SHG में, ग्रामीण महिलाएँ इस उद्देश्य से बनाए गए लघु-स्तरीय उद्यमिता कार्यक्रमों से जुड़ी हुई हैं कि संयुक्त प्रयास व्यक्तियों के सामने आने वाली विभिन्न बाधाओं को दूर करने में सहायक हो सकते हैं।
  • महत्त्व: इसमें सदस्य आम तौर पर अपने उद्यमों का समर्थन करने के लिए बचत, ऋण या सामाजिक भागीदारी का उपयोग करते हैं।

महिला नेतृत्व वाले उद्यम

  • स्टैंडअप इंडिया योजना: इसका उद्देश्य महिलाओं और SC एवं ST समुदायों के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है। इस योजना की लगभग 81% लाभार्थी महिला उद्यमी हैं।
  • महिला ई-हाट (Mahila e-Haat): यह महिला उद्यमियों को विपणन सेवा प्रदान करके महिला उद्यमियों का समर्थन करने के लिए एक ऑनलाइन विपणन मंच है। यह महिला उद्यमियों को उनके द्वारा निर्मित उत्पादों को बाजार तक पहुँचाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने का अवसर प्रदान करता है।
  • प्रधानमंत्री मुद्रा योजना: यह सूक्ष्म/लघु व्यवसायों को संस्थागत वित्त तक पहुँच प्रदान करती है।
  • अन्य: सरकार, नीति निर्माताओं, निवेशकों, कॉरपोरेट्स और अन्य नागरिक समाज संगठनों ने महिला उद्यमिता कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न तरीके विकसित किए हैं।
    • जैसे- तकनीकी प्रशिक्षण से लेकर व्यवसाय विकास सेवाओं, क्षमता निर्माण और निवेश, वित्तपोषण आदि।

महिला स्टार्टअप कार्यक्रम के बारे में

  • संचालनकर्ता: भारतीय प्रबंधन संस्थान बैंगलोर का स्टार्टअप और इनोवेशन हब इस कार्यक्रम का संचालन करता है।
  • उद्देश्य: महत्त्वाकांक्षी और नवोन्मेषी महिला उद्यमियों को उनके विचारों को व्यावसायिक उद्यमों में परिवर्तित करके तथा उनके उद्यमशीलता एवं प्रबंधकीय कौशल को बढ़ाकर समर्थन देना।
  • उपलब्धि: स्टार्टअप इंडिया के पास उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार, स्टार्टअप इकोसिस्टम में महिला उद्यमियों की संख्या उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 14% हो गई है।
    • भारत की इस सूची में 40 से अधिक यूनिकॉर्न की संख्या में बढ़ोतरी हुई है और उनमें से कई का नेतृत्व महिलाएँ कर रही हैं। उदाहरण: फाल्गुनी नायर का NYKAA, उपासना ताकू का मोबिविक (Mobikwik) आदि।
  • मिशन यूथ: यह जम्मू और कश्मीर के लोगों के लिए एक अग्रणी पहल है।
  • इसका उद्देश्य विभिन्न योजनाओं के तहत युवाओं को सर्वांगीण सुविधा प्रदान करना है।
    • इस पहल के तहत, तेजस्विनी’ (Tejaswani) को स्पष्ट रूप से महिलाओं के लिए लॉन्च किया गया है।
    • जम्मू-कश्मीर व्यापार संवर्द्धन संगठन महिला उद्यमियों को क्षमता निर्माण हेतु एक अन्य पहल हौसला’ (Hausla) भी क्रियान्वित कर रहा है।
  • WE हब (WE Hub): यह तेलंगाना सरकार की एक पहल है। यह भारत का पहला राज्य संचालित इनक्यूबेटर है।
    • वे महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप को शुरू करने, उसको बढ़ाने और बनाए रखने के लिए आवश्यक तकनीकी, वित्तीय, सरकारी और नीतिगत समर्थन तक पहुँच की सुविधा प्रदान करते हैं।
    • उद्देश्य: महिला उद्यमिता को बढ़ावा देना।

नीति आयोग के महिला उद्यमिता मंच (WEP) के बारे में

  • संस्थापक स्तंभ: नीति आयोग का महिला उद्यमिता मंच (WEP) तीन स्तंभों पर आधारित है:
    • इच्छा शक्ति (Ichha Shakti): यह इच्छुक उद्यमियों को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रेरित करने का प्रतिनिधित्व करती है।
    • ज्ञान शक्ति (Gyaan Shakti): यह महिला उद्यमियों की उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए ज्ञान और पारिस्थितिकी तंत्र सहायता प्रदान करता है।
    • कर्म शक्ति (Karma Shakti): यह उद्यमियों को व्यवसाय स्थापित करने और बढ़ाने में व्यावहारिक सहायता प्रदान करने हेतु प्रतिनिधित्व करता है।
  • फोकस क्षेत्र: इसके तहत साझेदारी के माध्यम से 6 मुख्य फोकस क्षेत्रों में सेवाएँ प्रदान की जाती हैं- समुदाय और नेटवर्किंग, फंडिंग और वित्तीय सहायता, इन्क्यूबेशन और एक्सलरेशन, अनुपालन और कर सहायता, उद्यमी कौशल और परामर्श एवं विपणन सहायता।

भारत में महिला उद्यमियों के सामने चुनौतियाँ

 

  • स्वायत्तता का अभाव: महिलाओं को शिक्षा के कम अवसर प्राप्त होते हैं और सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक स्वायत्तता प्राप्त करने में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
  • सामाजिक दबाव: उद्यमिता के संदर्भ में महिलाओं को अधिक चुनौतियाँ का सामना करना पड़ता है। उन्हें विभिन्न स्तरों पर सामाजिक दबावों का सामना करना पड़ता है।
  • वित्त और अवसरों तक सीमित पहुँच: औपचारिक वित्तपोषण संस्थानों तक पहुँच की कमी, साथ ही ऋण के लिए संपार्श्विक की कमी, अक्सर महिलाओं को उद्यमिता के अवसरों से दूर रखती है।
    • विश्व बैंक की महिला, व्यवसाय और कानून 2022 रिपोर्ट के अनुसार, ‘दुनिया भर में कामकाजी उम्र की लगभग 2.4 बिलियन महिलाओं को अभी भी समान आर्थिक अवसर नहीं प्राप्त होते हैं।
  • तकनीकी अनुभव का अभाव: विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में महिला उद्यमियों में तकनीकी अनुभव का अभाव इनकी सफलता में बाधाएँ उत्पन्न करता है।
    • महिलाओं की उद्यमिता में बाधाओं पर UNIDO के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि महिलाएँ अपना व्यवसाय शुरू करते समय कानूनी या नियामक बाधाओं की तुलना में पारंपरिक और आंतरिक कारकों से अधिक प्रभावित होती हैं।
  • विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) क्षेत्र में बहुत कम योगदान: STEM कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी केवल 28% है और कॉलेज में अधिकांश STEM क्षेत्रों में पढ़ाई करने वाली महिलाओं की तुलना में पुरुषों की संख्या काफी अधिक है।

आगे की राह

  • महिलाओं द्वारा स्थापित स्टार्टअप और उद्यमों की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार: पूँजी तक महिलाओं की पहुँच और वित्तपोषण में मदद करके महिलाओं द्वारा स्थापित स्टार्टअप और उद्यमों की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
  • विशेष सहायता: सरकार को गर्भावस्था के दौरान सहायता और बच्चे की देखभाल के बारे में अन्य लाभों की सुविधा प्रदान करनी चाहिए, जिससे उन्हें कॅरियर विकल्प के रूप में उद्यमशीलता चुनने के लिए एक सहायक कार्यशील वातावरण बनाने में मदद मिलेगी।
  • लैंगिक अंतर को कम करना: मैकिन्से ग्लोबल इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट में ज्ञात लैंगिक अंतर को कम करने के लिए छह प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता है- वित्तीय प्रोत्साहन और समर्थन, प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढाँचा, आर्थिक अवसर सुनिश्चित करना, क्षमता निर्माण, सिफारिश और दृष्टिकोण एवं कानून, नीतियों और विनियमों को आकार देना।
  • प्रचलित असमानताओं से निपटाना: फंडिंग के क्षेत्र में भी असमानताएँ मौजूद हैं, हालाँकि कई प्रकार के अध्ययन से पता चला है कि महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप की सफलता पुरुषों के नेतृत्व वाले स्टार्टअप की तुलना में बहुत अधिक है।
      • देश की मजबूत अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए विभिन्न पहलों के माध्यम से और देश में पहले से मौजूद पहलों में वृद्धि करके महिलाओं के पक्ष में सकारात्मक नीतियों पर जोर देने की आवश्यकता है।

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