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Lokesh Pal
June 18, 2025 05:30
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एडीएम जबलपुर का फैसला 1975 में आपातकाल की घोषणा के 50 साल बाद भी एक महत्वपूर्ण चेतावनी भरी कहानी बना हुआ है। इसे आधिकारिक तौर पर एडीएम जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला के नाम से जाना जाता है। यह मामला वर्ष1976 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया एक ऐतिहासिक फैसला था। जो वर्ष 1975 से 1977 तक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल की अवधि के दौरान प्रकाश में आया था।
अतः इस प्रकार देखा जा सकता है कि एडीएम जबलपुर मामला न्यायिक उत्तरदायित्व का एक महत्वपूर्ण अध्ययन है, जो यह दर्शाता है कि जब न्यायपालिका अधिकारों की रक्षा करने वाली अपनी भूमिका में विफल होती है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। यह मामला विशेष रूप से संकट की घड़ी में मौलिक स्वतंत्रताओं की रक्षा के लिए न्यायपालिका में असहमति और साहस की स्थायी महत्ता को रेखांकित करता है।
मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्नप्रश्न. एडीएम जबलपुर के फैसले ने आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों की रक्षा करने में न्यायपालिका की विफलता को उजागर किया। विश्लेषण करें कि किस प्रकार न्यायिक आत्ममंथन और उसके पश्चात किए गए सुधारात्मक उपायों ने भारत में संवैधानिक नैतिकता को सुदृढ़ करने में योगदान दिया है। (10 अंक, 150 शब्द) |
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