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बोर्ड परीक्षा में वार्षिक मूल्यांकन के आधार पर अंकों की बढ़ोतरी का आरोप

Lokesh Pal August 24, 2024 05:30 47 0

संदर्भ :

भारतीय स्कूल बोर्ड परीक्षाओं में अंकों में वृद्धि और कमी ने गंभीर चिंताएँ पैदा की हैं। ये मुद्दे अकादमिक विश्वसनीयता को कमज़ोर करते हैं तथा उच्चतर शिक्षा और रोज़गार के लिए विद्यार्थियों की तैयारी को प्रभावित करते हैं। विश्वसनीयता बहाल करने के लिए परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की मांग निरंतर बढ़ रही है।

मुख्य मुद्दे

  • अंकों में वृद्धि : यह तब होता है जब विद्यार्थियों को उनके वास्तविक प्रदर्शन की योग्यता से अधिक अंक मिलते हैं। जैसे- एक विद्यार्थी जिसे 60% अंक प्राप्त करने चाहिए, उसे 80% अंक तक मिल सकते हैं।
  • अंकों में कमी या संकुचन : इस घटना में उच्च अंकों का समूहन शामिल होता है, जहाँ अधिकांश विद्यार्थी उच्च श्रेणी में स्कोर करते हैं; जो दर्शाता है कि अंक समान रूप से वितरित नहीं किए गए हैं |
  • अंकों में वृद्धि का कारण : राजनीतिक लाभ या समाज में बेहतर साख स्थापित करने के उद्देश्य से कुछ बोर्ड बेहतर शैक्षणिक परिणाम देने के लिए अंकों को बढ़ा सकते हैं।

हम अंकों की बढ़ोतरी की पहचान कैसे करते हैं? 

  • भारत में हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब राज्यों के CBSE और ICSE जैसे राज्य शिक्षा बोर्डों में अंकों में वृद्धि का मुद्दा स्पष्ट है।
  • 2023 में, कक्षा 10 के लिए उत्तीर्ण प्रतिशत 85% और कक्षा 12 के लिए 82% था। इसके अतिरिक्त, कक्षा 10 के लगभग 61% विद्यार्थियों और कक्षा 12 के 56% विद्यार्थियों ने 60% से अधिक अंक प्राप्त किए।
  • ये उच्च उत्तीर्ण दरें और उच्च स्कोर अंकों में वृद्धि का संकेत देते हैं।

विद्यार्थियों और शिक्षा प्रणाली पर प्रभाव

अंकों में वृद्धि या कमी निम्नलिखित माध्यमों या कारणों से विद्यार्थियों तथा भारतीय शिक्षा प्रणाली दोनों को प्रभावित करती है –

  • उच्च प्रतिस्पर्धा : उच्च उत्तीर्ण प्रतिशत तथा अधिक अंकों का समूहन विश्वविद्यालयों में प्रवेश और नौकरी के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा को जन्म देता है।
  • प्रवेश परीक्षाओं पर निर्भरता : उच्च शिक्षा और रोज़गार संबंधी प्रवेश परीक्षाओं की संख्या बढ़ गई है, जिसका कारण स्कूल में प्राप्त अंकों को बढ़ा-चढ़ाकर बताए गए अंकों के कारण अविश्वसनीय माना जाता है। विद्यार्थियों को ऐसी परीक्षाओं में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए विशेष कोचिंग संस्थानों पर निर्भर रहना पड़ता है।
  • एक मजबूत शिक्षा प्रणाली : कुछ देशों में एक मजबूत स्कूली शिक्षा प्रणाली विद्यालयी अंकों के आधार पर सीधे नौकरी की पेशकश की अनुमति देती है। इसके विपरीत, भारत में शीर्ष अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की उच्च संख्या इस व्यवस्था को सीमित करती है।
  • विविध बोर्ड मानक : विभिन्न राज्य बोर्ड अलग-अलग ग्रेडिंग मानकों का उपयोग करते हैं, जिससे असंगतताएँ पैदा होती हैं। उदाहरण के लिए, 2023 में असम, छत्तीसगढ़ और बिहार राज्य में राष्ट्रीय औसत की तुलना में 60% से अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या कम थी। यह विद्यार्थियों की कम बुद्धिमत्ता को नहीं, बल्कि कठोर ग्रेडिंग प्रणाली को दर्शाता है।
  • शिक्षा प्रणाली पर प्रभाव : ऐसी प्रथाएँ शैक्षणिक योग्यता और शिक्षा प्रणाली की समग्र विश्वसनीयता को कमज़ोर करती हैं।

सुधार हेतु आवश्यक उपाय

  • मानकीकृत मूल्यांकन : ग्रेडिंग में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न बोर्डों में एकसमान मूल्यांकन मानदंड और प्रश्न प्रारूप लागू करने चाहिए ।
  • पारदर्शिता में वृद्धि : जाँच प्रक्रिया में गोपनीयता आवश्यक है, किंतु विद्यार्थियों को मूल्यांकन विधियों और मानदंडों के संबंध में पारदर्शिता प्रदान की जानी चाहिए।
  • प्रौद्योगिकी का प्रयोग : ऑनलाइन मूल्यांकन उपकरणों का उपयोग करके मूल्यांकन प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाना चाहिए । यह दृष्टिकोण मानकीकरण को बढ़ा सकता है और विद्यार्थी के प्रदर्शन का अधिक सुसंगत मूल्यांकन सुनिश्चित कर सकता है। स्वचालित मूल्यांकन को मानवीय समीक्षा के साथ जोड़ने से अशुद्धियाँ और भी कम हो सकती हैं।
  • जवाबदेही का निर्धारण : परीक्षा प्रक्रिया की देख-रेख करने और अंकन में किसी भी विसंगति या पूर्वाग्रह को दूर करने के लिए स्पष्ट जवाबदेही तंत्र विकसित करें।

निष्कर्ष

अंकों में वृद्धि और कमी को संबोधित करने से शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। मानकीकृत मूल्यांकन को लागू करने, पारदर्शिता में सुधार, प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने तथा जवाबदेही सुनिश्चित करने से विद्यार्थियों के उचित अंकों को निर्धारित किया जा सकेगा । इससे सभी बोर्डों में एकसमान मानक स्थापित होंगे, शिक्षा प्रणाली में विश्वास बढ़ेगा तथा विद्यार्थियों के लिए उच्चतर शिक्षा में प्रवेश और रोज़गार प्राप्ति में सुधार होगा।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न 

भारत में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने में प्रमुख चुनौतियों का परीक्षण कीजिए । इन चुनौतियों से निपटने के यथासंभव उपाय बताइए ।

(15 अंक, 250 शब्द)

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