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Lokesh Pal August 24, 2024 05:30 104 0
भारतीय स्कूल बोर्ड परीक्षाओं में अंकों में वृद्धि और कमी ने गंभीर चिंताएँ पैदा की हैं। ये मुद्दे अकादमिक विश्वसनीयता को कमज़ोर करते हैं तथा उच्चतर शिक्षा और रोज़गार के लिए विद्यार्थियों की तैयारी को प्रभावित करते हैं। विश्वसनीयता बहाल करने के लिए परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की मांग निरंतर बढ़ रही है।
अंकों में वृद्धि या कमी निम्नलिखित माध्यमों या कारणों से विद्यार्थियों तथा भारतीय शिक्षा प्रणाली दोनों को प्रभावित करती है –
अंकों में वृद्धि और कमी को संबोधित करने से शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। मानकीकृत मूल्यांकन को लागू करने, पारदर्शिता में सुधार, प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने तथा जवाबदेही सुनिश्चित करने से विद्यार्थियों के उचित अंकों को निर्धारित किया जा सकेगा । इससे सभी बोर्डों में एकसमान मानक स्थापित होंगे, शिक्षा प्रणाली में विश्वास बढ़ेगा तथा विद्यार्थियों के लिए उच्चतर शिक्षा में प्रवेश और रोज़गार प्राप्ति में सुधार होगा।
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