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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में संशोधन से सामाजिक सुरक्षा में वृद्धि

Lokesh Pal October 25, 2025 05:15 40 0

सन्दर्भ:

लंबी जीवन प्रत्याशा, औपचारिक रोज़गार के विस्तार और वित्तीय दबावों के कारण भारत को स्थायी पेंशन प्रदान करने में बढ़ती चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) सुधारों से अब पोर्टेबल, लचीले, आजीवन आधार-लिंक्ड नागरिक सामाजिक सुरक्षा खाते (CSSA) संभव हो गए हैं।

वैश्विक और घरेलू पेंशन चुनौतियाँ:

  • वैश्विक पेंशन दबाव: यूरोप को अधिक निवेश, अमेरिका को अधिक बचत तथा चीन को अधिक उपभोग एवं भारत को तीनों उपायों की एक साथ आवश्यकता है।
  • घरेलू निहितार्थ: बेहतर ढंग से निर्मित पेंशन सार्वजनिक वित्त को बढ़ा सकती है, औपचारिक गैर-कृषि रोजगार के सृजन में तेजी ला सकती है, और घरेलू निवेश पूल को गहरा कर सकती है।
  • राजकोषीय बाधाएँ: सरकार द्वारा वित्तपोषित पेंशन प्रणाली लगातार महंगी होती जा रही हैं, भारत का सार्वजनिक ऋण सकल घरेलू उत्पाद के 85% के करीब पहुँच रहा है, जिससे नियोक्ता और व्यक्तिगत स्तंभों को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया जा रहा है, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) के बीच।

प्रमुख कर्मचारी भविष्य निधि संगठन सुधार:

  • निकासी के कारण और नौकरशाही: इससे पूर्व, सेवा के मध्य में निकासी के लिए 13 अलग-अलग फॉर्मों के कारण भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
    • प्रणाली को अब तीन श्रेणियों में सरलीकृत किया गया है:महत्त्वपूर्ण आवश्यकताएँ (बीमारी, शिक्षा, विवाह), मकान खरीदना/निर्माण तथा विशेष परिस्थितियाँ (सेवानिवृत्ति, नौकरी छूटना, दिव्यांगता)।
  • निकासी की आवृत्ति: पहले, कर्मचारी सेवानिवृत्ति से पूर्व केवल दो से तीन बार ही निकासी कर सकते थे। अब सीमा को उदार बना दिया गया है —शिक्षा के लिए 10 बार तक और विवाह के लिए 5 बार तक।
  • न्यूनतम सेवा आवश्यकता: केवल 2 महीने की सेवा के बाद आंशिक निकासी की अनुमति थी। नई प्रणाली में पात्रता के लिए 12 महीने की सेवा आवश्यक है।
  • नौकरी छूटने पर पूर्ण निकासी: पुरानी व्यवस्था में प्रायः तत्काल निकासी की अनुमति होती थी। वर्तमान में, कर्मचारी अपने भविष्य निधि (PF) का 75% तुरंत निकाल सकते हैं, जबकि शेष 25% राशि को जल्दबाजी में खर्च करने से रोकने के लिए कूलिंग-ऑफ अवधि के अधीन रखा जाता है।
  • कूलिंग-ऑफ अवधि: पहले अनिर्दिष्ट, भविष्य निधि (PF) धन का शेष 25% अब 12 महीने के बाद उपलब्ध है तथा वृद्धावस्था बचत की सुरक्षा के लिए कर्मचारी पेंशन योजना (EPS)/पेंशन शेष 36 महीने के बाद उपलब्ध है।
  • डिजिटल सुधार: नई प्रणाली में 5 लाख रुपये तक के दावों के लिए स्वतः निपटान और केंद्रीकृत लेखांकन की सुविधा दी गई है, जिससे कार्यालय जाने की आवश्यकता कम हो गई है और पेंशनभोगियों की दक्षता में सुधार हुआ है।

सुधारों के विरुद्ध तर्क:

  • उदारीकरण का जोखिम: निकासी नियमों में ढील देने से नौकरी खोने वाले कर्मचारी आवेग में आकर अपनी शेष राशि का 75% तक निकाल सकते हैं, जिससे वृद्धावस्था के लिए आवश्यक बचत खतरे में पड़ सकती है।
  • अंशदान दरों में कमी: कर्मचारी और नियोक्ता द्वारा अनिवार्य अंशदान को 12% से घटाकर 9% करने से टेक-होम वेतन में वृद्धि होगी और सेवा के मध्य में निकासी में कमी आएगी।

CSSA की प्रभावशीलता के लिए अतिरिक्त सुधारों की आवश्यकता:

  • NPS प्रतिस्पर्धा: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, जो वर्तमान में लगभग 4% कर वसूलने वाला एकाधिकार है, महंगा है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के बीच कर्मचारी का चुनाव प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे सकता है, प्रबंधन शुल्क कम कर सकता है और सेवा की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है
  • बैलेंस पोर्टेबिलिटी: आधार से जुड़े कर्मचारी भविष्य निधि संगठन खाते गिग, स्व-नियोजित और कृषि श्रमिकों सहित नियोक्ताओं के बीच निर्बाध स्थानान्तरण को सक्षम बनाते हैं।

सुधारों के व्यापक निहितार्थ:

  • भारत@100 विजन: पेंशन सुधार सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा के लिए भारत@100 विजन के अनुरूप है।
  • एकीकृत सामाजिक सुरक्षा अवसंरचना कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO), राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS), अटल पेंशन योजना (APY), प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना (PM-SYM), प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (PMVVY) और वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS) को एकीकृत करके एक एकीकृत, आजीवन सामाजिक सुरक्षा अवसंरचना बनाई जा सकती है।
  • सतत सामाजिक सुरक्षा: सतत सामाजिक सुरक्षा के लिए धन जुटाने और आर्थिक समृद्धि बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर औपचारिक, गैर-कृषि रोजगार आवश्यक है।

निष्कर्ष:

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) सुधार विश्वास आधारित, डिजिटल और लचीली पेंशन की ओर बदलाव का संकेत देते हैं, जिससे सतत, सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा संभव होगी, साथ ही कर्मचारी की पसंद और आजीवन आधार से जुड़े खातों के माध्यम से घरेलू निवेश और औपचारिक रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: भारत की पेंशन प्रणाली गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है, जिनमें अनौपचारिक क्षेत्र में निम्न कवरेज, राजकोषीय स्थिरता के प्रश्न और प्रशासनिक अक्षमताएँ शामिल हैं। इस संदर्भ में, आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए कि क्या हालिया सुधार एक सार्वभौमिक और सुवाह्य सामाजिक सुरक्षा प्रणाली की ओर बढ़ने के लिए पर्याप्त हैं। भविष्य में कौन-से संरचनात्मक परिवर्तन आवश्यक हैं? (15 अंक, 250 शब्द)

 

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