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Lokesh Pal
May 01, 2025 05:15
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जहाँ एक मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है और श्रम की गरिमा तथा श्रमिकों के अधिकारों का जश्न मनाया जाता है, वहीं भारत में बंधुआ मज़दूरी में फँसे लाखों लोगों का जीवन निरंतर शोषण की याद दिलाता है।
यह पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में लोगों पर मुनाफ़ा कमाने के लिए बनाई गई व्यवस्था है, जो आधुनिक समय की दासता की ओर से आँखें बंद कर लेती है। शर्मनाक रूप से भारत की अर्थव्यवस्था बंधुआ और बलात श्रम पर चलती है, जो अपने सबसे कमज़ोर नागरिकों का शोषण करती है।
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