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‘ब्रिक्स पे’: ब्रिक्स राष्ट्रों की साझा मुद्रा पहल

Lokesh Pal November 06, 2025 05:30 24 0

सन्दर्भ:

एक दशक से अधिक समय से ब्रिक्स राष्ट्र डॉलर-केन्द्रित वैश्विक वित्तीय ढाँचे पर निर्भरता कम करने के लिए व्यवस्थित प्रयास कर रहे हैं।

डॉलर के जोखिम को कम करने की दिशा में ब्रिक्स द्वारा किए गए प्रयास

  • फोर्टालेजा शिखर सम्मेलन, 2014: 2014 के फोर्टालेजा शिखर सम्मेलन में, ब्रिक्स ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) और कंटिंजेंट रिजर्व अरेंजमेंट (CRA) का शुभारंभ किया – जो विकासशील देशों द्वारा स्थापित पहला वैश्विक वित्तीय संस्थान है, जिसने पश्चिमी प्रभुत्व को चुनौती दी।
  • स्थानीय मुद्रा के उपयोग पर बल (2015 के बाद): 2015 में रूस पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद, ब्रिक्स ने डॉलर के जोखिम को कम करने के लिए अंतर-ब्रिक्स लेनदेन के लिए राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करने के विचार की खोज आरंभ की
  • मुद्रा सहयोग विस्तार (2017): 2017 तक ब्रिक्स ने मुद्रा स्वैप, स्थानीय मुद्रा निपटान और प्रत्यक्ष स्थानीय मुद्रा निवेश के माध्यम से मुद्रा सहयोग को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
  • ब्रिक्स भुगतान कार्य बल (2020): समूह ने ब्रिक्स सदस्यों के बीच निर्बाध सीमापार लेनदेन को सक्षम करने वाली प्रणालियों का पता लगाने के लिए एक भुगतान कार्य बल स्थापित करने का निर्णय लिया।
  • कज़ान शिखर सम्मेलन, 2024: कज़ान में नेताओं ने संवाददाता बैंकिंग नेटवर्क को मजबूत करने और स्थानीय मुद्राओं में निपटान को सक्षम करने पर बल दिया, जिससे ब्रिक्स सीमापार भुगतान पहल को बल मिला।
  • वित्तीय संप्रभुता और प्रतिबंध-मुक्त संचालन: ब्रिक्स का उद्देश्य वित्तीय संप्रभुता को बढ़ाना और अमेरिका के नेतृत्व आधारित प्रणाली पर निर्भरता कम करना है। लंबे समय से प्रतिबंधों के अधीन ईरान को 2024 में शामिल करना, एक स्वतंत्र वैश्विक वित्तीय ढाँचा स्थापित करने के उसके प्रयास को और सुदृढ़ करता है।
  • ब्रिक्स प्रतीकात्मक मुद्रा संकेत: कज़ान शिखर सम्मेलन मेंब्रिक्स ने एक प्रतीकात्मक ब्रिक्स बैंकनोट का अनावरण किया, जो डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देने का संकेत था।

‘ब्रिक्स पे’ पहल के बारे में

  • स्विफ्ट का विकल्प: ब्रिक्स क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट्स इनिशिएटिव (BRICS Pay) एक डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म है, जिसे स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को सक्षम करनेअमेरिकी डॉलर पर निर्भरता में कमी तथा स्विफ्ट पर निर्भरता को कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे ब्रिक्स की वित्तीय स्वायत्तता को बढ़ावा मिलेगा।
  • मौजूदा भुगतान अवसंरचना का लाभ उठाना: ब्रिक्स देशों के पास पहले से ही उन्नत भुगतान नेटवर्क हैं – रूस का SPFSचीन का CIPSभारत का UPI और ब्राजील का PIX – जिन्हें ब्रिक्स पे में एकीकृत किया जा सकता है ताकि अंतर-संचालनीय, डॉलर-स्वतंत्र सीमा-पार लेनदेन को सक्षम किया जा सके।
  • बाह्य दबाव से सहयोग में वृद्धि: ब्रिक्स के प्रति संयुक्त राज्य अमेरिका का आक्रामक दृष्टिकोण सदस्य देशों को तेजी से एकजुट होने और अपेक्षा से पहले ही ‘ब्रिक्स पे’ को क्रियान्वित करने के लिए प्रेरित कर सकता है।

‘ब्रिक्स पे’ पहल की बाधाएँ

  • ब्रिक्स सदस्यों के मध्य आंतरिक मतभेद: भारत, चीन और ब्राजील अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने स्वयं के प्लेटफॉर्म्स – यूपीआई, सीआईपीएस और पिक्स – को बढ़ावा देना पसंद करते हैं, जिससे ब्रिक्स पे पर आम सहमति बनने में देरी हो सकती है।

ब्रिक्स देशों की साझा मुद्रा की संभावना क्यों नहीं है?

  • राष्ट्रीय प्राथमिकताएँ प्रमुख हैं: प्रत्येक सदस्य, विशेष रूप से चीन, साझा मुद्रा अपनाने की बजाय अपनी मुद्रा का अंतर्राष्ट्रीयकरण करना चाहता है।
  • कोई व्यापक आर्थिक अभिसरण नहीं: मुद्रास्फीति, राजकोषीय नीति और व्यापार संरचनाओं में भारी अंतर संरेखण में बाधा डालते हैं, यूरोजोन की चुनौतियाँ ऐसे मौद्रिक एकीकरण के जोखिमों को दर्शाती हैं।

निष्कर्ष

एक साझा ब्रिक्स मुद्रा का शीघ्र अस्तित्व संभव नहीं है, लेकिन ‘ब्रिक्स पे’ और स्थानीय मुद्रा निपटान जैसी पहल व्यावहारिक रूप से वित्तीय स्वायत्तता को बढ़ावा देती हैंडॉलर पर निर्भरता में कमी तथा प्रतिबंध-रोधी, लचीली वैकल्पिक प्रणाली का निर्माण करती है

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: ब्रिक्स क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट्स इनिशिएटिव (ब्रिक्स पे) का उद्देश्य स्विफ्ट नेटवर्क पर निर्भरता कम करना और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच वित्तीय संप्रभुता को बढ़ाना है। ब्रिक्स देशों में इसके कार्यान्वयन में आने वाली प्रमुख चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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