100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

स्वस्थ व पोषण युक्त राष्ट्र हेतु दुग्ध पहुँच व वितरण में समानता लाना

Lokesh Pal January 30, 2025 05:15 27 0

संदर्भ:

विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश होने के बावजूद, भारत को उत्पादन से अधिक मांग और असमान वितरण का सामना करना पड़ रहा है, जिससे दूध का वितरण आबादी के सभी वर्गों तक नहीं पहुंच पा रहा है।

दूध उत्पादन में उपलब्धियाँ:

  • उच्च वृद्धि: भारत के डेयरी क्षेत्र को इसकी उल्लेखनीय वृद्धि के लिए पहचाना गया है। श्वेत क्रांति ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
  • पहुँच सुनिश्चित करना: देश में दूध के उच्च उत्पादन के बावजूद, दूध की खपत असमान बनी हुई है। मुख्यतः सबसे कमज़ोर लोगों के लिए दूध तक पहुँच सुनिश्चित करना अब एक प्रमुख चुनौती बनी हुई है।

दूध का पोषण संबंधी महत्व:

  • पोषण संबंधी लाभ: दूध प्रोटीन, कैल्शियम और सूक्ष्म पोषक तत्वों का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह शाकाहारी आहार को पूरक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • बाल विकास पर प्रभाव: विभिन्न शोधों से ज्ञात होता है कि दूध या दुग्ध  उत्पादों का सेवन बाल विकास के बेहतर परिणामों के लिए महत्त्वपूर्ण है। यह बच्चों (6 महीने से 5 साल) में बौनेपन, कम वजन और अन्य मानवजनित विफलताओं के जोखिम को कम करता है।

दूध की खपत में असमानता:

  • पहुँच संबंधी असमानताएँ: दूध या दुग्ध  उत्पादों के लाभों के बावजूद, दूध की पहुँच असमान बनी हुई है। आमतौर पर देखा जा सकता है कि आय, भूगोल और सामाजिक पृष्ठभूमि के आधार पर महत्वपूर्ण असमानताएँ मौजूद हैं।
  • उपभोग अंतर: राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) द्वारा घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण (HCES) के आँकड़ों से पता चलता है कि उच्च आय वाले परिवार निम्न आय वाले परिवारों की तुलना में प्रति व्यक्ति 3-4 गुना अधिक दूध की खपत करते हैं।
    • हालाँकि निम्न आय समूहों में खपत में वृद्धि देखी गई है, लेकिन इस वृद्धि ने अंतर को समाप्त करने में पूर्ण सफलता प्राप्त नहीं की है।
  • आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग पर प्रभाव: भारत के सबसे गरीब 30% परिवार कुल दूध की खपत का केवल 18% हिस्सा उपयोग कर पाते हैं, जबकि जनसंख्या में उनकी हिस्सेदारी ज़्यादा है।
  • डेयरी पहुँच और पोषण: अमीर परिवार न केवल अधिक दूध का उपभोग करते हैं, बल्कि पनीर, फ्लेवर्ड दूध और पैकेज्ड डेयरी मिठाइयों जैसे मूल्यवर्धित उत्पादों तक भी पहुँच रखते हैं।
    • कम आय वाले परिवार सस्ते कैलोरी-घने ​​खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता देते हैं, जो अक्सर खराब पोषण का कारण बनता है।
  • वहनीयता का मुद्दा: पर्याप्त मात्रा में डेयरी उद्योग के बावजूद, वहनीयता की कमी दूध को उन लोगों तक पहुँचने से रोकती है, जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है। दूध की उच्च लागत कम आय वाले परिवारों को अधिक किफायती विकल्प चुनने के लिए मजबूर करती है जिसमें दूध के पोषण मूल्य की कमी होती है।
  • ग्रामीण संकेन्द्रण: दूध उत्पादन मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में केंद्रित है, फिर भी शहरी परिवार प्रति व्यक्ति ग्रामीण लोगों की तुलना में लगभग 30% अधिक दूध का उपभोग करते हैं।
  • शहरी खपत को बढ़ाने वाले कारक: शहरी क्षेत्रों में उच्च क्रय शक्ति दूध और डेयरी उत्पादों की अधिक खपत को सक्षम बनाती है।
    • शहरों में संगठित खुदरा श्रृंखलाएँ और सुपरमार्केट प्रसंस्कृत और पैकेज्ड दूध तक आसान पहुँच प्रदान करते हैं।
    • शहरी आहार अधिक विविध हैं, जिसमें कॉफी, चाय, मिल्कशेक और दही-आधारित उत्पादों में दूध शामिल है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में चुनौतियाँ: अधिकांश ग्रामीण समुदाय दूध का पर्याप्त उत्पादन करने के बावजूद, निम्न कारणों से कम खपत की समस्या का सामना करते है:
    • कम आय
    • पारंपरिक आहार संबंधी आदतें
    • रेफ्रिजरेशन तक सीमित पहुँच
  • राज्यों में भिन्नताएँ: विभिन्न राज्यों में दूध की खपत में काफी भिन्नता है, जो आहार संबंधी प्राथमिकताओं, आर्थिक स्थितियों और डेयरी उद्योग के विकास से प्रभावित होती है।
  • उच्च खपत वाले राज्य: पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 333-421 ग्राम दूध की खपत होती है। इन राज्यों में डेयरी संस्कृति बहुत मजबूत है । इन सभी राज्यों में दूध आहार का मुख्य हिस्सा है।
  • कम खपत वाले राज्य: छत्तीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति केवल 75-171 ग्राम दूध की खपत होती है, जो अनुशंसित स्तर से काफी कम है। इन प्रदेशों में, कम खपत का कारण आहार परंपराएँ, आर्थिक बाधाएँ और कमज़ोर डेयरी आपूर्ति श्रृंखलाएँ हैं।

दूध की उचित खपत के समक्ष चुनौतियाँ:

  • डेयरी बुनियादी ढांचे का प्रभाव: गुजरात (अमूल का घर) जैसे मजबूत डेयरी सहकारी समितियों वाले राज्यों में दूध की खपत दर अधिक है। कमजोर डेयरी बुनियादी ढांचे वाले राज्यों को पहुंच और सामर्थ्य में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  • अनुसूचित जनजाति (एसटी) के बीच खपत: अनुसूचित जनजाति (एसटी) के परिवार सामान्य श्रेणी के परिवारों की तुलना में प्रति व्यक्ति प्रति माह 4 लीटर कम दूध का उपभोग करते हैं।
    • कई एसटी समुदाय निम्न-आय वर्ग से हैं, जिससे दूध नियमित आहार के बजाय विलासिता बन जाता है।
  • सांस्कृतिक आहार संबंधी प्राथमिकताएँ: कुछ एसटी समुदाय पारंपरिक रूप से पौधे आधारित अर्थात शाकाहारी आहार पर अधिक निर्भर करते हैं, जहाँ दूध उनके पोषण में कम भूमिका निभाता है।
  • दूरस्थ इलाकों की चुनौतियाँ: कई एसटी आबादी दूरदराज के क्षेत्रों में रहती है, जहाँ बाजार के बुनियादी ढाँचे तक सीमित पहुँच है, जिससे नियमित दूध का सेवन मुश्किल हो जाता है।
  • एनएसएसओ डेटा सीमाएँ: एनएसएसओ घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण मुख्य रूप से घर पर खपत को दर्शाता है, जो कुल दूध की खपत को नहीं दर्शाता है। भारत के कुल दूध उत्पादन का लगभग 50% घर के बाहर खपत किया जाता है।
  • घर से बाहर की खपत: रेस्तरां, चाय की दुकानों और सड़क किनारे के विक्रेताओं में बेची जाने वाली चाय और कॉफी को इस श्रेणी के अंतर्गत रखा जा सकता है। इसके अतिरिक्त भोजनालयों में खाई जाने वाली रसगुल्ला, गुलाब जामुन और पनीर की मिठाइयाँ आदि। सुपरमार्केट से खरीदे गए पैकेज्ड डेयरी ड्रिंक्स और फ्लेवर्ड मिल्क उत्पाद आदि।
  • कम रिपोर्टिंग का प्रभाव: घर से बाहर की खपत की कम रिपोर्टिंग दूध की असमानताओं की धारणा को विकृत करती है, खासकर इसलिए क्योंकि अमीर व्यक्ति, जो अक्सर बाहर खाना खाते हैं, खपत सर्वेक्षणों में पूरी तरह से प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

सरकार द्वारा नीतिगत हस्तक्षेप:

  • एकीकरण: प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पोषण) और एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) जैसे सरकारी कार्यक्रमों में बच्चों और माताओं के पोषण को बढ़ाने के लिए दूध के उत्पादों से संबंधित प्रावधान शामिल किए जाने चाहिए।
  • राज्यों में कार्यान्वयन: आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों ने इन कार्यक्रमों में दूध वितरण को सफलतापूर्वक एकीकृत किया है।
    • हालांकि, पोषण संबंधी कमियों को पूरी तरह से दूर करने के लिए मौजूदा आवंटन अपर्याप्त हैं।
    • छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों ने वित्तीय बाधाओं के कारण दूध के उत्पादों को शामिल करने संबंधी प्रावधान बंद कर दिए हैं।
  • सुधार के लिए रणनीतियाँ: इन कार्यक्रमों को बनाए रखने और विस्तारित करने के लिए, बजटीय आवंटन में वृद्धि और सामाजिक बांड और कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) पहल जैसे अभिनव वित्तपोषण तंत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

आगे की राह :

  • दूध कूपन: मजबूत डेयरी सहकारी नेटवर्क वाले क्षेत्रों में, सरकार कम आय वाले परिवारों के लिए दूध कूपन शुरू कर सकती है।
    • यह पहल स्थानीय डेयरी उत्पादकों का समर्थन करते हुए दूध तक पहुँच को बढ़ाएगी और वितरण लागत को कम करेगी।
  • जागरूकता अभियान: जागरूकता अभियानों को सामाजिक-आर्थिक समूहों में खपत असंतुलन को संबोधित करते हुए दूध के स्वास्थ्य लाभों को उजागर करना चाहिए।
    • पोषण माह 2024 के दौरान, महाराष्ट्र और बिहार में की गई जमीनी पहल, आहार विविधता में सुधार के लिए लक्षित शिक्षा की शक्ति को प्रदर्शित करती है।
  • आउटरीच प्रयास : आंगनवाड़ी केंद्रों, स्वयं सहायता समूहों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के माध्यम से आउटरीच प्रयास महिलाओं के बीच पोषण साक्षरता को और बढ़ा सकते हैं, जो घरेलू भोजन निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • अत्यधिक खपत पर अंकुश लगाना: हालांकि कुपोषण को संबोधित करना महत्वपूर्ण है, लेकिन समृद्ध परिवारों में उच्च वसा वाले डेयरी के अत्यधिक उपभोग को रोकना भी आवश्यक है।
    • यूके के “चेंज 4 लाइफ शुगर स्वैप्स” अभियान से प्रेरित होकर, भारत संतुलित डेयरी खपत को बढ़ावा देने के लिए इसी तरह की सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल को लागू कर सकता है।
  • सामुदायिक सहयोग: डॉक्टरों, प्रभावशाली व्यक्तियों और मीडिया अभियानों के साथ सहयोग से उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव लाया जा सकता है, जिससे कमजोर आबादी के लिए दूध अधिक किफायती और सुलभ हो सकता है।

निष्कर्ष :

मौजूदा दुग्ध उद्योग की असमानताओं को दूर करके और समान पहुंच को प्राथमिकता देकर, भारत वर्गीज कुरियन के पोषण की दृष्टि से सुरक्षित राष्ट्र के दृष्टिकोण को पूरा कर सकता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न. भारत दूध का सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद, सामाजिक-आर्थिक और क्षेत्रीय समूहों में दूध की खपत में असमानता बनी हुई है। इन असमानताओं के पीछे के कारणों की जांच करें और समाज के कमजोर वर्गों के लिए दूध की समान पहुंच व वितरण सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत उपाय सुझाएँ।

(15 अंक, 250 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.