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जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के पर्यटन और संरक्षण का मामला

Lokesh Pal March 08, 2024 05:15 93 0

संदर्भ:

हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में लगभग 6,000 पेड़ों की कटाई के संदर्भ में उत्तराखंड सरकार की कड़ी आलोचना की गई है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत में संरक्षित क्षेत्र तथा भारत के विभिन्न राष्ट्रीय उद्यानों के बारे में।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: पर्यावरण संरक्षण तथा पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण से संबंधित मुद्दे।

सर्वोच्च न्यायालय का फैसला:

  • बाघ एक सूचक प्रजाति के रूप में: तीन जजों की बेंच के फैसले में जस्टिस बी.आर. गवई (Justice B.R. Gavai) बाघों को एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का सूचक मानते हुए उनकी सुरक्षा के महत्व पर जोर देते हैं और अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई के संदर्भ में चेतावनी देते हैं।
  • उत्तराखंड में वन अधिकारियों और राजनेताओं के संदर्भ में: न्यायालय ने पार्क के भीतर बाघ सफारी का विस्तार करने के लिए वन अधिकारियों और राजनेताओं की मिलीभगत की पहचान की और इसे संरक्षण प्रथाओं का उल्लंघन बताया।
  • सफ़ारी की अनुमति देने का प्रश्न: न्यायालय के फैसले का वन्यजीव पार्कों के प्रबंधन पर असर पड़ेगा, विशेष रूप से इस सवाल पर कि क्या वन्यजीव पार्कों के बफर और फ्रिंज ज़ोन में ‘टाइगर सफ़ारी’ संरक्षण उपायों के साथ अच्छी तरह मेल खाती है या नहीं ।
  • पार्क के पास ध्वनि प्रदूषण: न्यायालय ने पार्क के पास रिसॉर्ट्स पर ध्यान केन्द्रित किया है, इन रिसॉर्ट्स में लोग तेज संगीत इत्यादि बजाते हैं जिनकी वजह से वन्यजीवों को परेशानी होती है।

वन्य प्राणियों का संरक्षण एवं सुरक्षा:

  • विशेषज्ञ निकाय: केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण दोनों केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से संबद्ध विशेषज्ञ निकाय हैं, और इन्हें जंगली जानवरों के संरक्षण का काम सौंपा गया है।
    • ये विशेषज्ञ बाघ सफारी का विरोध नहीं करते बल्कि स्थापित दिशानिर्देशों के पालन पर जोर देते हैं।
  • सैधांतिक रूप से इन संगठनों को बाघ सफारी पर कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते इन्हें दिशानिर्देशों की एक श्रृंखला के दायरे में संचालित किया जाए।

वन्यजीव सफ़ारी के लिए अंतर्निहित तर्क:

 

  • कोर जोन को बनाए रखें: एक निर्दिष्ट स्थान पर वन्यजीव सफारी जंगल के कोर जोन से ध्यान हटाती है और इसकी अक्षुण्ण प्रकृति को बढ़ावा देती है।
    • संरक्षण के बारे में जन जागरूकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है ।
    • स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसरों का सृजन किए जाने की आवश्यकता है ।
    • उदाहरण-अफ्रीका से मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों के हालिया स्थानांतरण का उद्देश्य भी बाघों की उपस्थिति को पुनर्जीवित करना और पर्यटन को बढ़ावा देना है।
  • हालाँकि, सफ़ारी को इको-पर्यटन को प्राथमिकता देनी चाहिए, न कि व्यावसायिक पर्यटन को।
  • राजनीतिक हस्तक्षेप की चिंताएँ हैं, जैसा कि कॉर्बेट पार्क की कार्यवाही से पता चलता है।

निष्कर्ष: न्यायालय ने सिफारिश की है कि केंद्र सफ़ारी के संचालन पर दिशानिर्देश विकसित करे और सरकार इस पर जल्द से जल्द अमल करेगी और पर्यटन तथा संरक्षण के संबंध में अपने संदेश पर सतर्क रहेगी।

News Source: The Hindu

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