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सेंट्रल बैंक के अधिदेश में परिवर्तन (Change in the mandate of the Central Bank)

Samsul Ansari January 20, 2024 11:07 119 0

संदर्भ

इस लेख के माध्यम से मौद्रिक नीति तैयार करने में केंद्रीय बैंकों की भूमिका पर प्रकाश डाला गया है और यह जानने का प्रयास किया गया है कि, क्या केंद्रीय बैंकों को अन्य कार्यों की जिम्मेदारियाँ भी सौपी जा सकती हैं।

मौद्रिक नीति क्या है?

  • मौद्रिक नीति किसी देश के केंद्रीय बैंक के वे विभिन्न उपकरण ( Tools) होते हैं, जिनका उपयोग  केंद्रीय बैंक द्वारा-  
    • समग्र धन आपूर्ति को नियंत्रित करने I
    • आर्थिक विकास को बढ़ावा देनेI 
    • ब्याज दरों को संशोधित करने I 
    • बैंक आरक्षित निधि संबंधी आवश्यकताओं में परिवर्तन लाने हेतु विभिन्न रणनीतियों को नियोजित करना आदि I

आर्थिक नीति पर मिल्टन फ्रीडमैन के विचार: मिल्टन फ्रीडमैन द्वारा वर्ष 1968 के दौरान दिए गए एक भाषण के अनुसार, आर्थिक नीति के तीन प्रमुख लक्ष्य होते हैं

  • उच्च रोजगार
  • स्थिर कीमतें 
  • तीव्र विकास।

केंद्रीय बैंकों के अधिदेश(mandate) से संबंधित विवाद

  • इस दिशा में अलग-अलग विशेषज्ञों के भिन्न-भिन्न मत थे, कि क्या केंद्रीय बैंकों के पास सिर्फ मूल्य स्थिरता से संबंधित ही अधिदेश होने चाहिए या/और कई अधिदेश (जैसे अन्य लक्ष्यों के साथ मूल्य स्थिरता) होने चाहिए।
  • एकल अधिदेश के समर्थक: एकल-अधिदेश वाले केंद्रीय बैंकिंग की शुरुआत वर्ष 1989 में RBNZ द्वारा की गई थी, जिसके बाद इसका अनुसरण करते हुए कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड के केंद्रीय बैंकों ने भी इसकी शुरुआत की।
  • एकाधिक अधिदेश के समर्थक: अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अधिकतम रोजगार प्रदान करना और स्थिर कीमतों के लक्ष्य के साथ एक दोहरे अधिदेश वाले केंद्रीय बैंक की अपनी स्थिति बनाए रखी।

2008 का वित्तीय संकट

  • वर्ष 2008 में आए वैश्विक वित्तीय संकट ने, वित्तीय संकट से पहले पालन किए जाने वाले सभी सिद्धांतों पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया था एवं अब इससे निपटने के लिए केंद्रीय बैंकों को मूल्य स्थिरता के साथ-साथ रोजगार और वित्तीय स्थिरता सहित व्यापक अधिदेश देने की माँग की गई।

RBI के कार्य: 

  • RBI बैंकों का नियामक।
  • सरकार का बैंकर एवं मुद्रा, सरकारी ऋण और विदेशी मुद्रा का प्रबंधक होता हैI 
  • इन सबके साथ ही RBI को वित्तीय समावेशन की सुविधा भी प्रदान करनी चाहिए।

  • 1935-2015: इस दौरान बिना किसी स्पष्ट सोपानीकरण के भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अधिदेश में कई उद्देश्य शामिल थे: 
    • बैंक नोटों को विनियमित करना। 
    • मौद्रिक स्थिरता स्थापित करना। 
    • मुद्रा और क्रेडिट प्रणाली का संचालन करना।
  • वर्ष 2016: इस वर्ष भारत सरकार ने अधिदेश में संशोधन कर आरबीआई को एक लचीला मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (FIT) केंद्रीय बैंक का रूप दिया।
  • आरबीआई को “विकास संबंधी उद्देश्य” को ध्यान में रखते हुए मुद्रास्फीति की दर 4+/- 2% पर स्थिर रखने का लक्ष्य निर्धारित किया।

निष्कर्ष

केंद्रीय बैंक के पूर्ववर्ती अधिदेशों पर गौर करने से यह पता चलता है कि RBI के पास एकल अधिदेश का होना सबसे बेहतरीन विकल्प है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों के घटनाक्रम से यह भी पता चलता है कि केंद्रीय बैंकों को न केवल मुद्रास्फीति लक्ष्य के मामले में बल्कि अपने समग्र दृष्टिकोण में भी लचीलापन लाने की आवश्यकता है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न : देश के आर्थिक संवृद्धि और विकास के दिशा-निर्धारण हेतु केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीतियाँ एक उपकरण के रूप में कार्य करती हैं I चर्चा कीजिएI

                                                                                   News Source: Financial Express

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