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भारतीय निर्वाचन आयोग और निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया की आवश्यकता

Lokesh Pal June 10, 2025 05:30 64 0

संदर्भ:

2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद, लोकसभा में विपक्ष के नेता ने चुनावों की निष्पक्षता और पारदर्शिता के संबंध में गंभीर चिंताएँ जताईं हैं।

महाराष्ट्र में मतदाता सूची में परिवर्तन को लेकर चिंताएँ

  • तीव्र वृद्धि: मुख्य चिंता का विषय यह है, कि आम चुनावों के बाद मात्र छह महीने के भीतर 39 लाख से अधिक नए मतदाता जुड़े हैं।
  • मुद्रास्फीति का प्रतिरूप: यह कोई अकेली घटना नहीं है- द हिंदू के विश्लेषण से पता चलता है, कि 2014 के विधानसभा चुनावों से पूर्व भी इसी तरह की वृद्धि देखी गई थी, जो मतदाता सूचियों में वृद्धि के संभावित प्रतिरूप का संकेत देती है।
  • ECI द्वारा आँकड़ों को सार्वजनिक करने से रोकना: भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) ने व्यापक आँकड़ें जारी नहीं किए हैं, जो मतदाता सूची के सार्वजनिक या राजनीतिक दलीय-स्तर के सत्यापन हेतु महत्त्वपूर्ण है।
  • जाँच में बाधा: सत्यापन योग्य मतदाता सूची डेटा तक पहुँच के बिना, राजनीतिक दल संभावित दोहराव या हेरफेर की जाँच करने में असमर्थ हैं, जिससे सूचियों के सही होने के संबंध में प्रश्न उठते हैं।
  • अद्यतनीकरण में शामिल नहीं: मतदाता सूचियों को अद्यतन करने की प्रक्रिया में अक्सर राजनीतिक दलों से समय पर इनपुट का अभाव होता है, जिससे आवश्यक जाँच और जवाबदेही कम हो जाती है।
  • चुनाव के बाद आपत्तियाँ: इसके कारण राजनीतिक पार्टियाँ चुनाव के बाद ही आपत्तियाँ दर्ज करा सकती हैं, जबकि वे मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान सक्रिय रूप से शामिल होती हैं, जिससे अंततः निर्वाचन प्रणाली में विश्वास कमजोर होता है

निर्वाचन प्रक्रियाओं से संबंधित विवाद

  • CCTV तक पहुँच को प्रतिबंधित करना: CCTV फुटेज तक पहुँच को सीमित करने से अनियमितताओं या कदाचार का संदेह उत्पन्न होता है
    • निर्वाचन संचालन नियम, 1961 में केंद्र सरकार द्वारा किया गया संशोधन, जो पहुँच को प्रतिबंधित करता है, विवादास्पद है – विशेष रूप से कांग्रेस जैसे राजनीतिक दलों द्वारा अधिक पारदर्शिता की माँग को देखते हुए।
  • शिकायत सत्यापन में बाधा: फुटेज के बिना, बूथ स्तर पर कदाचार के आरोपों को सत्यापित करना मुश्किल हो जाता है।
    • इससे राजनीतिक दलों के लिए विसंगतियों को सत्यापित करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है, जैसे शाम 5 बजे के बाद मतदान, या अन्य अनियमितताओं पर प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देना
  • लोकतांत्रिक जवाबदेही को कमजोर करना: पहुँच की कमी को जनता के विश्वास और संस्थागत जाँच को कमजोर करने के रूप में माना जाता है
    • आलोचकों के अनुसार, निर्वाचन आयोग चुनावी पारदर्शिता को सक्रिय रूप से सुनिश्चित करने की बजाय जाँच से बच रहा है।

देर से मतदान के आरोपों पर ECI का संबोधन

  • खारिज किए गए दावे: भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) ने स्पष्ट किया, कि 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान शाम 5 बजे के बाद मतदान में कोई विशेष वृद्धि नहीं हुई। उनके विश्लेषण से संकेत मिलता है, कि मतदान प्रतिरूप पिछले रुझानों के अनुरूप था, असामान्य रूप से उच्च नहीं।
  • अनंतिम मतदान आँकड़े: ECI ने स्पष्ट किया, कि अनंतिम मतदान आँकड़े, विशेष रूप से एप्स के माध्यम से साझा किए गए आँकड़े, मैनुअल इनपुट पर आधारित हैं और उनमें विसंगतियाँ हो सकती हैं।
    • मतदान के दिन देरी और प्रविष्टि त्रुटियों के कारण ऐप-आधारित डेटा अंतिम मतदान से भिन्न हो सकता है।
  • अंतिम बूथ-स्तरीय डेटा (फॉर्म 17C): ECI ने इस बात पर जोर दिया, कि सटीक डेटा फॉर्म 17C से आता है, जिसे मतदान समाप्त होने के बाद संकलित किया जाता है और इसमें मशीन द्वारा सत्यापित आँकड़े शामिल होते हैं।
    • अंतिम मतदान प्रतिशत EVM और VVPAT से प्राप्त वास्तविक मतों की गणना पर आधारित है, न कि मानवीय अनुमान पर।

निष्कर्ष

चुनावी पारदर्शिता की रक्षा के लिए, सत्यापन योग्य, मशीन-पठनीय डेटा और बहु-पक्षीय भागीदारी के साथ पारदर्शी मतदाता सूची प्रबंधन आवश्यक है। साथ ही, निर्वाचन आयुक्त के चयन में भारत के मुख्य न्यायाधीश को शामिल करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को लागू करने से निष्पक्षता को बढ़ावा दिया जा सकेगा।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

निर्वाचन संचालन नियम, 1961 में हाल ही में हुए प्रक्रियागत परिवर्तनों के संदर्भ में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) की भूमिका एवं जवाबदेही का परीक्षण कीजिए।

(10 अंक, 150 शब्द)

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