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पंचायतों का सशक्तीकरण : “विकसित भारत 2047” लक्ष्य को प्राप्त करने की एक कुंजी

Lokesh Pal January 24, 2025 05:30 159 0

संदर्भ:

विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्थानीय स्वशासन को सशक्त बनाना अत्यंत  आवश्यक है।

भारत के विकास में पंचायतों की भूमिका

  • पंचायती राज व्यवस्था : विकेन्द्रीकृत सत्ता की नींव के रूप में स्थापित, जमीनी स्तर पर सतत विकास की आवश्यकता पर बल दिया गया। 
    • इसका नेतृत्व ग्राम मुखिया (VM) या सरपंच द्वारा किया जाता है, राष्ट्रीय लक्ष्यों को स्थानीय कार्रवाई में बदलने में पंचायतें महत्त्वपूर्ण हैं। 
  • महत्त्व : प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के समान ग्राम मुखिया की भूमिका को मजबूत प्रशासनिक संरचनाओं द्वारा समर्थित करके जमीनी स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया को बढ़ाया जा सकता है तथा अभिशासन परिणामों में सुधार किया जा सकता है।

ग्राम पंचायतों (GPs) के समक्ष चुनौतियाँ

  • बुनियादी ढाँचे की कमी : कार्यकर्ताओं और अवसंरचनात्मक कमी से योजना और कार्यान्वयन क्षमता सीमित हो जाती है। इससे आवंटित धन का कम उपयोग होता है या स्थानीय आवश्यकताओं के साथ प्राथमिकताओं का बेहतर तालमेल विकसित नहीं हो पाता है। 
  • उच्च अधिकारियों पर निर्भरता : परियोजनाओं को अक्सर जिला या राज्य अधिकारियों द्वारा प्राथमिकता दी जाती है, जिससे ग्राम पंचायतों की स्वायत्तता कम हो जाती है। 
  • नियोजन में निम्न भागीदारी : केवल 7% सरपंचों ने ग्राम पंचायत नियोजन सुविधा उपकरण (GPPFT) का उपयोग करके स्वतंत्र रूप से स्थानीयकृत SDG (LSDG) थीम चुनी।
    • 34% विषय ब्लॉक अधिकारियों द्वारा, 22% सरपंचों या सचिवों द्वारा तथा 16% राज्य द्वारा तय किए जाते हैं।

आगे की राह

  • 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992: समुदायों को सीधे सेवाएँ प्रदान करने और  पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए 29 विषयों संबंधी अधिकार हस्तांतरित करने का आदेश दिया गया। 
  • ग्राम पंचायत विकास योजनाएँ (GPDP): पंचायती राज मंत्रालय ने स्थानीय प्राथमिकताओं के साथ संरेखित करने के लिए 17 SDG को नौ विषयों में समूहीकृत किया है। 
    • GPs को जमीनी स्तर पर इन विषयों को लागू करने के लिए GPDP तैयार करने का कार्य सौंपा गया है। 
  • अंतिम-मील अभिसरण : जमीनी स्तर पर बहुआयामी मुद्दों को संबोधित करने के लिए विभागों में सहयोग को मजबूत करना।
    • ग्राम स्तर पर ग्राम मुखिया (VM) के नेतृत्व में एक केंद्रीय समन्वय निकाय की स्थापना करें। पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए धन, पदाधिकारियों और प्रशासनिक सहायता के अभिसरण की सुविधा प्रदान करना। 
    • उदाहरण के लिए, भेटौरा पंचायत (गया, बिहार) की मुखिया अनीता देवी ने ‘स्वस्थ पंचायत’ LSDG थीम को अपनाया। 
      • ‘जीरो होम डिलीवरी’ को प्राप्त करने के लिए आशा, आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और ‘गांधी फेलो’ के साथ सहयोग किया। एक वर्ष में संस्थागत प्रसव दर 25% से बढ़कर 90% हो गई।
  • पंचायत नेताओं का विकास : 2.6 लाख निर्वाचित ग्राम मुखिया की क्षमता का निर्माण करना और स्थानीय युवाओं में नेतृत्व को बढ़ावा देना। 1 लाख युवाओं को राजनीति में शामिल करने के प्रधानमंत्री के आह्वान को मूर्त रूप प्रदान करना।
    • शासन को बेहतर बनाने के लिए ग्राम मुखिया और वार्ड सदस्यों के लिए लक्षित क्षमता निर्माण प्रक्रियाएँ सुनिश्चित करना। 
    • उदाहरण के लिए, झारखंड के गुमला की मुखिया ज्योति बिहार देवी ने अपनी पंचायत में शराब पर प्रतिबंध लगा दिया। स्कूल में उपस्थिति बढ़ाने के लिए “सीटी बजाओ और स्कूल आओ” अभियान शुरू किया। आजीविका के अवसरों पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे उनके क्षेत्र विशेष में प्रमुख परिवर्तन आया।
  • डेटा का लोकतंत्रीकरण : बेहतर प्रशासन के लिए लाभार्थियों के डेटा और योजना के विवरण तक ‘वास्तविक समय पहुँच’ प्रदान करना। ‘वास्तविक समय डेटा’ तक पहुँच और विश्लेषण के लिए प्रौद्योगिकी समाधान लागू करना।
    • पंचायती राज मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा पंचायत स्तर पर नियोजन और क्रियान्वयन में पहलों के एकीकरण को बढ़ावा देना। 
    • इससे सूचित निर्णय लेने में मदद मिलती है, साथ ही सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता और कुशल क्रियान्वयन को बढ़ावा मिलता है।
  • ग्राम समितियों को पुनर्जीवित करना : विकेंद्रीकृत शासन और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने में ग्राम-स्तरीय समितियों की भूमिका को मजबूत करना। समितियों को निम्नलिखित  प्रकार से संरेखित करना:
    • स्कूल प्रबंधन समितियाँ
    • ग्राम स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समितियाँ
    • जन आरोग्य समितियाँ
    • ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियाँ
  • समन्वय : प्रयासों के दुहराव को रोकने के लिए समन्वय और संरेखण सुनिश्चित करना। 
  • सामुदायिक स्वामित्व : विकास पहलों में सामुदायिक स्वामित्व को बढ़ावा देना।

निष्कर्ष

अतः विकेन्द्रीकरण का समर्थन करके मजबूत नेतृत्व को बढ़ावा देकर, आँकड़ों तक पहुँच को सुनिश्चित करते हुए समाज को लोकतांत्रिक बनाकर तथा ग्राम समितियों को पुनर्जीवित करके, भारत पंचायतों को विकेन्द्रीकृत शासन के प्रमुख अभिकर्ता के रूप में सशक्त बना सकता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

भारत के सतत विकास प्रयासों की सफलता ग्राम पंचायतों के सशक्तीकरण पर निर्भर करती है। स्थानीय सतत विकास लक्ष्यों (LSDG) को प्राप्त करने में ग्राम पंचायत विकास योजनाओं (GPDP) की भूमिका का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए तथा पंचायत स्तर पर नियोजन और कार्यान्वयन को मजबूत करने के उपाय सुझाइए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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