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भारत में “पर्यावरण स्वास्थ्य विनियामक संस्था” (EHRA) तथा इसकी आवश्यकता

Lokesh Pal November 22, 2024 05:30 4 0

संदर्भ :

प्रदूषण और तीव्र आर्थिक विकास के कारण भारत गंभीर पर्यावरणीय स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना कर रहा है। इनके समाधान के लिए, पर्यावरणीय शासन को सार्वजनिक स्वास्थ्य के साथ एकीकृत करने तथा सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए एक एकीकृत पर्यावरण स्वास्थ्य विनियामक संस्था (EHRA) की आवश्यकता है।

EHRA की आवश्यकता

  • वैश्विक जलवायु कार्रवाई और भारत
    • 2024 के COP 29 ने महत्त्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई की तत्काल वैश्विक मांग पर प्रकाश डाला। 
    • भारत विकसित देशों से जलवायु वित्तपोषण बढ़ाने की मांग के साथ प्रभावी पर्यावरण प्रबंधन की आवश्यकता पर बल दे रहा है।
  • प्रदूषण तथा स्वास्थ्य जोखिम 
    • पर्यावरण प्रदूषण, विशेष रूप से वायु, जल और मिट्टी में, भारत में गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर रहा है। 
    • प्रदूषण का सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सीधा प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे बीमारियों में वृद्धि होती है।
  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि
    • उत्सर्जन अंतराल रिपोर्ट- 2024 के अनुसार, भारत में पिछले वर्ष की तुलना में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 6% की वृद्धि देखी गई, जो जलवायु और स्वास्थ्य चुनौतियों के प्रबंधन के लिए एकीकृत नीतियों की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता का संकेत देती है।
  • जलवायु, पर्यावरण, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के बीच अंतरनिर्भरता
    • भारत में तीव्र आर्थिक विकास हो रहा है, इसलिए पर्यावरणीय स्थिरता, सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक विकास के बीच अंतर्संबंधों को नकारा नहीं जा सकता। 
    • हालाँकि, इन जटिल, परस्पर संबंधित मुद्दों को समग्र रूप से संबोधित करने के लिए मौजूदा संस्थागत क्षमताएँ सीमित हैं।
  • व्यापक डेटा एकीकरण :
    • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के प्रयासों के बीच एक महत्त्वपूर्ण विसंगति है।
    • ये एजेंसियाँ प्रदूषण नियंत्रण, पर्यावरण नीतियों और रोग निगरानी पर अलग-अलग ध्यान केंद्रित करती हैं, जिसके कारण अपर्याप्त डेटा प्रवाह होता है और प्रदूषण से उत्पन्न होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों से निपटने में समन्वय की कमी होती है।
  • स्वास्थ्य प्रभावों के साक्ष्य
    • भारत में किए गए अध्ययनों से सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है, जो श्वसन, हृदय और चयापचय संबंधी विकारों जैसे गैर-संचारी रोगों की वृद्धि में योगदान देता है।
    • बच्चों, बुजुर्गों और आर्थिक रूप से वंचित समुदायों सहित कमजोर समूहों को प्रदूषकों के संपर्क में आने से अधिक जोखिम का सामना करना पड़ता है।
  • खतरों पर नियंत्रण
    • EHRA सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करते हुए जोखिम आकलन, उद्योग अनुपालन तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के लिए त्वरित प्रतिक्रिया उपायों का समन्वय करके भोपाल गैस त्रासदी जैसी आपदाओं को रोक सकता है ।

वैश्विक मॉडल

  • अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण संस्था (EPA): एक व्यापक मॉडल जो पर्यावरण प्रबंधन को सार्वजनिक स्वास्थ्य संरक्षण के साथ एकीकृत करता है।
    • यह वायु और जल की गुणवत्ता को नियंत्रित करता है, अपशिष्ट का प्रबंधन करता है, विषाक्त पदार्थों को नियंत्रित करता है तथा प्रदूषण नियंत्रण को लागू करने के लिए एकीकृत विज्ञान आकलन पर निर्भर करता है।
  • जर्मनी की संघीय पर्यावरण संस्था (UBA): वायु, जल और अपशिष्ट विनियमन, सतत ऊर्जा पहल तथा पर्यावरण नीति प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करती है, प्रभावी विनियमन के लिए स्वास्थ्य और पर्यावरण डेटा को एकीकृत करती है।
  • जापान का पर्यावरण मंत्रालय (MOE): प्रदूषण नियंत्रण, रासायनिक सुरक्षा और पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण से संबंधित कार्य करता है, पर्यावरणीय स्वास्थ्य प्रभावों की निगरानी करने और प्रदूषण नियंत्रण लागू करने के लिए स्वास्थ्य एजेंसियों के साथ सहयोग करता है।

EHRA के लाभ

  • डेटा एकीकरण : EHRA पर्यावरण और स्वास्थ्य डेटा को एकीकृत कर सकता है, जिससे स्वास्थ्य प्रभावों को बेहतर ढंग से विनियमित और कम किया जा सके।
  • एकीकृत विनियामक ढाँचा : यह सभी प्रकार के प्रदूषण के लिए एक व्यापक प्रतिक्रिया तैयार करने में सक्षम होगा, जिससे संचयी जवाबदेही और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सुनिश्चित होगा।
  • साक्ष्य-आधारित नीति : वायु गुणवत्ता, वेक्टर जनित बीमारियों और रासायनिक जोखिम जैसी विशिष्ट राष्ट्रीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए वैश्विक वित्त पोषण और अनुसंधान द्वारा सूचित एक डेटा-संचालित, साक्ष्य-आधारित विनियामक ढाँचा विकसित किया जाएगा।
  • वैश्विक मानकों के साथ संरेखण : अंतर्राष्ट्रीय मानकों और नीतियों का पालन करके, भारत पर्यावरणीय स्वास्थ्य से समझौता किए बिना आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकता है।
  • सामुदायिक भागीदारी : पर्यावरणीय स्वास्थ्य पहलों की सफलता के लिए जनता को शामिल करना महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि नागरिक स्वच्छ वायु, जल और स्वस्थ रहने की स्थिति को सुनिश्चित कर सकते हैं।
  • वैश्विक प्रतिबद्धताएँ : EHRA भारत की राष्ट्रीय नीतियों को वैश्विक मानकों के साथ संरेखित करके पेरिस समझौते और सतत विकास लक्ष्यों के तहत अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मदद करेगा।
  • अनुकूलित हस्तक्षेप : निगरानी और जवाबदेही के लिए एक विस्तृत राष्ट्रीय मंच स्थानीय आवश्यकताओं के लिए अधिक प्रभावी प्रतिक्रियाओं की अनुमति देगा और क्षेत्रीय पर्यावरणीय स्वास्थ्य चुनौतियों के अनुरूप नीतियों के विकास को सक्षम करेगा।

निष्कर्ष 

भारत में पर्यावरण स्वास्थ्य विनियामक संस्था (EHRA) की स्थापना से प्रदूषण और सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है। नौकरशाही प्रतिरोध और उद्योग के विरोध जैसी संभावित चुनौतियों के बावजूद, समन्वय और स्पष्ट उद्देश्यों के लिए एक अच्छी तरह से संरचित, वैज्ञानिक रूप से निर्देशित ढाँचा यह सुनिश्चित कर सकता है कि संस्था सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करने वाली नीतियों को सफलतापूर्वक प्राथमिकता दे और उन्हें लागू करे।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

भारत में पर्यावरण स्वास्थ्य विनियामक संस्था (EHRA) की स्थापना बढ़ते प्रदूषण और स्वास्थ्य जोखिमों से निपटने के लिए पर्यावरण प्रबंधन को सार्वजनिक स्वास्थ्य के साथ एकीकृत करने के लिए महत्त्वपूर्ण है। टिप्पणी कीजिए ।

(10 अंक, 150 शब्द)

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