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Lokesh Pal
October 07, 2024 05:15
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केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पाँच भाषाओं खासकर मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को आधिकारिक तौर पर शास्त्रीय भाषाओं के रूप में मान्यता दे दी गई है, जिससे इस सूची पर अब कुल शास्त्रीय भाषाओं की संख्या ग्यारह हो गई है। इस निर्णय ने सामाजिक एकता और भाषाई विविधता के संरक्षण और इसके निहितार्थों के विषय में भाषा विद्वानों के मध्य विचार-विमर्श हो रही हैं।
हर भाषा एक अनूठी विश्वदृष्टि का प्रतिनिधित्व करती है और सम्मान की हकदार है। यदि विविधता भरे इस देश में केवल कुछ चुनिंदा भाषाओं को ही मान्यता मिलती है, तो यह भारत के समक्ष भाषाओं, का जोखिम हो सकता है। जैसा कि जॉर्ज ऑरवेल के एनिमल फ़ार्म में विवरण दिया गया है, जहाँ कुछ को दूसरों पर तरजीह दी जाती है, जिससे वास्तविक समानता और एकता कमज़ोर हो जाती है।
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