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हमारे ग्रह और उसके लोगों के लिए हमें भोजन/खाद्यान्न की बर्बादी और नुकसान को न्यूनतम करना चाहिए

Lokesh Pal June 06, 2025 05:00 73 0

संदर्भ:

वर्त्तमान में खाद्यान्न की बर्बादी एक प्रमुख वैश्विक मुद्दा बन गया है, यह ग्रीन हाउस गैसों का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है, जोकि अमेरिका और चीन के ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन की मात्रा से भी अधिक है।

खाद्यान्न की बर्बादी से संबंधित मुद्दा:

  • अपशिष्ट से होने वाला उच्च उत्सर्जन: खाद्य अपशिष्ट वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 8-10% का योगदान देता है, जो विमानन क्षेत्र के उत्सर्जन का लगभग तीन गुना है। जब भोजन सड़ता है तो उससे मीथेन गैस का उत्सर्जन होता है, जो CO₂ से 80 गुना अधिक शक्तिशाली होती है।
  • उत्पादन संबंधी समस्या: अपशिष्ट के अलावा, खाद्य उत्पादन और इसकी विभिन्न प्रक्रियाएं (जैसे उर्वरक, परिवहन, आदि) भी जलवायु को नुकसान पहुंचाने वाली गैसों का उत्सर्जन करती हैं
  • वैश्विक विरोधाभास: उत्पादित कुल खाद्यान्न का लगभग 20% नष्ट हो जाता है या बर्बाद हो जाता है, जबकि 783 मिलियन लोग भूख से पीड़ित हैं, तथा पांच वर्ष से कम आयु के 150 मिलियन बच्चे कुपोषण के कारण विकास में बाधा का सामना कर रहे हैं।
  • सतत विकास लक्ष्य (SDG) 12.3: भारत ने SDG 12.3 के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक खुदरा और उपभोक्ता स्तरों पर प्रति व्यक्ति वैश्विक खाद्य अपशिष्ट को आधा करना तथा उत्पादन एवं आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ खाद्य नुकसान को कम करना है।
  • बर्बादी की मात्रा: भले ही डिब्बा बंद भोजन का सिर्फ़ 25% ही खाने योग्य हो, परंतु प्रतिदिन 1 बिलियन भोजन/खाद्य बर्बाद हो जाता है। UNEP खाद्य अपशिष्ट सूचकांक रिपोर्ट 2024 के अनुसार, 17% खाद्य अपशिष्ट का निर्माण खुदरा और उपभोग के मध्य होता है।
  • समाधान: सतत पैकेजिंग का उपयोग करने, शेल्फ-लाइफ बढ़ाने, तथा पोषण मूल्य को संरक्षित करने और अपशिष्ट को न्यूनतम करने के लिए बुनियादी ढांचे और प्रक्रियाओं में सुधार करने का अवसर है।
  • सीमित वैश्विक कार्रवाई: वर्ष 2022 तक, केवल 21 देशों ने अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) में खाद्य हानि/अपशिष्ट में कमी को शामिल किया है।
  • बाजार-पूर्व खाद्य हानि: खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, विकासशील देशों में 30-40% खाद्यान्न बाजार तक पहुंचने से पहले ही नष्ट हो जाता है, जो मुख्य रूप से भंडारण, प्रसंस्करण और परिवहन में फसल-पश्चात अंतराल के कारण होता है।

भारत में खाद्यान्न हानि को न्यूनतम करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  • सक्रिय उपाय: भारत ने पीएम किसान संपदा योजना, खाद्य प्रसंस्करण के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना जैसी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से आपूर्ति श्रृंखला में समन्वित नीतियों को लागू किया है।
  • बुनियादी ढांचा और दक्षता: इन योजनाओं का उद्देश्य बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण करना, उन्नत पैकेजिंग और संरक्षण प्रौद्योगिकियों को अपनाना तथा अपव्यय को कम करने के लिए आपूर्ति श्रृंखला दक्षता को बढ़ावा देना है।
  • कोल्ड चैन, मूल्य संवर्द्धन एवं संरक्षण अवसंरचना: फसलोपरांत होने वाले नुकसान को न्यूनतम करने के लिये एकीकृत कोल्ड चैन, संरक्षण अवसंरचना एवं मूल्य संवर्द्धन अवसंरचना की स्थापना की गई है।
    • एकीकृत कोल्ड चैन और मूल्य संवर्धन अवसंरचना योजना शेल्फ-लाइफ विस्तार, पोषण संरक्षण और गुणवत्ता वृद्धि के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

आगे की राह:

  • प्रसंस्करण और पैकेजिंग: खाद्य सुरक्षा और शेल्फ-लाइफ विस्तार के लिए खाद्य प्रसंस्करण क्षमताओं को उन्नत करना आवश्यक है तथा पर्यावरण अनुकूल भंडारण और पैकेजिंग समाधानों को अपनाना।
  • सतत/संवहनीय/टिकाऊ नवाचार: पुनर्चक्रणीय सामग्रियों का उपयोग करके कीटाणुनाशक पैकेजिंग से प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • भोजन योजना: भारत में 17% भोजन बर्बाद/खराब हो जाता है, इसलिए घरों को भोजन योजना अपनानी चाहिए और बर्बादी को कम करने तथा टिकाऊ उपभोग को बढ़ावा देने के लिए फ्रिज में रखी वस्तुओं के उपयोग के लिए FIFO (पहले आओ, पहले पाओ) पद्धति का पालन करना चाहिए।
  • जिम्मेदार और पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी और उपभोक्ता जागरूकता अभियान की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

खाद्यान्न हानि से निपटने के लिए एक चक्रीय अर्थव्यवस्था ढांचे के अंतर्गत उत्पादकों, आपूर्तिकर्ताओं और उपभोक्ताओं की अंत-से-अंत तक सहभागिता आवश्यक है, क्योंकि अपशिष्ट को न्यूनतम करने से बेहतर खाद्य सुरक्षा प्रबंधन, संपूर्ण आहार तक पहुँच को सुनिश्चित तथा कुपोषण के प्रभाव कम किया जा सकता है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न: वैश्विक स्तर पर पर्याप्त खाद्य उत्पादन के बावजूद, हर दिन लाखों लोग भूखे रहते हैं, खाद्यान्न की बर्बादी के खतरनाक पैमाने से यह विरोधाभास और भी गहरा हो जाता है। इस संदर्भ में खाद्यान्न की बर्बादी के सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभावों पर प्रकाश डालें तथा सतत विकास लक्ष्य 12 के अनुरूप खाद्यान्न की हानि को न्यूनतम करने के उपाय सुझाएं।

(15 अंक, 250 शब्द)

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