100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

भारत में गणतंत्र से असमानताओं के गणतंत्र तक

Lokesh Pal November 27, 2024 05:30 5 0

संदर्भ : 

हाल ही में 26 नवंबर, 2024 को भारत के संविधान की 75वीं वर्षगाँठ मनाई जाएगी | यह संविधान  एक ऐसा मील का पत्थर है, जो संविधान निर्माताओं द्वारा निर्धारित दृष्टिकोण और समकालीन भारत की वास्तविकताओं के साथ संरेखित होता है ।

संविधान सभा तथा उदारवाद 

  • संविधान सभा में हुई चर्चाओं या वाद-विवाद का उद्देश्य एक उदार संवैधानिक ढाँचा तैयार करना था, जो भारत की विविध सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक पहचानों को समायोजित कर सके।
  • संविधान में एक ऐसे राज्य की परिकल्पना की गई थी, जो हस्तक्षेपकारी उपायों के माध्यम से असमानता को कम करने के लिए सक्रिय रूप से कार्य करेगा, साथ ही स्वतंत्रता को एक बुनियादी  मूल्य के रूप में बढ़ावा देगा।
  • संविधान निर्माताओं द्वारा परिकल्पित उदारवाद दो प्रकार की स्वतंत्रता को मान्यता देता है: नकारात्मक उदारवाद (सरकारी हस्तक्षेप से स्वतंत्रता) और सकारात्मक उदारवाद (समानता की ओर सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए राज्य की कार्रवाई द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रता)।
  • भारत के संदर्भ में स्वतंत्रता के समय गहरी सामाजिक और आर्थिक असमानताओं के कारण  संविधान निर्माताओं का झुकाव सकारात्मक उदारवाद की ओर था।
  • संविधान निर्माताओं ने यह महसूस किया, कि जाति आधारित भेदभाव, व्यापक गरीबी और कम साक्षरता जैसी असमानताओं को दूर करने के लिए राज्य को सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
  • परिणामस्वरूप संविधान को सकारात्मक कार्रवाई (आरक्षण) और राज्य की नीति के निदेशक सिद्धांतों (DPSP) जैसे उपायों के माध्यम से राज्य को सकारात्मक रूप से कार्य करने के लिए सशक्त बनाने हेतु निर्मित किया गया था, जो धन के पुनर्वितरण, बेहतर सामाजिक कल्याण और असमानता को समाप्त करने का आह्वान करते हैं।

नोट : यह संविधान निर्माताओं के कल्याणकारी राज्य के निर्माण के दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करेगा बल्कि सभी नागरिकों, विशेष रूप से हाशिए पर व्याप्त और वंचित समूहों के कल्याण के लिए सक्रिय रूप से कार्य करेगा, जिससे एक अधिक समतावादी समाज का निर्माण होगा।

कल्याणकारी राज्य और समानता का निर्धारण

  • डी. एस. नाकारा एवं अन्य बनाम भारत संघ वाद (1982): इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान में निहित समाजवाद के सिद्धांत की पुनः पुष्टि की। 
    • न्यायालय ने इस बात पर बल दिया, कि समाजवाद का मूल उद्देश्य कार्यशील लोगों के लिए एक सभ्य जीवन स्तर और जन्म से लेकर मृत्यु तक सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है। 
  • एयर इंडिया स्टैच्युटरी कॉरपोरेशन बनाम यूनाइटेड लेबर यूनियन एवं अन्य  वाद (1996): न्यायालय ने दोहराया कि भारतीय संविधान के वैचारिक पहलू, विशेष रूप से प्रस्तावना, मौलिक अधिकार और नीति के निदेशक तत्त्व, का उद्देश्य एक समतावादी सामाजिक व्यवस्था स्थापित करना है । 
  • समथा बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामला (1997):  न्यायालय ने व्याख्या की, कि संविधान में ‘समाजवाद’ शब्द का अर्थ आय में असमानताओं को कम करना तथा समतावादी सामाजिक व्यवस्था बनाने के लिए समान अवसर और सुविधाएँ प्रदान करना है।
  • कर्नाटक राज्य बनाम श्री रंगनाथ रेड्डी मामला (1977): न्यायमूर्ति वी. आर. कृष्ण अय्यर ने  अनुच्छेद 39(b) की व्याख्या की और कहा, कि सार्वजनिक और निजी संसाधन सामुदायिक संसाधनों के दायरे में आते हैं । इससे असमानता को कम करने की दिशा में सामान्य हित के लिए संसाधनों के पुनर्वितरण की राज्य की शक्ति मजबूत हुई।

आर्थिक सुधारों के पश्चात् असमानताओं में वृद्धि

1990 के दशक में आर्थिक सुधार

  • नवउदारवादी नीतियों को अपनाना : 1990 के दशक में भारत ने नवउदारवादी आर्थिक नीतियों को अपनाया, जो बाजार संचालित अर्थव्यवस्था पर केंद्रित थीं 
  • सरकारी हस्तक्षेप में कमी : इन नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था में सरकारी हस्तक्षेप कम हो गया तथा अर्थव्यवस्था अधिक निजीकृत मॉडल की ओर अग्रसर हो गई 
  • निजी पूंजी निवेश को प्राथमिकता देना : सुधारों में विशेष रूप से प्रौद्योगिकी, वित्त और बुनियादी ढाँचे जैसे क्षेत्रों में निजी पूँजी निवेश को बढ़ावा देने पर बल दिया गया।
  • कल्याणकारी राज्य की प्रतिबद्धताओं में क्रमिक वापसी : नवउदारवादी नीतियों के भाग के रूप में कल्याणकारी राज्य के हस्तक्षेप में कमी आई , जिसके परिणामस्वरूप सामाजिक सुरक्षा और धन के पुनर्वितरण पर ध्यान सीमित हो गया।

आर्थिक सुधारों के परिणाम

बाजारोन्मुख अर्थव्यवस्था की ओर परिवर्तन के परिणामस्वरूप आय असमानता में धीरे-धीरे वृद्धि हुई, धन कुछ ही लोगों के हाथों में केंद्रित होता गया, जिससे सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ बढ़ती गईं।

असमानता के प्रलेखित रुझान

  1. लुकास चांसेल और थॉमस पिकेटी का शोध :
    • स्वतंत्रता-पूर्व : 1930 के दशक में शीर्ष 1% आय वाले लोगों के पास कुल आय का 21% हिस्सा था।
    • स्वतंत्रता पश्चात् : राज्य के हस्तक्षेप के कारण 1980 के दशक में यह घटकर 6% हो गया।
    • नवउदारवादी सुधारों के बाद : शीर्ष 1% की हिस्सेदारी 2022-23 तक तेजी से बढ़कर 22% हो जाएगी, जो स्वतंत्रता-पूर्व के स्तर को पार कर जाएगी।
  2. भारत में असमानता की स्थिति रिपोर्ट, 2022
    • इस रिपोर्ट के अनुसार शीर्ष 10% आय वाले लोगों की वार्षिक आय ₹3 लाख है।
    • शेष 90% जनसंख्या प्रति माह ₹25,000 से कम कमाती है, जिससे आय में भारी असमानता उजागर होती है।

असमानता का सामाजिक आयाम

  • भारत में असमानता केवल आर्थिक विषमताओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि जाति, लिंग, क्षेत्र और शिक्षा सहित सामाजिक पदानुक्रमों के साथ गहराई से जुड़ी हुई है । 
  • सामाजिक आयाम आर्थिक असमानता को बढ़ाता है, जिससे वंचित समूहों के लिए हाशिए पर जाने का चक्र प्रारंभ हो जाता है। 
  • वर्ष 2024 की रिपोर्ट “भारत में कर न्याय और धन पुनर्वितरण की ओर” के अनुसार :
    • अरबपतियों की 90% संपत्ति उच्च जातियों के पास है।
    • अनुसूचित जनजातियों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, अनुसूचित जातियों का केवल 2.6% तथा अन्य पिछड़ा वर्ग का केवल 10% प्रतिनिधित्व है।
    • 2014 से 2022 तक अरबपतियों की संपत्ति में ओबीसी की हिस्सेदारी 20% से घटकर 10% हो गई, जबकि उच्च जाति की हिस्सेदारी 80% से बढ़कर 90% हो गई।

निष्कर्ष

जबकि भारत ने लोकतंत्र, राजनीतिक भागीदारी और आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है, संविधान की समतावादी दृष्टि अभी भी चिंताजनक बनी हुई है। अनसुलझी सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ लोकतंत्र की स्थिरता के लिए खतरा हैं, जो वास्तविक समानता प्राप्त करने के लिए संविधान के आदर्शों के साथ नीतियों को पुनः संरेखित करने की तत्काल आवश्यकता को उजागर करती हैं।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

विश्लेषण कीजिए कि भारत की समतावादी समाज की संवैधानिक दृष्टि किस प्रकार बढ़ती आर्थिक असमानता और सामाजिक विषमताओं के साथ इसके अंतर्संबंध से चुनौतियों का सामना करती है। समकालीन भारत में उदारवादी सिद्धांतों को सामाजिक न्याय के साथ संतुलित करने में राज्य के हस्तक्षेप की भूमिका पर चर्चा कीजिए ।

(15 अंक, 250 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.