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भारत में चिकित्सा शिक्षा का वैश्वीकरण तथा संबंधित चिंताएँ

Lokesh Pal February 14, 2025 05:45 125 0

संदर्भ:

विश्व में चिकित्सा शिक्षा एक गंभीर स्थिति का सामना कर रही है। एक तरफ चिकित्सकों की कमी है, तो दूसरी तरफ सरकारें और यहाँ तक ​​कि चिकित्सा पेशेवर भी चिकित्सा शिक्षा को और अधिक सुलभ बनाने के प्रयासों का विरोध कर रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय मेडिकल विद्यार्थियों का उदय

  • संभावित अनुमान: यह जानना मुश्किल है कि कितने मेडिकल विद्यार्थी अपने देश से बाहर पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन अनुमान है कि यह संख्या 2,00,000 से अधिक है। 
  • संदिग्ध गुणवत्ता: इनमें से कई विद्यार्थी ऐसे देशों में पढ़ते हैं, जहाँ मेडिकल शिक्षा के मानकों पर सवालिया निशान हैं। उदाहरण के लिए, रूसी आक्रमण से पूर्व यूक्रेन में 24,000 विदेशी मेडिकल विद्यार्थी थे, जिनमें से कई भारत से थे।

भारत में चिकित्सा शिक्षा का संकट

  • विरोधाभासी स्थिति:  भारत में चिकित्सकों की भारी कमी है तथा मेडिकल स्कूल में जगह पाने के लिए प्रतिस्पर्धा बहुत ज़्यादा है।
    • प्रत्येक वर्ष लगभग 2.3 मिलियन विद्यार्थी राष्ट्रीय मेडिकल प्रवेश परीक्षा देते हैं, लेकिन 22 में से केवल एक विद्यार्थी ही भारत के 700 से ज़्यादा मेडिकल कॉलेजों में जगह बना पाता है।
    • नतीजतन, कई विद्यार्थी विदेश में चिकित्सा की पढ़ाई करना चाहते हैं।
  • विदेश में शिक्षा का विकल्प: प्रत्येक वर्ष 20,000 से अधिक भारतीय विद्यार्थी चिकित्सा की पढ़ाई करने के लिए विदेश जाते हैं। भारत के सरकारी कॉलेजों में सीमित सीटों और निजी कॉलेजों में ज़्यादा फीस के कारण, विदेश में पढ़ाई करना एक व्यावहारिक और किफ़ायती विकल्प बन गया है।
    • लोकप्रिय गंतव्य: भारतीय विद्यार्थियों के लिए लोकप्रिय गंतव्यों में रूस, यूक्रेन (युद्ध पूर्व), कज़ाख्स्तान, फिलीपींस, चीन, मॉरीशस और नेपाल शामिल हैं।
  • विदेश में भारतीय-नियंत्रित संस्थान: आकर्षक बात यह है, कि विदेशों में कुछ मेडिकल स्कूल भारतीय संगठनों द्वारा चलाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, नेपाल में मणिपाल कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज, देश का पहला निजी मेडिकल कॉलेज है, जिसकी स्थापना 1994 में बंगलूरू के मणिपाल एजुकेशन एंड मेडिकल ग्रुप (एमईएमजी) द्वारा की गई थी।
    • उदाहरण: अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ एंटीगुआ (एयूए) कॉलेज ऑफ मेडिसिन, एक कैरिबियन मेडिकल स्कूल है, जो मणिपाल ग्रुप का भी हिस्सा है।
  • यह भारतीय विद्यार्थियों की माँग को पूरा करने के लिए वैश्विक स्तर पर भारतीय शैक्षणिक संस्थानों के विस्तार की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाता है।

विदेश में अध्ययन संबंधी चुनौतियाँ

  • विदेश में अध्ययन करने से अवसर तो मिलते हैं, लेकिन साथ ही चुनौतियाँ भी सामने आती हैं, मुख्य रूप से उन भारतीय विद्यार्थियों के लिए जो भारत में चिकित्सा का अभ्यास करना चाहते हैं।
  • विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट परीक्षा उत्तीर्ण करना: जो विद्यार्थी विदेश में अपनी डिग्री पूरी करते हैं, उन्हें राष्ट्रीय लाइसेंसिंग परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है और भारत में मेडिकल इंटर्नशिप पूरी करनी होती है।

चिकित्सकों की कमी को दूर करने हेतु सरकारी प्रयास

  • फरवरी 2025 में भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में चिकित्सा शिक्षा के मुद्दे को संबोधित किया।
  • चिकित्सा सीटों में वृद्धि: उन्होंने घोषणा की, कि सरकार ने पिछले दशक में लगभग 1,10,000 स्नातक और स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा सीटों को सफलतापूर्वक जोड़ा है, जो लगभग 130% की वृद्धि है।
  • भविष्य की योजनाएँ: इसके अतिरिक्त, उन्होंने 2026 में 10,000 नई चिकित्सा सीटें शुरू करने की योजना और योग्य चिकित्सा पेशेवरों की बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए अगले पाँच वर्षों में 75,000 नई सीटें जोड़ने का लक्ष्य बताया।

विदेश में चिकित्सा अध्ययन का वैश्विक रुझान

  • भारत की स्थिति एक व्यापक वैश्विक प्रवृत्ति को दर्शाती है।
  • कई वर्षों से फ्रांस, जर्मनी और नॉर्वे जैसे पश्चिमी देशों के विद्यार्थी भी सीमित पहुँच के कारण पड़ोसी देशों में चिकित्सा अध्ययन कर रहे हैं।
  • रोमानिया, हंगरी और पोलैंड जैसे देश लोकप्रिय गंतव्य हैं, हंगरी और पोलैंड भी संयुक्त राज्य अमेरिका से चिकित्सा विद्यार्थियों को आकर्षित करते हैं।
  • हजारों अमेरिकी विद्यार्थी इन देशों के साथ-साथ आयरलैंड, कैरिबियन और यूके में भी चिकित्सा  अध्ययन करते हैं।

अनियमित मेडिकल स्कूल

  • लाभ-संचालित क्षेत्र: जबकि कई विद्यार्थी विदेश में चिकित्सा की पढ़ाई कर रहे हैं, यह व्यवस्था व्यापक तौर पर अनियमित है। कुछ मेडिकल स्कूल जो मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों को शिक्षा देते हैं, वे लाभ-संचालित संस्थान हैं।
  • अंग्रेज़ी पाठ्यक्रम वाले विद्यार्थियों को आकर्षित करना: ये स्कूल अक्सर पोलैंड और यूक्रेन जैसे गैर-अंग्रेज़ी भाषी देशों में संचालित होते हैं तथा उच्च शुल्क का भुगतान करने के इच्छुक विद्यार्थियों को आकर्षित करने के लिए अंग्रेज़ी भाषा में कार्यक्रम प्रदान करते हैं।
  • प्रभाव: इससे शिक्षा की गुणवत्ता और विद्यार्थियों को पर्याप्त प्रशिक्षण मिल रहा है या नहीं, इस संबंध  में चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।

निष्कर्ष

चिकित्सा शिक्षा का मुद्दा और भी अधिक दबावपूर्ण होता जा रहा है, मुख्य रूप से अत्यधिक जनसंख्या और योग्य चिकित्सकों की बढ़ती माँग के साथ। इन चुनौतियों का समाधान करने और यह सुनिश्चित करने के लिए अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, कि विश्व में चिकित्सा शिक्षा विद्यार्थियों और वैश्विक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली दोनों की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके।

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न 

विदेशों में चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने के लिए भारतीय विद्यार्थियों के बढ़ते प्रवाह से उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा कीजिए। भारत घरेलू माँग को पूरा करते हुए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए अपने चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में किस प्रकार सुधार कर सकता है?

(15 अंक, 250 शब्द)

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