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भारत में स्वास्थ्य बीमा तथा संबंधित आर्थिक और सामाजिक जोखिम

Lokesh Pal September 02, 2025 05:15 34 0

संदर्भ:

भोरे समिति की रिपोर्ट (1946) के अनुसार, सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल (UHC) का अर्थ है, सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल, चाहे उनकी भुगतान क्षमता कुछ भी हो।

  • लगभग आठ दशक बाद भी भारत मानव विकास के इस मूल लक्ष्य के कहीं भी निकट नहीं है।
  • आज यह भ्रम पैदा किया जा रहा है, कि स्वास्थ्य बीमा का विस्तार करके UHC को प्राप्त किया जा सकता है।

राज्य प्रायोजित स्वास्थ्य बीमा का विकास

  • PMJAY का परिचय: आयुष्मान भारत के तहत 2018 में शुरू की गई प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY), प्रति वर्ष प्रति परिवार ₹5 लाख का स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करती है।
  • राज्य स्तरीय कार्यक्रम: अधिकांश राज्यों ने अपने स्वयं के राज्य स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम (SHIP) शुरू किए हैं, जो एक सीमा तक PMJAY पर आधारित हैं।
  • PMJAY के तहत कवरेज: 2023-24 में, PMJAY ने लगभग ₹12,000 करोड़ के बजट के साथ 8 करोड़ व्यक्तियों को कवर किया।
  • SHIP के अंतर्गत कवरेज: राज्य स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रमों ने लगभग ₹16,000 करोड़ के संयुक्त बजट के साथ समान संख्या में लोगों को कवर किया।
  • कुल व्यय: दोनों योजनाओं का कुल बजट लगभग ₹28,000 करोड़ है, जो अपेक्षाकृत छोटा होने के बावजूद तेजी से बढ़ रहा है।
  • राज्य बजट में निरंतर वृद्धि: गुजरात, केरल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में 2018-19 से शिप बजट वास्तविक रूप से वार्षिक 8% से 25% की दर से बढ़ रहा है।

भारत की स्वास्थ्य बीमा योजनाओं से संबंधित प्रमुख मुद्दे

  • लाभ-प्राप्त चिकित्सा का प्रचार
    • निजी अस्पतालों का प्रभुत्व: PMJAY के बजट का लगभग दो-तिहाई भाग निजी, लाभ-उन्मुख अस्पतालों पर खर्च किया जाता है।
    • वास्तविक वृद्धि के बिना बदलाव: अध्ययनों से पता चलता है, कि इस योजना से अस्पताल में भर्ती होने की दर में वृद्धि नहीं हुई है, बल्कि मरीजों का रुझान निजी अस्पतालों की ओर बढ़ा है।
    • लाभ की मंशा का मुद्दा: चूँकि मजबूत विनियमन के बिना स्वास्थ्य देखभाल में लाभ का उद्देश्य समस्याग्रस्त है, इसलिए स्वास्थ्य बीमा इसे सुधारने की बजाय निजी क्षेत्र के प्रभुत्व को सुदृढ़ करता है।
  • अस्पताल में भर्ती होने की ओर झुकाव
    • आंतरिक रोगी देखभाल: स्वास्थ्य बीमा योजनाएँ मुख्य रूप से आंतरिक रोगी देखभाल को कवर करती हैं, जबकि प्राथमिक और बाह्य रोगी देखभाल की उपेक्षा की जाती है।
    • प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपेक्षा: अस्पताल में भर्ती पर इस तरह का ध्यान सुलभ, कम लागत वाली प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश के मामले को कमजोर करता है
    • वृद्धों को शामिल करने से जोखिम: PMJAY में वृद्ध नागरिकों को शामिल करने से बढ़ती उम्र की आबादी के साथ, महंगी तृतीयक देखभाल के लिए धन का अनुचित रूप से उपयोग हो सकता है।
  • उच्च कवरेज के बावजूद कम उपयोग
    • आधिकारिक कवरेज दावे: आधिकारिक आँकड़े बताते हैं, कि लगभग 80% आबादी PMJAY और राज्य स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम (SHIP) के अंतर्गत शामिल है।
    • वास्तविक उपयोग दर: हालाँकि, सर्वेक्षणों से पता चलता है कि 2022-23 में केवल 35% बीमित अस्पताल रोगी ही वास्तव में अपने बीमा लाभों का उपयोग करने में सक्षम थे।
    • कम उपयोग के कारण: कम उपयोग का कारण अपर्याप्त जागरूकता और प्रक्रियागत बाधाएँ हैं, विशेष रूप से वंचित समूहों के लिए।
  • मरीजों के बीच भेदभाव
    • निजी अस्पताल पूर्वाग्रह: निजी अस्पताल गैर-बीमित मरीजों को प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि वे बीमा प्रतिपूर्ति की तुलना में अधिक शुल्क वसूल सकते हैं।
    • सार्वजनिक अस्पताल पूर्वाग्रह: सार्वजनिक अस्पताल बीमाकृत मरीजों को प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि उन्हें उनके उपचार के लिए प्रतिपूर्ति मिलती है।
    • परिणामी असमानता: इस दोहरे व्यवहार के परिणामस्वरूप बीमित और गैर-बीमित दोनों प्रकार के रोगियों के विरुद्ध भेदभाव होता है तथा कभी-कभी तत्काल बीमा में नामांकन कराने का दबाव भी उत्पन्न होता है।
  • प्रदाता शिकायतें
    • कम दरों की शिकायतें: कई अस्पताल इन बीमा योजनाओं के तहत कम प्रतिपूर्ति दरों की शिकायत करते हैं।
    • भुगतान में देरी: इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि उन्हें भुगतान प्राप्त करने में लंबी देरी का सामना करना पड़ता है, अकेले PMJAY के तहत लंबित बकाया राशि ₹12,161 करोड़ है, जो इसके वार्षिक बजट से अधिक है।
    • अस्पतालों का बाहर होना: PMJAY की शुरुआत से अब तक 609 अस्पतालों ने इससे अपना नाम वापस ले लिया है।
  • भ्रष्टाचार और दुरुपयोग
    • धोखाधड़ी गतिविधियाँ: राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने PMJAY के अंतर्गत धोखाधड़ी गतिविधियों के लिए 3,200 अस्पतालों को चिह्नित किया है।
    • अनियमितताओं के प्रकार: रिपोर्ट से पता चलता है, कि अनियमितताओं में उपचार से इनकार करना, बीमित मरीजों से अतिरिक्त शुल्क लेना, तथा योजना का लाभ उठाने के लिए अनावश्यक प्रक्रियाएँ करना शामिल है।
    • कमज़ोर निगरानी: कमजोर निगरानी तंत्र और पारदर्शिता की कमी, जो प्रकाशित लेखापरीक्षा रिपोर्ट्स के अभाव में परिलक्षित होती है, ऐसे दुरुपयोगों को जारी रहने देती है।

बड़े संरचनात्मक मुद्दे

  • लाभ-संचालित प्रणाली: भारत की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली लाभ-संचालित है, क्योंकि सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में लगातार कम निवेश किया जाता रहा है।
  • कम सार्वजनिक व्यय: विश्व बैंक के नवीनतम विश्व विकास संकेतकों के अनुसार, 2022 में भारत में स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय अभी भी सकल घरेलू उत्पाद का 1.3% ही रहेगा, जबकि विश्व औसत 6.1% है।
  • अस्थायी समाधान: स्वास्थ्य बीमा योजनाएँ प्रणालीगत समस्याओं के लिए अस्थायी निवारक के रूप में कार्य करती हैं, जिनके लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना में गहन सुधार की आवश्यकता होती है।

वैश्विक परिदृश्य

  • सफल वैश्विक मॉडल: कनाडा और थाईलैंड जैसे देश अपने UHC ढाँचे के हिस्से के रूप में सामाजिक स्वास्थ्य बीमा का सफलतापूर्वक उपयोग करते हैं।
    • ये मॉडल इसलिए कारगर हैं,क्योंकि ये सार्वभौमिक कवरेज सुनिश्चित करते हैं और गैर-लाभकारी प्रदाताओं पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं।
  • भारत का अंतर: भारत की PMJAY और SHIP में ये महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ नहीं हैं तथा इसलिए वे UHC को प्रभावी ढंग से प्रदान नहीं कर सकते हैं।
    • बीमा-संचालित देखभाल सीमाएँ: भारत बीमा-संचालित निजी स्वास्थ्य देखभाल की नींव पर UHC सुनिश्चित नहीं कर सकता।

आगे की राह

  • अधिक निवेश की आवश्यकता: देश को स्वास्थ्य सुविधाओं में सार्वजनिक निवेश में पर्याप्त वृद्धि करनी चाहिए तथा प्राथमिक देखभाल सेवाओं को सुदृढ़ बनाना चाहिए।
  • जवाबदेही की आवश्यकता: जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए मजबूत विनियमन, बेहतर पारदर्शिता और मजबूत निगरानी तंत्र आवश्यक हैं।

निष्कर्ष

इस कमी को दूर करने तथा सार्वजनिक क्षेत्र में स्वास्थ्य देखभाल मानकों में परिवर्तन लाने के गंभीर प्रयास के बिना UHC को प्राप्त नहीं किया जा सकता। कुछ भारतीय राज्य इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, जिसके परिणाम उत्साहजनक हैं, लेकिन अभी भी व्यापक समस्याएँ विद्यमान हैं। स्वास्थ्य बीमा उस प्रणाली के लिए एक दर्द निवारक से अधिक कुछ नहीं है, जिसे उचित उपचार की आवश्यकता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ (PMJAY) और राज्य स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रमों ने वित्तीय सुरक्षा का विस्तार किया है, लेकिन भारत में समग्र स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने के लिए ये कार्यक्रम अपर्याप्त हैं। सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) के मार्ग के रूप में स्वास्थ्य बीमा की भूमिका का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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