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भारत जापान से आगे निकलकर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना

Lokesh Pal May 29, 2025 05:30 23 0

संदर्भ:

हाल ही में नीति आयोग के सीईओ (CEO) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में अपना स्थान दर्ज कराया है।भारत की इस उपलब्धि को आईएमएफ (IMF) की विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट के द्वारा भी प्रमाणित किया है

  • यह घोषणा विकसित राज्य के लिए विकसित भारत 2047 पर 10वीं नीति आयोग संचालन परिषद की बैठक के प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान की गई।
  • जैसा कि भारत की इस उपलब्धि को आईएमएफ (IMF) की विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट के द्वारा भी प्रमाणित किया है। इसके मुताबिक भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और जर्मनी के बाद चौथे स्थान पर है, जिसका कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) लगभग $4.19 ट्रिलियन है

संवेदनशील स्थिति से महाशक्ति तक की यात्रा:

  • 2013: भारत मॉर्गन स्टेनली के पाँच संवेदनशील देशों में शामिल था।
    • भारत के सामने चुनौतियाँ: उच्च मुद्रास्फीति, मुद्रा का गिरता स्तर और चालू खाता घाटा (CAD)।
  • 2014 के बाद: सुधारों के जरिए आर्थिक स्थिरता प्राप्त हुई और भारत अब विश्व का एक प्रमुख निवेश केंद्र बन चुका है।

भारत की आर्थिक उन्नति के पीछे के प्रमुख कारक:

  • सेवा क्षेत्र: सेवा क्षेत्र (आईटी, फिनटेक, बीपीओ बूम) के नेतृत्व में वृद्धि।
  • डिजिटल क्रांति: यूपीआई (UPI), स्मार्टफोन और इंटरनेट पहुंच में वृद्धि।
  • युवा जनसंख्या: युवा जनसंख्या मांग और कार्यबल को बढ़ावा देती है।
  • बुनियादी संरचना का विकास: निवेश और व्यवसाय अनुकूल सुधार जैसे व्यापार समर्थक सुधारों ने निवेशकों का विश्वास मजबूत किया है।
    •  भारत चीन-प्लस-वन विनिर्माण रणनीति में एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में सामने आया है।
  • प्रति व्यक्ति आय में दोगुनी वृद्धि: वर्तमान आकड़ों के मुताबिक प्रति व्यक्ति आय लगभग दोगुनी होकर $1,438 (2013-14) से बढ़कर $2,880 (2025) हो गई है।

भारत के समक्ष मौजूदा चुनौतियाँ:

  • आय की असमानता: आर्थिक वृद्धि के बावजूद, संपत्ति का वितरण असमान है, जिससे अमीर और गरीब के बीच की खाई, विशेषकर कोविड के बाद, और भी अधिक बढ़ गई है।
    •  सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में वृद्धि का अर्थ यह नहीं है कि सभी नागरिकों को समान विकास या जीवन की बेहतर गुणवत्ता सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं।
  • प्रति व्यक्ति आय का निम्न स्तर: भारत की प्रति व्यक्ति आय अभी भी $14,005 की उच्च आय सीमा से काफी नीचे है, जो इसकी वैश्विक आर्थिक स्थिति को सीमित करती है।
  • यह अभी भी जर्मनी ($51,000) और अमेरिका ($85,000) से पीछे है और निम्न मध्यम आय वर्ग में शामिल है।
  • शहरी-ग्रामीण विभाजन: शहरी और ग्रामीण आबादी के बीच अवसरों और सेवाओं की पहुँच में भारी असमानता है।
  • क्षेत्रीय असंतुलन: कुछ क्षेत्र विकास में पिछड़े हुए हैं, जिससे देश की संतुलित प्रगति में बाधा आती है।
    •  उदाहरण: मुंबई में प्रति व्यक्ति आय ₹6 लाख है जबकि बिहार में यह मात्र ₹55,000 है।
  • गुणवत्तापूर्ण सेवाओं की पहुँच का अभाव: लाखों भारतीय अब भी गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और रोजगार तक पहुँचने में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।

भारत की स्थिति को सुधारने के लिए आवश्यक उपाय:

  • मानव संसाधन में निवेश करना: शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और कौशल विकास को सशक्त बनाकर प्रत्येक नागरिक को सार्थक रूप से सशक्त बनाना चाहिए।
    •  उदाहरण: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और आयुष्मान भारत योजना के प्रभावी क्रियान्वयन से शिक्षा और स्वास्थ्य के दीर्घकालिक परिणामों में सुधार किया जा सकता है।
  • कौशल विकास: भारत की 65% से अधिक जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है, ऐसे में युवाओं को रोजगार योग्य कौशल प्रदान करना आवश्यक है।
    •  उदाहरण: आकांक्षी जिलों का अनुभव यह दर्शाता है कि शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से पिछड़े क्षेत्रों में सकारात्मक परिवर्तन सुनिश्चित किया जा सकता है।
  • सामाजिक सुरक्षा: वृद्ध होती जनसंख्या और असंगठित क्षेत्रों की प्रधानता के चलते सामाजिक सुरक्षा अत्यंत आवश्यक हो गई है। ई-श्रम और प्रधानमंत्री श्रम योगी मान धन (PM-SYM) जैसी योजनाओं का विस्तार और एकीकरण किया जाना चाहिए, ताकि एक मजबूत सुरक्षा कवच प्रदान किया जा सके।
  • संपत्ति का वितरण: देश में सभी वर्गों व समुदायों तक संपत्ति का वितरण संपत्ति सृजन के अनुरूप होना चाहिए। विकास का लाभ सभी को मिलना चाहिए, इसके लिए प्रगतिशील कर प्रणाली, लक्षित कल्याण योजनाएं और समावेशी नीतियाँ अपनाना आवश्यक हैं, ताकि आदिवासी, ग्रामीण और महिलाओं को मुख्यधारा में लाकर असमानता को कम कर सके।
    •  उदाहरण: दंतेवाड़ा (छत्तीसगढ़) जो कभी संघर्ष के लिए प्रसिद्ध था, ने शिक्षा, कौशल विकास और आजीविका कार्यक्रमों में विशेष निवेश के माध्यम से सकारात्मक परिवर्तन का प्रदर्शन किया है।

निष्कर्ष:

अतः भारत को समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, कौशल विकास और सामाजिक सुरक्षा में तात्कालिक सुधारों की आवश्यकता है। इसके साथ ही विकास और समानता के बीच संतुलन बनाना भी आवश्यक है, ताकि देश की समग्र प्रगति का लाभ प्रत्येक नागरिक को मिल सके

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न. भारत ने हाल ही में जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का गौरव हासिल किया है। घरेलू संरचनात्मक सुधारों और वैश्विक आर्थिक पुनर्संरेखण के संदर्भ में इस विकास के प्रमुख प्रेरक तत्वों का विश्लेषण करें। इस गति को बनाए रखने के लिए कौन से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सबक अपनाए जा सकते हैं? व्याख्या कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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