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पाकिस्तान-बांग्लादेश संबंध : भारत के लिए एक रणनीतिक चिंता का विषय

Lokesh Pal February 26, 2025 05:30 15 0

संदर्भ:

हाल ही में पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) निदेशालय के चार शीर्ष अधिकारी अपने बांग्लादेशी समकक्षों के साथ वार्ता के लिए ढाका गए

पाकिस्तान-बांग्लादेश संबंध

  • राजनयिक संबंध: इस हालिया यात्रा के बाद बांग्लादेशी सैन्य प्रतिनिधिमंडल के छह सदस्यीय दल ने पाकिस्तान का दौरा किया। 
    • यह 2009 के बाद ISI की बांग्लादेश की पहली यात्रा थी, इसके पूर्व की  सार्वजनिक यात्रा 1989 में हुई थी।
    • पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों पर चर्चा करने के लिए बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस से दो बार मुलाकात की।
  • विकास: बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच संबंधों में सुदृढ़ता देखी गई है, जो भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव के साथ मेल खाती है।
  • नौसैनिक अभ्यास: हाल ही में एक बांग्लादेशी युद्धपोत ने कराची तट पर पाकिस्तान द्वारा आयोजित बहुराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास में भाग लिया।
  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: हिंसक मुक्ति आंदोलन के बावजूद, पाकिस्तान ने 1971 के बाद बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों में तेजी से सुधार किया।
    • बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की सरकार (1991-1996 और 2001-2006) में, पाकिस्तान के साथ महत्त्वपूर्ण राजनयिक आदान-प्रदान हुए।
    • इस अवधि के दौरान पाकिस्तान से जुड़ी कुछ गुप्त गतिविधियों का भारत पर प्रभाव पड़ा।

भारत के लिए निहितार्थ

  • उत्तर-पूर्व में उग्रवाद: पाकिस्तान की ISI ने ऐतिहासिक रूप से पूर्वी पाकिस्तान  में स्थित ठिकानों का उपयोग करके भारत में अलगाववादी आंदोलनों का समर्थन किया है।
    • इतिहासकार हैंस कीसलिंग के अनुसार, ISI 1950 के दशक से नागा विद्रोह को समर्थन दे रही है।
    • 1990-2000 के दशक में ISI ने अपने ढाका दूतावास के माध्यम से ULFA, मिजो, मणिपुरी और त्रिपुरा अलगाववादियों को सक्रिय रूप से सहायता प्रदान की।
  • घुसपैठ: ISI ने भारत में घुसपैठ करने के लिए भारत-बांग्लादेश सीमा का भी प्रयोग किया, जिससे आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा मिला। 
    • उदाहरण: जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को 1993 में गिरफ्तार किया गया था, जिसे 1999 में आईसी-814 अपहरण के बाद रिहा कर दिया गया।
  • सुरक्षा उपाय: भारत ने घुसपैठ रोकने के लिए 2000 के दशक के मध्य में बांग्लादेश सीमा पर बाड़ लगाने की पहल की। 
    • हालाँकि, नदी तटीय क्षेत्र के कारण सीमा की पूर्ण सुरक्षा कठिन हो जाती है।
  • शेख हसीना का शासन: शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार ने आतंकवाद के नियंत्रण के लिए महत्त्वपूर्ण कदम उठाए, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा को लाभ हुआ।
  • सैन्य आदान-प्रदान: उच्च स्तरीय सैन्य आदान-प्रदान से रक्षा सहयोग में वृद्धि हो सकती है। बंगाल की खाड़ी में संयुक्त नौसैनिक अभ्यास संभव है।
  • हथियारों की आपूर्ति: पाकिस्तान द्वारा बांग्लादेश को अब्दाली बैलिस्टिक मिसाइलों की आपूर्ति का जोखिम।
  • भारत का मुकाबला: भारत पर निर्भरता कम करने की बांग्लादेश की रणनीति, दिल्ली का मुकाबला करने के पाकिस्तान के लक्ष्य के अनुरूप है।
  • आर्थिक चिंताएँ: भारत-बांग्लादेश व्यापार लगभग $15 बिलियन का है, जो बांग्लादेश-पाकिस्तान व्यापार  से काफी अधिक है।
    • आर्थिक साझेदारी के विविधीकरण से बांग्लादेश की भारत पर निर्भरता कम हो सकती है। 
  • क्षेत्रीय नीति पर प्रभाव: बिम्सटेक में बांग्लादेश की केंद्रीय भूमिका तथा सार्क के लिए भारत का विकल्प। संबंधों में गिरावट भारत की क्षेत्रीय आर्थिक पहल को कमजोर कर सकती है।
  • चीन के साथ गठबंधन: चीन बांग्लादेश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और प्रमुख बुनियादी ढाँचा निवेशक है। चीन बांग्लादेश की सेना को हथियारों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। 
    • पाकिस्तान-चीन गठबंधन, दक्षिण एशिया में भारत के प्रभाव को कम करने के लिए बांग्लादेश का लाभ उठा सकता है।

आगे की राह

  • राजनीतिक अनिश्चितता से निपटना: अवामी लीग को किनारे कर दिया गया तथा बीएनपी भारत के साथ वार्ता के लिए तैयार है। जमात-ए-इस्लामी जैसे भारत विरोधी गुटों की उपस्थिति, जो हाल ही में हसीना विरोधी विद्रोह के बाद पुनः प्रासंगिक हो गए हैं।
  • सीमा सुरक्षा: घुसपैठ और सीमापार खतरों को रोकना।
  • आतंकवाद-रोधी सहयोग: गोपनीय सूचना साझाकरण और सुरक्षा सहयोग।
  • द्विपक्षीय संबंधों का प्रबंधन: बिना किसी शत्रुता के संबंध निर्माण तथा अंतरिम सरकार के साथ कूटनीतिक वार्ता।
  • भारत विरोधी भावनाओं को संबोधित करना: ढाका को हिंदू अल्पसंख्यकों की रक्षा करनी चाहिए और गलत सूचनाओं के प्रसार को रोकना चाहिए।
  • वैश्विक साझेदारों से लाभ: बांग्लादेश के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों– अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ को शामिल करना तथा क्षेत्रीय प्रभाव बनाए रखने के लिए आर्थिक कूटनीति का उपयोग।

निष्कर्ष

स्पष्ट है कि भारत को बांग्लादेश में पाकिस्तान को अनुचित प्रभाव प्राप्त करने से रोकने के लिए एक रणनीतिक, बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना होगा, साथ ही सुरक्षा, आर्थिक संबंध और कूटनीतिक पहुँच में संतुलन बनाना होगा।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

पाकिस्तान-बांग्लादेश के बढ़ते संबंधों का दक्षिण एशिया में भारत के रणनीतिक हितों पर पड़ने वाले प्रभावों का परीक्षण कीजिए। रणनीतिक, आर्थिक और भू-राजनीतिक आयामों के माध्यम से इस घटनाक्रम का विश्लेषण कीजिए तथा भारत की प्रतिक्रिया के लिए एक व्यापक रूपरेखा सुझाइए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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