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उग्रवाद की राजनीति, नक्सलवाद का पतन

Lokesh Pal August 16, 2025 05:00 8 0

संदर्भ:

9/11 के हमलों के बाद शुरू किए गए संयुक्त राज्य अमेरिका के आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध” से आतंकवाद का पूर्ण रूप से उन्मूलन नहीं हो पाया है, तथा वैश्विक स्तर पर “कॉपी-कैट हत्याएं” और लोन-वोल्फ हमले जारी हैं, जो अक्सर इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी समूहों द्वारा समर्थित होता हैं।

  • इसके विपरीत, भारत अपनी सबसे लंबे समय से चली आ रही आंतरिक सुरक्षा से संबंधित चुनौती, नक्सलवाद को दृढ़तापूर्वक तथा निर्णायक रूप से पराजित करने के कगार पर खड़ा है।
  • केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 2026 के मध्य तक नक्सली हिंसा का अंत हो जाएगा।

नक्सलवाद की उत्पत्ति और विकास का चरण

  • नक्सलवाद की उत्पत्ति: नक्सलवाद 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी विद्रोह से उभरा।
    • इससे मुख्य रूप से “लाल गलियारे”, अर्थात छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, केरल, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश तथा आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कुछ हिस्से प्रभावित हुए।
  • विद्रोह का कारण: इस विद्रोह में किसानों और आदिवासियों ने, जिनकी जमीनें जमींदारों द्वारा जब्त कर ली गई थीं, “भूमि उसी की है जो उसे जोतता है” जैसे प्रभावशाली नारे के तहत हथियार उठाये।।
  • वैचारिक संबंध: यह विचारधारा माओवाद से गहराई से प्रभावित थी, जो चुनावी प्रक्रियाओं के बजाय सत्ता पर कब्ज़ा करने के साधन के रूप में हिंसा का समर्थन करते थे।
  • अग्रणी नेता: चारु मजूमदार, सत्यनारायण सिंह, कोंडापल्ली सीतारामैया और कानू सान्याल जैसे नेताओं ने माओत्से तुंग से प्रेरित होकर, “चीन का चेयरमैन हमारा चेयरमैन है” नारे का प्रचार करते हुए आंदोलन का नेतृत्व किया।
  • युवाओं को आकर्षित किया: इस आंदोलन ने युवाओं, बुद्धिजीवियों और गरीबों का अपार समर्थन प्राप्त किया।
  • क्रांतिकारी प्रेरणा: उस समय के नायक क्रांतिकारी थे जैसे चीन के चेयरमैन माओ, वियतनाम के हो-ची-मिन्ह और दक्षिण अमेरिका के चे-ग्वेरा आदि।

नक्सलवाद के पतन के प्रमुख कारक:

  • सतत सुरक्षा अभियान: भारतीय सुरक्षा बलों ने नक्सली समूहों के विरुद्ध सतत एवं आक्रामक अभियान जारी रखा है।
    • ऑपरेशन समाधान नक्सली समूहों पर बहुआयामी दबाव बनाने में सफल रही।
    • SAMADHAN:
      • कुशल नेतृत्व,
      • आक्रामक रणनीति,
      • अभिप्रेरणा और प्रशिक्षण,
      • अभियोज्य गुप्तचर व्यवस्था,
      • कार्ययोजना आधारित प्रदर्शन सूचकांक एवं परिणामोन्मुखी क्षेत्र,
      • कारगर प्रौद्यौगिकी,
      • प्रत्येक रणनीति की कार्ययोजना, और
      • नक्सलियों के वित्त-पोषण को विफल करने की रणनीति
    • इस अथक दबाव के परिणामस्वरूप नक्सलियों को व्यापक स्तर पर क्षति का सामना करना पड़ा
    • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने स्वयं यह पुष्टि की है कि पिछले वर्ष सुरक्षा बलों के साथ हुए मुठभेड़ में उसके 357 कार्यकर्ता मारे गए, जिनमें एक तिहाई से अधिक महिलाएं भी शामिल थीं।
  • नेतृत्व संकट: प्रमुख नक्सली नेताओं के खात्मे, गिरफ्तारी या वृद्धावस्था के कारण एक गंभीर शून्यता उत्पन्न हो गई।
  • सिकुड़ता क्षेत्र: लाल गलियारा का विशाल क्षेत्र अब काफी सिकुड़ गया है।
    • नक्सलवाद अब मुख्यतः छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा और आंध्र प्रदेश की सीमाओं से लगे दंडकारण्य क्षेत्र के कुछ जिलों तक ही सीमित रह गया है।
  • जन समर्थन की कमी: नक्सलियों द्वारा विकास कार्यों में सक्रिय रूप से बाधा डालने (स्कूलों और सड़कों को ध्वस्त करना और जबरन वसूली में शामिल होना) के कारण जन समर्थन में भारी गिरावट देखी गई है। उनकी छवि एक क्रांतिकारी व्यक्ति से एक सामान्य अपराधी में बदल गई है, जिससे आम जनता के बीच उनकी लोकप्रियता कम होती जा रही है।
  • विकास एक हथियार के रूप में:
    • भारत सरकार ने रणनीतिक रूप से विकास को आतंकवाद विरोधी उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया।
    • आकांक्षी जिला कार्यक्रम जैसी पहलों का उद्देश्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में प्रगति को बढ़ावा देने पर केन्द्रित था।
    • नई सड़कों, स्कूलों, अस्पतालों और मोबाइल टावरों के निर्माण से स्थानीय लोगों को पहली बार विकास के लाभों का अनुभव करने का अवसर प्राप्त हुआ।
      • इसके कारण उन्हें नक्सलवादियों से समर्थन वापस लेना पड़ा, क्योंकि उन्हें अब यह महसूस होने लगा है कि उग्रवाद प्रगति में बाधा डाल रहा है।
    • रोशनी योजना जैसी योजनाएं, जो वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करती हैं, ने स्थानीय समुदायों को मुख्यधारा में एकीकृत किया।

नक्सलवाद से निपटने में भारत का दृष्टिकोण बनाम अमेरिका का ‘आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध’

  • अमेरिका ने अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) जैसे बाह्य खतरों को निशाना बनाया, जिसका एकमात्र उद्देश्य अमेरिका को अस्थिर करना था।
    • उनके ऑपरेशन मुख्यतः उनकी सीमाओं के बाहर, सोमालिया, यमन और अफगानिस्तान जैसे देशों में संचालित किये गये।
    • अमेरिका ने क्रूर बल, ड्रोन और व्यापक स्तर पर बमबारी का प्रयोग किया।
  • इसके विपरीत, भारत की लड़ाई नक्सलवादियों के विरुद्ध थी, जो उसके अपने नागरिक हैं, लेकिन गुमराह हैं।
    • यह लड़ाई भारत के संप्रभु क्षेत्र के भीतर हुई।
    • भारत की रणनीति सूक्ष्म थी, जिसमें “मखमली दस्ताने में लोहे की मुट्ठी” का दृष्टिकोण अपनाया गया, तथा बल को करुणा के साथ जोड़ा गया।
    • सुरक्षा बलों ने सख्त जांच और संतुलन की प्रक्रिया के साथ कार्य किया, मानव अधिकारों को कायम रखा और अत्यधिक क्रूर बल का प्रयोग करने से परहेज किया
    • नक्सलवादियों को आंतरिक तत्व मानने वाला यह संतुलित दृष्टिकोण भारत की सफलता की कुंजी है।

 नया शब्द: ‘शहरी नक्सली’

  • ‘शहरी नक्सल’ शब्द का प्रयोग समकालीन विमर्श में, प्रायः गलत तरीके से, सरकारी नीतियों के प्रति बौद्धिक विरोध को दर्शाने के लिए किया जाता है।
    • मूल नक्सलवादी ग्रामीण पृष्ठभूमि के, सशस्त्र क्रांतिकारी थे जो गांवों और जंगलों में रहते थे, पुलिस के साथ सीधे टकराव में लगे रहते थे, और राज्य को उखाड़ फेंकने के लिए एक स्पष्ट मार्क्सवादी-लेनिनवादी-माओवादी दर्शन से प्रेरित थे।
    • हाल के दिनों में, “शहरी नक्सल” का उपयोग अक्सर उन शहरी बुद्धिजीवियों के लिए किया जाता है जो सरकारी नीतियों के विरुद्ध असहमति या आलोचना व्यक्त करते हैं, लेखन में संलग्न होते हैं, या विरोध प्रदर्शनों में भाग लेते हैं।
  • दुरुपयोग का खतरा: हालांकि कुछ लोग शहरी क्षेत्रों के नक्सलवादियों का वैचारिक समर्थन कर सकते हैं, लेकिन सभी/किसी भी आलोचक को “शहरी नक्सल” करार देना समस्या उत्पन्न कर सकता है।
    • लोकतंत्र में असहमति और सरकार की आलोचना करना मौलिक अधिकार हैं, आतंकवादी कृत्य नहीं
    • इस तरह के गलत उपनाम से न केवल भय का माहौल बनता है, बल्कि वैध विरोध और वास्तविक चरमपंथी समर्थन के बीच की रेखा के धुंधली होकर वास्तविक खतरों से ध्यान भटकने का भी खतरा होता है। इस शब्द का प्रयोग सावधानीपूर्वक और विवेकपूर्ण ढंग से करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

भारत की अपनी “सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौती” से निपटने से लेकर नक्सलवाद के आसन्न उन्मूलन तक की यात्रा, इसकी व्यापक और संतुलित उग्रवाद-रोधी रणनीति का प्रमाण है, जिसमें मजबूत सुरक्षा अभियानों को सतत विकास पहलों और मानवीय तत्व की सूक्ष्म समझ के साथ जोड़ा गया है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: नक्सलवाद, जिसे कभी भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती माना जाता था, अब अपने अंतिम चरण में है। इस बदलाव के लिए जिम्मेदार बहुआयामी रणनीति का विश्लेषण कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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