100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हेतु तीव्र आर्थिक विकास की योजना

Lokesh Pal August 08, 2024 05:00 115 0

संदर्भ: 

हाल ही में सरकार द्वारा स्वतंत्रता के शताब्दी समारोह 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, इसके लिए नीति आयोग द्वारा एक उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था का महत्वाकांक्षी मसौदा तैयार किया गया है जिससे यह मुद्दा चर्चा में बना हुआ है। 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: श्रम बल भागीदारी दर, एशियाई टाइगर्स, आदि।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: मध्यम आय जाल, भारत के विकास में औद्योगिक समूहों की भूमिका, 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हेतु आवश्यक कदम एवं चुनौतियाँ आदि।

30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था तक पहुंचने के लिए आर्थिक विकास :

  • वर्तमान समय में भारत की GDP विकास दर 7% से अधिक है। भारत आज विश्व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इसके विकास की गाथा में 21वीं सदी को ‘भारत की सदी’ होने जैसी भविष्यवाणियों को पुष्ट करने के लिए दोहराया जा सकता है।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था के वर्तमान विकासशील परिदृश्य के मद्देनजर इसे विकसित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करने के लिए तीव्र आर्थिक विकास अपरिहार्य है। 
  • हालाँकि, अनेक प्रयासों के बावजूद भी विश्व के अधिकांश देश अंतिम मील तक जाने और विकसित राष्ट्र के रूप में उभरने में असफल रहे हैं, परंतु भारत को एक नीतिगत प्रयास के तहत अग्रसर होने की आवश्यकता है। 
  • भारत को ऐसी स्थिति से बचने के लिए तथा सरकार द्वारा परिकल्पित 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए, हमें निजी क्षेत्र का उपयोग करने वाली उदार आर्थिक नीतियों पर आधारित तीव्र आर्थिक विकास को निरंतर जारी रखना होगा।
  • यद्यपि इस प्रयास में, कुछ आर्थिक विश्लेषक देश की आय असमानता पर चिंता व्यक्त करेंगे परंतु एक संतुलित दृष्टिकोण के साथ प्रभावित हुए वगैर हमें आगे बढने की आवश्यकता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर उदारीकरण के प्रभाव 

  • भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले सबसे अहम कारकों में सुधार हेतु गरीबी उन्मूलन और जीवन स्तर में सुधार के लिए आर्थिक विकास सबसे प्रभावी साधन है। 
  • स्वतंत्रता से लेकर 1991 तक, गरीबी कम करने पर जोर देने वाली समाजवादी नीतियों के बावजूद भारत की गरीबी दर लगभग 50% पर बनी रही।
  • हालाँकि, उदारीकरण के बाद वर्ष 1991 से 2011 के बीच गरीबी दर लगभग 20% तक गिर गयी। 
  • इस अवधि के दौरान भारत की वृद्धि ने 35 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला।
  • वर्ष 1990 के दशक के आर्थिक सुधारों के परिणाम सकारात्मक रहे। इसके परिणामस्वरूप वर्ष 2000-10 के दौरान भारत के आर्थिक विकास का नेतृत्व आईटी सेवाओं ने किया, जिसने एक समृद्ध मध्यम वर्ग को जन्म दिया। 

श्रम शक्ति भागीदारी  

  • हालाँकि, हमारी लगभग 46% श्रम शक्ति कृषि गतिविधियों में संलग्न है, जो देश की निम्न उत्पादकता और अल्प-रोज़गार की विशेषता है। देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में इस क्षेत्र का योगदान भी केवल 18% है। 
  • तेजी से विकास करने वाले देशों में देखी गई प्रवृत्ति के बाद भारत की एक और असंगति अपर्याप्त महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर (FLFPR) है – जो केवल 37% है।
  • हालांकि इस आँकड़े पर विश्वास करना कठिन है क्योंकि 2019 में ही यह आंकड़ा 26% था, और कोविड-19 के बाद, अनेक महिलाओं के कृषि मजदूर के रूप में काम पर वापस जाने से आँकड़े में गिरावट स्वाभाविक रूप से दर्ज होनी चाहिए थी। 
  • यदि इसकी तुलना चीन, वियतनाम और जापान के FLFPR से करें, जो 60%-70% के बीच है, तो हमें ज्ञात होगा कि हमारी स्थिति कहां व कैसी होनी चाहिए।

भारत की कार्यशील आयु वाली जनसंख्या की क्षमता:

  • वर्तमान में, भारत की कार्यशील आयु वाली जनसंख्या की संख्या 950 मिलियन है, और इनमें से भी केवल आधी आबादी की ही रोजगार के अवसरों तक पहुंच है। अतः देश के समक्ष यह सबसे बड़ी समस्या है कि वह इस आबादी की क्षमता का उपयोग कैसे करे जिससे रोजगार समानता भी सुनिश्चित हो सके। 
  • दक्षिण कोरिया, ताइवान, जापान और वियतनाम जैसे विकासशील देशों ने कौशल विकास योजनाओं, रोजगार-प्रधान विनिर्माण तथा निर्यात पर अधिक ध्यान दिया, जिससे इन्हें ‘एशियाई टाइगर्स’ कहा जाने लगा इतना ही नहीं इन देशों ने 1960-90 के बीच अपने आर्थिक क्षेत्र में, नियमित रूप से दोहरे अंकों की वृद्धि हासिल की। 
  • उनकी विशेष आर्थिक नीति, जिसका प्रमुख उद्देश्य तीव्र निर्यातोन्मुख औद्योगिकीकरण प्राप्त करना था, इस समझ पर आधारित थी कि निर्यात बढ़ाने के लिए अपने लाभों पर ध्यान केन्द्रित करना आवश्यक है, जबकि अन्य क्षेत्रों में आयात के प्रति ग्रहणशील होना भी आवश्यक है। 
  • विकास के लिए उदारीकरण आवश्यक : उदाहरण के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था में, उदारीकरण के सकारात्मक प्रभाव देखे गये। वर्ष 1990 और 2013 के बीच, भारत के सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में निर्यात 1990 में 7% से बढ़कर 2013 में 25% हो गया।
  • अनावश्यक टैरिफ का प्रतिरोध : वर्तमान संदर्भ में, भारत वैश्विक निर्माताओं और उनकी आपूर्ति श्रृंखलाओं को आकर्षित करने तथा अपने निर्यात को बढ़ाने के लिए चीन+1 के अवसर का लाभ उठाने का प्रयास कर रहा है, हमें आयातों पर अनावश्यक टैरिफ दरों को  लगाने के प्रलोभन का प्रतिरोध करना होगा।

मध्यम आय की अर्थव्यवस्थाएँ :

  • 1960 में 101 मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में से 2018 तक केवल 23 ही उच्च आय वाली स्थिति प्राप्त कर पाई थीं, जो भारत के आर्थिक क्षेत्र के लिए एक चेतावनी है, क्योंकि भारत अभी भी निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था है, जिसे अगले दशक के प्रारम्भ तक मध्यम आय वाली स्थिति से भी आगे बढ़ने की आवश्यकता है। 

मध्यम आय की अर्थव्यवस्था होने के प्रमुख कारण: 

इन्हें मोटे तौर पर इस प्रकार कहा जा सकता है कि अर्थव्यवस्थाएं निम्न-स्तरीय क्षेत्रों में अपनी बढ़त खो रही हैं और उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में अधिक समृद्ध देशों के साथ पर्याप्त रूप से प्रतिस्पर्धी नहीं रह गई हैं ।

भारत की प्रमुख समस्या : 

हम अपने अधिशेष श्रम का उपयोग निम्न स्तर के क्षेत्रों में विकास के लिए करने में असमर्थ रहे हैं। 

  • आईटी बूम ने हमें विकास के लिए एक वैकल्पिक मार्ग दिया है, लेकिन वहां संभावनाएं सीमित हैं। 
  • यह नुकसानदायक है, क्योंकि विनिर्माण में मूल्य श्रृंखला में ऊपर की ओर बढ़ना निम्न तकनीक विनिर्माण की नींव पर निर्मित होता है। प्रबंधकों और श्रमिकों का पारिस्थितिकी जाल, जो पैमाने और गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए काम पूरा करते हैं, किसी भी औद्योगिक क्षेत्र की रीढ़ होते हैं। 
  • यहां तक ​​कि जिन सरकारी कर्मचारियों ने बड़े पैमाने पर सरल, कम तकनीक वाले विनिर्माण को विकसित करने में मदद की है, उन्हें बाद में अधिक जटिल चुनौतियों का सामना करना आसान लगेगा।
  • अतः मध्यम आय के जाल से बचने के लिए बाजार आधारित अर्थव्यवस्था की आवश्यकता है जो निजी उद्यमों के फलने-फूलने में सहायक हो सकें, इसलिए हमें न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन की अवधारणा पर कार्य करना होगा। 
  • भारत को ‘व्यापार करने में आसानी’ के दृष्टिकोण पर गंभीरता से कार्य करना होगा।

क्लस्टर-आधारित औद्योगिक मॉडल:

  • सरकार को भारत के अब तक के कमजोर पड़े बुनियादी ढांचे को सुधारने में अपनी प्रभावशाली उपलब्धियों को दोगुना करना चाहिए, इसके लिए उसे चीन और वियतनाम के समान औद्योगिक क्लस्टरों का निर्माण करना चाहिए, जो प्लग-एंड-प्ले बुनियादी ढांचे और सहायक पारिस्थितिकी प्रणालियों से परिपूर्ण हों, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और मनोरंजन के लिए हों, जो नियोक्ताओं और श्रमिकों दोनों को आकर्षित करने में सहायक होंगे। 
  • आज, भारतीय राज्यों को बिजली, रसद और वित्तपोषण के लिए लागत संबंधी अक्षमताओं का सामना करना पड़ रहा है, साथ ही बांग्लादेश, चीन और वियतनाम जैसे देशों की तुलना में कम श्रम उत्पादकता और अनुपालन संबंधी बोझ का सामना करना पड़ रहा है, जो नए निवेशकों के प्रवेश करने और मौजूदा निवेशकों की विस्तार नीति को प्रभावित करता है।
  • भारत के बारे में नीतिगत हलकों में एक मुहावरा अक्सर दोहराया जाता है – “यह एक ऐसा देश है जिसमें मुंह में पानी लाने वाले अवसर और आंखें चौंधिया देने वाली चुनौतियां हैं।”

निष्कर्ष:

भारत के 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उदार आर्थिक नीतियों को अपनाना, बुनियादी ढांचे को बढ़ाना और निर्यात आधारित विकास पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है। अतः मौजूदा सभी चुनौतियों का सामना नवोन्वेषी समाधानों के साथ किया जाना चाहिए।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न:

प्रश्न: भारत का लक्ष्य 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है, लेकिन उसे अपने अधिशेष श्रम का लाभ उठाने और मध्यम आय के जाल से बचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में औद्योगिक समूहों और निर्यातोन्मुखी रणनीतियों की भूमिका की आलोचनात्मक जांच करें। 

(15 अंक, 250 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.